अलग अलग प्रदेशो की चुदासी स्त्रीयो के सेक्स गुण
आमीर प्रदेश और
मालवा की स्त्रियों को मजबूत
आलिंगन, चुंबन और पीड़ाक
जैसी संभोगक्रिया सबसे प्रिय
होती है। इन्हें पुरुष के द्वारा अपने
शरीर पर नाखून गड़ाना और दांतों से
काटना नापसंद होता है।
संभोगक्रिया में इन्हें
जितना ज्यादा दर्द होता है
उतनी ही अधिक इनकी यौन
उत्तेजना बढ़ती है।
ईरावती, सिंधु, शतद्रु,
चंद्रभागा, विपात और
वितस्ता नदियों के पास रहने
वाली स्त्रियों के शरीर
की उत्तेजना बढ़ाने वाले
अंगों पर पुरुष द्वारा सहलाने से
काम उत्तेजना तेज होती है।
गुर्जरी स्त्रियों के सिर के बाल
घने, दुबला-पतला शरीर, स्तन
भरे हुए और आंखे नशीली होती हैं।
यह स्त्रियां सरल संभोग
करना पसंद करती हैं।
लाट प्रदेश की स्त्रियां बहुत
उत्तेजक होती हैं। इनके शरीर के
अंग कोमल और नाजुक होते हैं।
ऐसी स्त्रियों को लगातार चलने
वाली संभोगक्रिया पसंद
होती है। अपने पुरुष साथी से
लिपटना इन्हें बहुत पसंद
होता है। ये तेज कटिसंचालन
करती हैं और काफी देर तक
योनिमंथन करने से इन्हें आनंद
मिलता है। यह स्त्रियां पुरुष
द्वारा अपने शरीर पर नाखून
गड़ाना और दांतों से
काटना भी पसंद करती हैं।
आंध्रप्रदेश की स्त्रियां कोमल
अंगों वाली होती हैं और इनके
अंदर यौन उत्तेजना बहुत
ज्यादा होती है। यह
स्त्रियां संभोग के लिए पुरुष
को खुद ही उत्तेजित करती हैं और
बड़वा आसन में संभोग करना पसंद
करती हैं।
उत्कल और कलिंग प्रदेश
की स्त्रियों को काम
उत्तेजना के बारे में कुछ भी ज्ञान
नहीं होता। यह स्त्रियां पुरुष
द्वारा अपने शरीर पर नाखून
गड़ाना और दांतों से
काटना पसंद करती हैं। उत्कल
स्त्रियां बिल्कुल शर्म न करने
वाली, हमेशा प्यार करने
वाली और लंबे समय तक संभोग
की इच्छा रखने वाली होती हैं।
बंगाल और गौड़
प्रदेशों की स्त्रियां कोमल
अंगों वाली होती हैं। इन्हें हर
समय आलिंगन और चुंबन में
रुचि होती है।
ऐसी स्त्रियों की काम
उत्तेजना को जगाने में बहुत देर
लगती है लेकिन एक बार जब
इनकी काम उत्तेजना जगती है
तो ये अपने आपको पूरी तरह से
पुरुष के हवाले कर देती हैं। इनके
नितंब भारी होते हैं इसलिए
इन्हें नितंबनी भी कहा जाता है।
कामरूप
की स्त्रियां मीठी बोली वाली
होती हैं। इनके शरीर के अंग
कोमल और आकर्षक होते हैं। पुरुष
द्वारा सिर्फ इनका आलिंगन
करने से ही इन्हें पूरी तरह संभोग
संतुष्टि मिल जाती है। एकबार
अगर यह स्त्रियां उत्तेजित
हो जाती हैं तो उसके बाद यह
पूरी तरह से संभोगक्रिया में
डूबी रहती हैं।
आदिवासी स्त्रियां अपने शरीर
के विकारों को दूसरों से
छुपाती हैं लेकिन दूसरों में अगर
कोई दोष इन्हें दिखाई देता है
तो यह उन्हें ताना मारने से
नहीं चूकती हैं। इन्हें संभोग
की सभी क्रीड़ाएं पसंद होती हैं
और यह सामान्य संभोग में ही यह
संतुष्ट हो जाती हैं।
महाराष्ट्र की स्त्रियां 64
कलाओं की ज्ञाता होती हैं।
संभोगक्रिया के समय वह
किसी प्रकार का संकोच
नहीं करती और अश्लील बातें
बोलती हैं।
पटना की स्त्रियां भी अश्लील
बातें करती हैं लेकिन सिर्फ घर के
अंदर, बाहर नहीं।
कर्नाटक
की लड़कियों की योनि से
पानी ज्यादा मात्रा में
निकलता है। यह
स्त्रियां आलिंगन. चुंबन और
स्तनों को दबवाने के साथ
ही योनि में उंगलियों से घर्षण
करने से उत्तेजित होती है।
संभोगक्रिया के समय यह
स्त्रियां जल्दी संतुष्ट
हो जाती ह
