रविवार, 7 अप्रैल 2013

Shashi Ki Chudai

दोस्तो, मेरा नाम प्रतीक है, अन्तर्वासना का बहुत पुराना पाठक हूँ। बहुत दिनों से मैं अपने जीवन की कहानी आप सभी लोगो के सामने प्रस्तुत करना चाहता था पर डरता था।

और लोगों की कहानियाँ सच्ची हैं या झूठी, मैं नहीं बता सकता पर मेरी कहानी सौ प्रतिशत सच है।

बात उन दिनों की है जब मैं अपने चाचा जी के साथ रहता था, घर में चाचा, चाची और उनकी बेटी जिसका नाम शशि है, रहते थे। वो जवान हो गयी थी, में उसका दीवाना था। उसके वक्ष 34 के आसपास होंगे और गाण्ड भी इतनी ही। पर मैं उसे चोदना नहीं चाहता था/

मेरा एक दोस्त था सचिन, वो जब भी मेरे घर आता तो मेरी बहन को घूर घूर कर देखता था। मुझे इस बात का पता था पर मन ही मन मैं सचिन को चाहता था और उससे चुदना चाहता था।

एक बार मैं घर पर अकेला था तो मैंने सचिन को घर पर बुला लिया, वो अपने साथ ब्लू फिल्म की सीडी लाया था। हम दोनों कई बार ब्लू फिल्म देख चुके थे। मैंने सीडी कम्पयूटर में लगाई और देखने लगा। मेरे अंदर लौड़ा लेने की वासना फूट रही थी। मुझे सीडी देख देख कर नशा सा छाने लगा, मैं सिसकारियाँ लेने लगा। मैं चाहता था कि सचिन मुझे जम कर चोदे।

अब मुझे सचिन को अपनी तरफ आकर्षित करना था। मैंने निकर पहनी हुई थी और सचिन मेरे साथ बैठा हुआ था। उसको आकर्षित करने के लिए मैं अपनी निकर ऊपर करने लगा पर उसका ध्यान मेरी तरफ नहीं था। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ।

तभी मेरे दिमाग में एक तरकीब आई, मैंने उससे चाय के लिए पूछा, उसके हाँ बोलने पर मैं चाय बनाने चला गया। हम बैठ कर चाय पीने लगे, तभी मैंने चाय अपनी निकर पर गिरा दी।

सचिन- क्या यार प्रतीक, आराम से चाय भी नहीं पी सकता? ठीक से फिल्म भी नहीं देखने देता।

मैं- सॉरी यार, अब क्या करूँ?

सचिन- अपनी निकर उतार कर धो दे, नहीं तो निशान पड़ जायेंगे।

मैं तो यही चाहता था, मैंने निकर उतार कर धो दी और फिल्म देखने लगे। फ़िर मैंने अपना अन्डरवीअर बिल्कुल ऊपर कर लिया और साथ में फिल्म देखने लगे।

फिल्म देखते देखते उसे भी सेक्स चढ़ने लगा। मैंने उसकी जांघ पर हाथ रख दिया, उसने भी अनजाने में मेरी जांघ पर हाथ रख दिया। मैंने उसके हाथ पर हाथ रख कर ऊपर की ओर खिसका दिया।

अब उसे शायद पता चल गया था कि मैं क्या चाह्ता हूँ।

सचिन- साले, अगर तू लड़की होता तो आज मजा आ जाता।

मैं- बोल तो तू सही रहा है पर क्या कर सकते हैं?

सचिन- पर तेरी जांघें तो लड़की जैसी गोरी-चिकनी ही हैं।

मैं- थैंक यू !

सचिन- बुरा न मानो तो एक बात बोलूँ?

मैं- बोलो !

सचिन- क्या तुम आज लड़की की कमी पूरी कर सकते हो?

