बुधवार, 10 अप्रैल 2013

शराब के साथ चढा वासना का भी नशा

नमस्कार दोस्तों,
आज मैं अपनी सहेली की कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिकी मैंने मजेदार पार्टी के बाद चुत मारी थी और फिर आज तक मारता हुआ अ रहा हूँ | दोस्तों उससे मेरी पहली मुलकात अपने कॉलेज में हुई थी और उसके बाद हम अच्छे दोस्त बन गए थे | वैसे तो मैंने उसके बारे में कभी गलत या वासना भरा विचार नहीं लाया पर पार्टी के नशे के बाद सब कुछ जैसे एक बार में ही हो गया था | उस दिन के बाद से मैं आज तक उसकी वासना भरी चुत मिएँ डुबकियां लगात हुआ आ रहा हूँ | हम लोग पार्टी मनाने के लिए अपने कॉलेज की छुट्टी के बाद बार में गए हुए थे जिसमें मैंने और वर्तिका ने ही कुछ ज्यादा शराब पी ली थी और अब जब मैं उससे कभी भी छू रहा था तो मेरे मन में उसकी चुत के साथ खिलवाड़ करने का का मन का रहा था और मैंने पीछे नहीं हटा | मैंने चुपके से उसे बीच पार्टी में आदर के बाथरूम में ले आया और उसके मस्त वाले तन को देख बेसबर होते हुए पगला गया |
मैंने मजबूरन वर्तिका के हाथ को सहलाते हुए उसके चुचों को छूना फिर अपनी बाहों में भरते हुए चूमना शुरू कर दिया जिसपर वर्तिका ने भी मेरा किसी भी तरह से विरोध नहीं किया और मैंने उसके होठों को चूसते हुए अपने होठो के तले दबाते हुए उसके को सहलाते दबाकर मज़ा ले रह था | हम दोनों अब एक साथ शर्ब और वासना के नशा में चकरा चुके थे और मैंने उसके टॉप को उतार दिया साथ ही उसके नंगे चुचों को मसलते हुए पिने लगा | मुझे कुछ डर ना था की वहाँ पर कोई आ भी सकता है बस मस्त होकर वर्तिका के सारे कपड़ों को उतार दिया और उसके उप्पर चढ गया | मैंने वक्त का पूरा फाइदा उठाते हुए अपने लंड को निकाला और उसकी टांगों के बीच चुत पर टिका दिया | वर्तिका भी अब मेरे लंड को उसकी चुत में देने के लिए जिद्द भरने लगी जिसपर मैंने बस जोर के धक्के मारना शुरू कर दिया और वो नशे में दर्द में जूझती हुई अपनी चुत को चुदवाने के लिए गांड को मटकाने लगी |
मैंने भी अब किसी की भी चिंता ना करते हुए उसकी चुत को बस चोदे जा रहा था रहा था जिसपर उसकी सिस्कारियां निकल रही थी | मैंने वर्तिका की पर थप्पड़ मारते हुए उसकी टांगों उठात हुए मेरे लंड को देने लगा | मेरा सामने जैसे उसकी चुत का भुत बैठ चूका था और मैंने उसकी गांड के छेद में भी ऊँगली करते हुए अपने लंड के ज़ोरदार ढाके मारे जिसपर उसकी आह निकालनी कतई भी बंद नहीं हुई | वो अब भी अपनी चुत के दर्द को लेकर बेतहाशा तरीके से तडप रही थे और मैं जोरदार झटकों से साथ ही उसके उप्पर झड गया | मैंने वर्तिका की चुत पर अपने मुठ गिराकर वहीँ उसकी चुत को चाटने लगा जिसमें अब शराब से भी ज्यादा नशा था | जब वहाँ कुछ देर यूँही चुसम – चुसाई करते हुए अपना होश आया तो मैं चौक गया और उस दिन के बाद से मैंने उस वर्तिका की चुत को कभी अपने लंड से अलग नहीं किया |
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