गुरुवार, 21 मार्च 2013

लेस्बियन नाईट्स में जानी चूत की ताकत[ भाग-1]

हाय लेस्बियन दोस्तों, हम ये गरमा गर्म कहानी अपने लेस्बियन परिवार की बढ़ोतरी और लंड की नाशक और घातक क्षमता में घटोतरि के लिये लाये हैं। अगर आप एक मर्द हैं जो मेरी बात सुन रहे हैं तो फ़िर आपको स्त्री की काम वासना और काम क्रिया में स्वतंत्रता का पक्षधर होना चाहिये। मैं लीला हूं और लेस्बियन नाईट्स मेरा स्तंभ है जिसमें सकसेक्स के माध्यम से मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ यह बता देना चाहती हूं कि चूत की ताकत इन कीड़े मकोड़ो की तरह रेंगने वाले लंड से ज्यादा है। अगर नारी अपनी काम क्षमता को पहचान ले और मर्दों को लिफ़्ट न दे तो वे अपनी औकात में आ जायेंगे।
आईये हम सुनाते हैं अपनी गरमा गर्म कहानी कि मैं कैसे बनी लेस्बियन्। इस अकेली मदमस्त जवानी को किसी छिछोरे मर्द के हाथ में सौपने से पहले मैं एक लड़की थी, क्वारी और अनछुई। मुझे अपने चूंचे छूने में बहुत सनसनाहट होती, जब भी नहाते समय मैं इन्हें रगड़ कर धोती, मुझे एक कामुक एहसास अंदर तक भर जाता, मेरे चूत पर उग रहे बाल मेरी कामुकता के पौधे थे जिन्हें मैं बड़े प्यार से सहेज कर रखती थी। एक दिन मैं नहा रही थी और मेरे योनि में अंदर खुजली होने लगी, जैसे ही मैंने अपने चूंचों से हाथ हटाकर अपनी चूत की दीवारों पर रखा, मेरी गीलीं उंगलियां मेरे बालों वाली योनि पर खेलने लगीं। मारे उत्तेजना के मैंने खुजली करनी बंद कर दी और फ़िर थोड़ी देर बाद ये शुरु हो गयी। बाथरुम से निकल कर जब मैं अपने दोस्त नीलम के घर गयी तो वहां मैंने उसे ये बात बतायी।
उसने कहा कहां है ये जरा दिखाओ, मैंने जब अपनी चूत  उसे दिखाई तो वह अपनी नजरें उसके पास ले जाकर बोली- किधर खुजली हो रही है? मैंने कहा- अंदर में और वाकई मुझे खुजली हो रही थी। उसने अपनी उंगली से मेरे योनि पर छेड़ छाड़ करना शुरु किया और मै बेहोश सी होने लगी। मदहोशी की हालत में  मेरे योनि से होने वाली सरसराहट मुझे उछ्ल उछ्ल कर बैठ जाने को मजबूर कर रही थी, कि अचानक कुछ ऐसा हो गया कि मैं दंग रह गयी। सामने से उसका बड़ा भाई आ गया। दोस्त का बड़ा भाई था, इसलिये उससे हम डरते भी थे लेकिन उस समय मैं होश में नहीं थी। आते ही उसने माजरा समझ लिया और बोला, क्या कर रहे हो क्या हुआ इसे, वो मारे शरम के मुझे छोड़कर भाग गयी। मैं अपनी आंखें मूंदे उम्माह उम्माह कर रही थी और मेरे हाथ अपनी चूंचिंयों को सहला रहे थे।
रमेश ने अपने लंड को बाहर निकाल लिया, उसका लौड़ा दनदना चुका था और मुझे इस बात का एहसास तब हुआ जब उसने मेरे चूत पर अपना लंड रगड़ना शुरु किया, मैंने अपनी आंखें खोली और मुह से आवाज निकालने ही वाली थी, बचाओ कि उसने अपने चौड़े हथेलि से मेरा मुह बन्द कर दिया और फ़िर मुझे बेड पर पटक दिया। मैं डर चुकी थी क्योंकि गलती हमारी थी कि दरवाजा बंद नही किया था। नीलम पता नहीं कहा भाग गयी थी, अपने भाई से मुह छुपाके। अगले भाग में पढिए कैसे मैं बची उस शैतान से लुटने से और कैसे मैंने उसे एक ऐसी सजा दी जिसके बारे में सोच कर ही समाज के मर्द कांप उठेंगे।
Share This
Previous Post
Next Post

Pellentesque vitae lectus in mauris sollicitudin ornare sit amet eget ligula. Donec pharetra, arcu eu consectetur semper, est nulla sodales risus, vel efficitur orci justo quis tellus. Phasellus sit amet est pharetra

0 comments:

वैधानिक चेतावनी

वैधानिक चेतावनी : ये साईट सिर्फ मनोरंजन के लिए है इस साईट पर सभी कहानियां काल्पनिक है | इस साईट पर प्रकाशित सभी कहानियां पाठको द्वारा भेजी गयी है | कहानियों में पाठको के व्यक्तिगत विचार हो सकते है | इन कहानियों से के संपादक अथवा प्रबंधन वर्ग से कोई भी सम्बन्ध नही है | इस वेबसाइट का उपयोग करने के लिए आपको उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए, और आप अपने छेत्राधिकार के अनुसार क़ानूनी तौर पर पूर्ण वयस्क होना चाहिए या जहा से आप इस वेबसाइट का उपयोग कर रहे है यदि आप इन आवश्यकताओ को पूरा नही करते है, तो आपको इस वेबसाइट के उपयोग की अनुमति नही है | इस वेबसाइट पर प्रस्तुत की जाने वाली किसी भी वस्तु पर हम अपने स्वामित्व होने का दावा नहीं करते है |