मैं- ठीक है, लेकिन बस थोड़ी देर और आज के बाद कभी नहीं।

मैं तो ख़ुशी में पागल हुआ जा रहा था।

उसने एक एक कर के मेरे सारे कपड़े उतार दिये। मैंने बस अन्डरवीअर पहना था। उसने अपनी पैंट उतारी और फिर अपनी अन्डरवीअर में से अपना 7 इंच का लौड़ा निकाला। उसे देखते ही मैं पागल हो गया। उसने मेरा अन्डरवीअर भी उतार दिया और कमरे में ले गया।

उसने मुझे बिस्तर पर गिराया, फिर मेरे ऊपर आ गया और अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया..यह कहानी यौन कथाओं की असली साईट अन्तर्वासना डॉट कॉम पर प्रकाशित हुई है।

मैं उसे चूसने लगा, मुझे मजा आ रहा था। फिर थोड़ी देर बाद वो मेरे मुँह को चोदता रहा।

मैं- सचिन अब रहा नहीं जाता यार ! गाण्ड मार ले मेरी जल्दी से !

सचिन- नहीं, बस मैं यही चाहता था, और कुछ नहीं।

मैं गिड़गिड़ाने लगा तो फिर वो बोला- एक शर्त पर !

मैं- क्या?

सचिन- यार तेरी बहन बहुत सेक्सी है, मैं उसे चोदना चाहता हूँ, तू उसमें मेरी मदद करेगा।

मैं- हाँ हाँ ! मैंने कब मना किया !

सचिन खुश हो गया, उसने मुझे घोड़ी बनाया और तेल लगा कर घुसाने लगा।

15 मिनट की मेहनत के बाद आखिर उसका पूरा लौड़ा मेरी गाण्ड में था।

उसके बाद उसने मुझे कई बार कुत्ते की तरह चोदा, मैं उसे अपनी बहिन का लालच देकर रोज़ चुदता।

मैं उसे सारी सच्चाई बता चुका था कि मुझे लौड़े पसंद हैं।

मेरे कहने पर उसने मुझे अपने दोस्तों से भी चुदवाया।

पर अब मैं उसे ज्यादा दिनों तक टाल नहीं सकता था।

वो बोला- अब जब तक तू अपनी बहन नहीं चुदवायेगा, मैं तुझे नहीं चोदूँगा।

और मुझे मानना पड़ा।

एक दिन चाचा-चाची बाहर गए हुए थे, मैं और मेरी बहन शशि घर पर अकेले थे। मैंने सचिन को घर पर बुला लिया। मेरी बहन ने चाय बनाई और अपने कमरे में सोने चली गई।

कुछ समय बाद मैंने जाकर देखा, वो सो चुकी थी, उसने स्कर्ट और टॉप पहना हुआ था, स्कर्ट छोटा होने के कारण उसकी जांघें दिख रही थी।

मैंने सचिन से कहा- तू कमरे में चला जा, मैं बाहर संभालता हूँ, कुछ भी होगा तो मैं देख लूँगा।

वो कमरे में चला गया, मैं खिड़की से सब देख रहा था।

वो डर रहा था, डरते डरते उसने शशि की जांघों पर हाथ रख दिया, फिर सहलाने लगा। वो अभी भी डर रहा था। फिर वो स्कर्ट के अंदर हाथ डालने लगा।

तभी मेरी बहन जाग गई।

शशि- सचिन भैया आप?

सचिन- हाँ मैं !

शशि- आप यहाँ क्या कर रहे हो?

सचिन- शशि, मैं तुम्हें प्यार करता हूँ और तुम्हें चूमना चाहता हूँ।

तभी शशि ने उसे थप्पड़ मार दिया और मुझे आवाज़ लगाते हुए बाहर आई, पर मैं छुप गया।

तभी सचिन बोला- वो किसी काम से बाहर गया है, एक घण्टे में आएगा।

शशि के व्यवहार में परिवर्तन आने लगा। शशि ने उसे जाने को कहा।

सचिन- बस मुझे एक किस करने दो, मैं चला जाऊँगा।

शशि- ठीक है, पर गाल पर ! उसके बाद तुम चले जाओगे।

फिर सचिन ने उसे चूमना शुरु किया और चूमता ही चला गया।

शशि बोली- कितने देर करोगे?

सचिन- मैं बस एक ही किस कर रहा हूँ न ! चाहे कितने भी देर तक करूँ !

