मंगलवार, 9 अप्रैल 2013

स्टोर रूम में लंड को ठुन्सोया

हाई दोस्तों,
आज मैं आपको नंदी के बारे में बारे बता रहा हूँ जिसकी चुत मारने का मैं बहुत बड़ा शौक़ीन हूँ | दोस्तों नंदी मेरे कॉलेज के बहार एक किराने की दूकान पर काम किया करती थी जिससे इधर – उधर गुजारते वक्त हमारी कभी – कभार बात हो जाया करती थी | मैंने तो कभी उसपर इतना गौर नही फ़रमाया पर मेरे दोस्त ने मुझे गाली देकर उसके चरित्र को को समझाया तो भुला भटका रास्ते पर आ गया | दोस्तों के मुताबिक़ उसे आराम से चोद सकता था और उसकी को मैं अपना मकसद बनाते हुए आगे बढ़ता हुए आगे बह्द्ता हुआ उसे उसकी दूकान के सामने खड़े होकर ही घन्टों बाते करता चला जाता | मैं अब उससे कंडोम की खरीदने की बातें करता जिससे अब हमारे बारे में कुमक बातें भी होने लगती और वो जब पूछती किसके लिए खरीदना है तो मैं भी बोल देता की साली तुझे हो तो चोदना है. . जिसपर वो हँसने ला जाती |
उसकी मेरे बेहूदा मजाकों पर हंसी मुझे आगे सोचने पर मजबूर किये जा रही थी | अब मैं दूकान के पास की खड़े रहकर उसका हाथ माँगा करता और वो नखरे मारती हुई मुझे आखिरकार हाथ दे दिया करती | अब सहलाता हुआ उसे हवा में चूमी दे दिया करती और वो भी मुझे बदले में दिया करती | एक दिन मैंने वहीँ बातें करते हुए उससे अंदर आने की इज़ाज़त मांगी तो उसने मुझे अंदर बुला लिया | अब जब उसके बाप की बात ई तो उसने बताया की उसका बाप बहार गया हुआ है और उसकी दूकान के अंदर वाला स्टोर रूम अब पूरा खाली पड़ा था | मैं पहले तो वहीँ उसके साथ चूमा – चाटी गले मिलकर करने और कुछ ही देर में हम को गंदे तरीके से चूम रहे थे और होठों को चूस रहे थे |
अंदर जाते ही मैंने उसे दो पल में कपड़े उतार नागी कर डाला और खुद भी चड्डी उतार अपने लंड दिखाने लगा | मैंने अब उसकी गुलाबी चुत को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया | मैंने उसकी चुत में ऊँगली मसलते हुए कुछ ही पल में उसकी चुत को अपनी जीभ से मसलने लगा | मैंने उसके गोरे चुचों को मुंह भर मस्त वाली चुस्कियां मारी और उसकी मस्तानी चुत में अपनी मस्त तरीके से उँगलियों को दे रहा और अब उसकी चुत गीली हो गयी कुछ पल बाद ही मैं अपने लंड को तनाये हुए उसकी चुत में डालने लगा और पीछे से धक्के दिए जा रहा था जिससे मेरा पूरा लंड उसकी चूत में आगे – पीछे हो रहा था | मैं दम लगाकर उसकी चुत में लंड अंदर – बहार करने लगा और जोर की सिस्कारियां भरती हुई चुदने लगी हुई गंदे तरह से चुदना चाहती थी |
दोस्तों मैंने उसकी एक जांघ को जूर – जोर से मसल रहा था जिससे मेरे हाथ के दबाव से अब तो उसकी जांघ पर लाल निसान भी पड़ चुके थे | मुझे तो बस अपनी हवस की पार्टी की चिंता लगी पड़ी थी जिसे मैं किसी भी हाल में अपने लंड द्वारा उसकी चुत को छोडके पूरा किये जा रहा था | कुछ ही देर बाद वो अपने चुत के उप्पर उँगलियाँ मसलती हुई जोर – जोर से चिल्ला रही थी जिसके बावजूद मैं धक्के जिए रहा था और परिणामतः वो झड गयी और मैं हार मान के वहीँ लेट गया |
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