शनिवार, 23 जनवरी 2016

दुकान वाली की भर दी दूकान


हाई दोस्तों,
मैं अभिनन्द चौधारी आपको अपनी जिंदगी की यादगर चुदाई के बारे में बताने जा रहा हूँ जो किस और के साथ नहीं बल्कि एक दूकानदारनी के साथ बिताए की है | दोस्तों, मुझसे ज्यादा उस दुकान वाली औरत को नहीं समझा होगा | दरसल बात यूँ यह थी वो पहले से शादी – शुदा थी पर आप जब भी उसे देखते वो हमेशा फोन पर पर ही बात करती रहती थी | मैं समझा गया की वो हमेशा जब भी बात करती है तो अपने पति की गैरहाजरी में फोन करती है और इसी कारण मैंने भी हर छोटी से छोटी चीज़ उसकी दूकान में लेने लगा जिससे पहले तो मैं उसकी नज़र में आ गया | मैंने धीरे – धीरे एक दिन दोपहर को उसकी दुकां में गया क्यूंकि उस वक्त से कोई खरीदारी के लिए आता है | मैंने उसी वक्त के दौरान उससे काफी देर बात करते हुए उसका नाम पुचा और फोन नंबर भी माँ लिया | उसने भी जवाब में अपना नाम बिमला बताया और झट से शर्माते हुए मुझे फोन नंबर दे दिया |
मैंने अब उस बिमला को घन्टों भर फोन पर बात करते हुए लगभग पता ही लिया था और उसकी मोटी गांड को छोड़ने के बहुत करीब पहुँचने वाला था | मैंने कुछ सप्ताह में उससे दुकान में ही दोपहर को मुलाकात करते हुए चुपके से कभी उसकी पप्पी ले लिया करता | मुझे एक दिन बस उसकी चुदाई करनी थी जिसके लिए जब मैंने उसे मनाया तो उसने एक दिन दोपहर को मुझे उसी की दूकान में आने को बोला | मैं भी दोस्तों समयानुसार उसकी दूकान में पहुँच गया और उसने तभी एक बच्चे को दूकान के काम में लगा दिया और वी वो मुझे दूकान अंदर ले गयी | मैंने देखा अंदर उसकी दूकान में एक भी बहुत अच्छा – ख़ासा कमरा था जहाँ वो अक्सर अपना सामन रखा करते थे | मैंने अब उसे वहीँ पहले काफी देर चूमा और अपने कपड़ों उतारते हुए उसकी कुर्ती सलवार को भी उतार दिया और उसके चुचों को चूसने लगा |
मैंने ज्यादा समय ना बर्बाद करते हुए उसकी पैंटी को वहाँ से उतरा फेंका और गुलाबी मोटी पहली हुई चुत में अपनी ३ उँगलियाँ अंदर – बहार करने लगा | अब तो उसके पूरे गोरे मोटे चर्बी वाले बदन में हलचल पैदा हो गयी अपने होठो अपने दाँतों के तले दबाते हुए सिस्कारियां लेने लगी थी | इतने में ही दोस्तों मैंने पाना लंड निकला और बिमला के मुंह में ठूंस दिया | अब वो कुतिया बनकर मेरे लंड को चूस रही थी पीछे से मैं उसकी गांड में थूक लगाते हुए ऊँगली कर रहा था | इसी काम क्रिया के दौरान दोस्तों मेरे लंड का एक बार मुठ भी निकल चूका था | अब मैंने फिर से उसे सामन्य मुद्रा में लिटाया और उसकी चुत का रास्ता पने लंड को दिखता हुआ ज़ोरदार धक्के देने लगा | मेरे ज़ोरदार धक्कों से अब बिमला हाँ रही थी और मैंने उसके गालों को भींचता हुआ बस उसकी चुत को अपना गुलाम बना लेना चाहता था |
चुदाई के अंतराल साली कुतिया बिमला ने मुझे कई बुरी – बुरी गालियाँ भी बाकि पर मैंने सब उसकी चुत के जन्नत जैसे एहसास के लिए सहते हुए बस छोड़ने से मतलब रखा | हमारी यह रासलीला लगभग ४० मिनट तक ही चली थी मैंने हार कर अपने लंड को निकला और कुछ देर उसकी चुत पर मसलते हुए अपने माल को वहीँ छोड़ दिया |

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