शशि हंसते हुए- तुम बड़े चालाक हो।

सचिन ने फिर उसे चूमना शुरु किया और 5 मिनट तक चूमता रहा। अब शशि को मजा आने लगा था और वो भी उसे चूमने लगी। मुझे भी यह देख कर अच्छा लग रहा था।

धीरे-धीरे उन्होंने अपने कपड़े उतारने शुरू किये, थोड़ी ही देर में वो पूरे नंगे हो गए।

शशि को मैंने पहली बार नंगा देखा था और मैं उसे देखता ही रह गया। मैं बाहर ही मुट्ठी मार रहा था। वो दोनों पागलों की तरह चुम्बन कर रहे थे। सचिन ने उसे लौड़ा चूसने को कहा और वो तो चाहती ही यही थी।

वो पागलों की तरह चूस रही थी, सचिन उसके मुँह को चोदे जा रहा था। अब मैं भी चुदना चाहता था। तभी मैंने सचिन के दोस्तों को बुला लिया जो मुझे चोदते थे, उनके नाम रवि और राजू हैं।

उनके साथ में दूसरे कमरे में जाने लगा कि उन्होंने सचिन और शशि की आवाज़ सुन ली। वो बोले- हम तुझे तभी चोदेंगे जब तू हमसे भी अपनी बहन चुदवायेगा।

और मुझे मानना ही था, हम तीनों मेरी बहन के कमरे में चले गए तो हमें देख कर मेरी बहन डर गई।

मैं बोला- डर मत शशि ! ये भी मेरे ही दोस्त हैं।

फिर शशि की जान में जान आई, शशि फिर से उसका लौड़ा चूसने लगी।

रवि और राजू बोले- हम पहले तेरी बहन को चोदेंगे।

मैंने कहा- ठीक है।

और राजू शशि की चूचियाँ दबाने और चूसने लगा और रवि शशि की चूत चाट रहा था। मैं वहीं बैठ कर यह सब देख रहा था। तीनों ने मेरी बहन को बिस्तर पर डाला और एक एक कर के मुँह चोदने लगे। अब सचिन नीचे लेट गया और शशि को अपने ऊपर लेटा लिया। धीरे धीरे सचिन का लंड शशि के अंदर जा रहा था, शशि सिसकारियाँ ले रही थी और आखिर पूरा लौड़ा चला ही गया।

रवि ने उसकी गाण्ड में तेल लगाया और अपना लौड़ा घुसाने लगा। शशि चिल्ला रही थी पर खुश थी।

अब दोनों लौड़े उसमें समां चुके थे और बड़ी जोरों से चोद रहे थे। राजू अभी भी चूचियों से खेल रहा था।

तभी शशि बोली- भैया, इधर आओ !

मैं उसके पास खड़ा हो गया। उसने मेरा लौड़ा पकड़ा और चूसने लगी, मैं ख़ुशी से पागल हुए जा रहा था। फिर पीछे से रवि हट गया और मैं अपनी बहन चोदने लगा। हम चारों ने शशि को हर तरह से चोदा। उससे अब चला भी नहीं जा रहा था पर सचिन अब भी उसे नहीं चोद रहा था, सचिन ने उसे घोड़ी बनाया हुआ था।

रवि ने मुझसे भी घोड़ा बनने को कहा तो मैं खुश हो गया। अब मैं और मेरी बहन घोड़ी बने हुए थे और वो तीनों बदल बदल कर हमें चोद रहे थे। फिर से उन्होंने अपने लौड़े हमें चुसवाए।

रवि ने थप्पड़ मार मार कर मेरी गाण्ड लाल कर दी पर मुझे मजा आ रहा था।

फिर तीनों ने मुझे और मेरी बहन को नीचे बिठाया और एक एक कर के अपना सारा रस हमारे ऊपर डाल दिया। हम सब खुश थे, मैं और मेरी बहन बाथरूम नहाने चले गए कि तभी वो तीनों बाथरूम में आ गए।

उन्होंने हमें फिर से नीचे बिठाया। मैं हैरान था।

फिर वो तीनों एक साथ हमारे ऊपर पेशाब करने लगे। हम दोनों पेशाब में नहा चुके थे।

फिर वो तीनों चले गए।

तब से वो तीनों हमें चोद रहें हैं और हम अपने जीवन का मजा ले रहे हैं।
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