आमीर प्रदेश और
मालवा की स्त्रियों को मजबूत
आलिंगन, चुंबन और पीड़ाक
जैसी संभोगक्रिया सबसे प्रिय
होती है। इन्हें पुरुष के द्वारा अपने
शरीर पर नाखून गड़ाना और दांतों से
काटना नापसंद होता है।
संभोगक्रिया में इन्हें
जितना ज्यादा दर्द होता है
उतनी ही अधिक इनकी यौन
उत्तेजना बढ़ती है।
ईरावती, सिंधु, शतद्रु,
चंद्रभागा, विपात और
वितस्ता नदियों के पास रहने
वाली स्त्रियों के शरीर
की उत्तेजना बढ़ाने वाले
अंगों पर पुरुष द्वारा सहलाने से
काम उत्तेजना तेज होती है।
गुर्जरी स्त्रियों के सिर के बाल
घने, दुबला-पतला शरीर, स्तन
भरे हुए और आंखे नशीली होती हैं।
यह स्त्रियां सरल संभोग
करना पसंद करती हैं।
लाट प्रदेश की स्त्रियां बहुत
उत्तेजक होती हैं। इनके शरीर के
अंग कोमल और नाजुक होते हैं।
ऐसी स्त्रियों को लगातार चलने
वाली संभोगक्रिया पसंद
होती है। अपने पुरुष साथी से
लिपटना इन्हें बहुत पसंद
होता है। ये तेज कटिसंचालन
करती हैं और काफी देर तक
योनिमंथन करने से इन्हें आनंद
मिलता है। यह स्त्रियां पुरुष
द्वारा अपने शरीर पर नाखून
गड़ाना और दांतों से
काटना भी पसंद करती हैं।
आंध्रप्रदेश की स्त्रियां कोमल
अंगों वाली होती हैं और इनके
अंदर यौन उत्तेजना बहुत
ज्यादा होती है। यह
स्त्रियां संभोग के लिए पुरुष
को खुद ही उत्तेजित करती हैं और
बड़वा आसन में संभोग करना पसंद
करती हैं।
उत्कल और कलिंग प्रदेश
की स्त्रियों को काम
उत्तेजना के बारे में कुछ भी ज्ञान
नहीं होता। यह स्त्रियां पुरुष
द्वारा अपने शरीर पर नाखून
गड़ाना और दांतों से
काटना पसंद करती हैं। उत्कल
स्त्रियां बिल्कुल शर्म न करने
वाली, हमेशा प्यार करने
वाली और लंबे समय तक संभोग
की इच्छा रखने वाली होती हैं।
बंगाल और गौड़
प्रदेशों की स्त्रियां कोमल
अंगों वाली होती हैं। इन्हें हर
समय आलिंगन और चुंबन में
रुचि होती है।
ऐसी स्त्रियों की काम
उत्तेजना को जगाने में बहुत देर
लगती है लेकिन एक बार जब
इनकी काम उत्तेजना जगती है
तो ये अपने आपको पूरी तरह से
पुरुष के हवाले कर देती हैं। इनके
नितंब भारी होते हैं इसलिए
इन्हें नितंबनी भी कहा जाता है।
कामरूप
की स्त्रियां मीठी बोली वाली
होती हैं। इनके शरीर के अंग
कोमल और आकर्षक होते हैं। पुरुष
द्वारा सिर्फ इनका आलिंगन
करने से ही इन्हें पूरी तरह संभोग
संतुष्टि मिल जाती है। एकबार
अगर यह स्त्रियां उत्तेजित
हो जाती हैं तो उसके बाद यह
पूरी तरह से संभोगक्रिया में
डूबी रहती हैं।
आदिवासी स्त्रियां अपने शरीर
के विकारों को दूसरों से
छुपाती हैं लेकिन दूसरों में अगर
कोई दोष इन्हें दिखाई देता है
तो यह उन्हें ताना मारने से
नहीं चूकती हैं। इन्हें संभोग
की सभी क्रीड़ाएं पसंद होती हैं
और यह सामान्य संभोग में ही यह
संतुष्ट हो जाती हैं।
महाराष्ट्र की स्त्रियां 64
कलाओं की ज्ञाता होती हैं।
संभोगक्रिया के समय वह
किसी प्रकार का संकोच
नहीं करती और अश्लील बातें
बोलती हैं।
पटना की स्त्रियां भी अश्लील
बातें करती हैं लेकिन सिर्फ घर के
अंदर, बाहर नहीं।
कर्नाटक
की लड़कियों की योनि से
पानी ज्यादा मात्रा में
निकलता है। यह
स्त्रियां आलिंगन. चुंबन और
स्तनों को दबवाने के साथ
ही योनि में उंगलियों से घर्षण
करने से उत्तेजित होती है।
संभोगक्रिया के समय यह
स्त्रियां जल्दी संतुष्ट
हो जाती ह
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