वो ठण्ड के दिन थे, मैं अपनी मौसी के घर गई हुई थी, मौसी के घर के पास
ही एक अंकल अरुण रहते हैं, उनसे मेरी काफी अच्छी जान-पहचान है और
वो मौसाजी के काफी अच्छे दोस्त भी हैं। उनका हमारी मौसी घर में
काफी आना जाना है। अरुण अंकल हमारे घर में मैच देखने आते थे। अंकल और मेरी बहुत बातें होती थी, वो हमेशा मेरे लिए कुछ न कुछ लाते ही थे। एक दिन मौसी ने मुझसे कहा- अनीता आन्टी (अरुण अंकल की बीवी) के पास
मेरा एक बैग रह गया है, जाकर ले आ ! मैं अरुण अंकल के घर गई तो आंटी रसोई में काम कर रही थी, मैंने उनसे कहा- आपके
पास मौसी का बैग रह गया है, वो मौसी ने मंगवाया है। आंटी ने कहा- हाँ है, वो बैग मेरे कमरे के मेज पर रखा है, मैं लाती हूँ। पर उनके हाथ गंदे थे तो उन्होंने मुझे कहा- जाओ कमरे में जाकर खुद ले लो, मेरे हाथ
गंदे हैं। मैं कमरे में गई, बैग ढूंढने लगी कि तभी अचानक अरुण अंकल बाथरूम से निकले,
उन्होंने सिर्फ अन्डरवीयर पहना हुआ था। मैं उन्हें देखती ही रह गई और वो मुझे देख कर मुस्कुराए और फिर
अपना तौलिया लपेट लिया। मैं उन्हें ऐसे ही देखती रही, उनके अन्डरवीयर में वो लंड का उभार बहुत अच्छा लग
रहा था, मैं उन्हें सिर्फ़ अन्डरवीयर में देखना चाहती थी तो मैं वहाँ पर बैग ढूंढने
का बहाना करके इधर-उधर होने लगी। अंकल कुछ देर तो वैसे ही तौलिया लपेटे
खड़े रहे और फिर वो अपनी अलमारी के पास गये और अपना तौलिया हटा कर
कपड़े निकालने लगे। मैं फिर उन्हें देखने लगी, मुझे ऐसा लग रहा था मानो उनके अन्डरवीयर में कोई
बहुत बड़ी चीज हो। फिर अंकल ने अचानक मुझसे कहा- तुम जो ढूंढ रही हो, वो मिला या नहीं? मैंने कहा- हाँ अंकल, मिल ही गया, बस वो आपके ही पास है। बैग अंकल के पीछे ही मेज पर रखा था, मैं बैग लेने के लिए अंकल के पास गई और मैंने
अपना पैर मुड़ने का बहाना किया और उनके ऊपर गिर गई। अब मैं उनकी बाहों में थी, अनजाने में मेरे हाथ ने उनके लंड को छू लिया तो अंकल
मुस्कुराने लगे और मैं भी मुस्कुराने लगी। फिर मैं उठी और बैग लेकर घर आ गई। दो दिन के बाद अनीता आंटी अपने मायके चली गई और अंकल खाना खाने के
लिए हमारे घर आने लगे वो जब घर आते तो मैं उनकी पैंट की तरफ
ही देखती रहती। एक दिन जब अंकल रात को खाने के लिए नहीं आये तो मौसी ने मुझसे कहा-
जाओ, अरुण अंकल को बुला लाओ। तो मैं अंकल के घर गई तो अंकल कंप्यूटर पर बैठ कर कुछ देख रहे थे। मैंने उनसे कहा- चलो अंकल, घर चल कर खाना खा लो। तो अंकल ने कहा- रोमा, आज मेरा खाना यहीं पर ला दो, मुझे थोड़ा काम है। मैंने कहा- ठीक है। और मैं खाना लेकर आई तो अंकल ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझसे कहा- रोमा, उस दिन
तुम मुझे अन्डरवीयर में देख कर मुस्कुरा क्यों रही थी? मैंने उनसे कहा- आप भी तो मुस्कुरा रहे थे ! मैंने आपको पहली बार उस हालत में
देखा था अंकल ! और आपके अन्डरवीयर में वो इतना मोटा-मोटा और
बड़ा सा क्या था? अंकल ने मुझे कहा- वो मेरा लंड है रोमा ! मैंने कहा- इतना बड़ा और मोटा थोड़े ही होता है? तो अंकल ने कहा- यकीन नहीं आता तो मैं दिखाऊँ क्या? मैंने हाँ कर दी- दिखाओ ! तब अंकल ने तुरंत ही अपनी पैंट और अन्डरवीयर नीचे सरका दी। उस वक्त अंकल का लंड छोटा सा था तो मैंने उनसे कहा- यह तो इतना मोटा और
बड़ा नहीं है। आप झूठ बोल रहे थे। तो अंकल ने कहा- रोमा, तुम एक बार हाथ लगा दो, अभी बड़ा और
मोटा हो जायेगा। मैंने जैसे ही उनके लंड को हाथ लगाया, वो खड़ा होने लगा और मोटा भी हो गया।
मैं उनके लंड को अपने हाथों से सहलाने लगी और उन्होंने मुझे अपनी बाहों में भर
लिया और मेरे होंटों को चूमने लगे। मैं भी यही चाहती थी तो मैं भी उन्हें चूमने लगी। मैंने अंकल को अपने से अलग किया और कहा- आज नहीं अंकल, मुझे घर जाना है,
मौसी मेरा इन्तजार कर रही होंगी। तो अंकल ने मुझसे कहा- रोमा, क्या तुम मेरे साथ सेक्स करोगी? मैंने हाँ कहा पर मैंने कहा- आज नहीं ! तब अंकल ने कहा- रोमा मैंने कल ऑफिस से छुट्टी ली है, कल करें क्या? मैंने कहा- हाँ ठीक है। और फिर मैं घर आ गई। मुझे तो कल का इन्तजार था। अगले दिन मैंने मौसी से कहा- मैं अरुण अंकल के घर जा रही हूँ, उनके कंप्यूटर में
कोई प्रोब्लम है, उन्होंने मुझे ठीक करने के लिए बुलाया था। और मैं अंकल के घर पहुँच गई। अंकल अन्डरवीयर में ही थे, उन्होंने मुझ से कहा- चलो, बेडरूम में चलते हैं। हम बेडरूम में गए तो अंकल ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मुझे चूमना चालू
कर दिया। मैं भी अब गर्म हो गई थी। अंकल ने मेरा टॉप और जीन्स उतार दी और मेरे स्तन जोर जोर दबाने लगे। मुझे अब
मजा आने लगा। फिर उन्होंने मेरी ब्रा का हुक खोल कर उसे उतार दिया और मेरे चुच्चों को चूसने
लगे और मैं उनका चेहरा अपने वक्ष पर दबाये जा रही थी। अंकल का लंड खड़ा हो गया था और अन्डरवीयर से बाहर निकलना चाहता था। मैंने
उनका अन्डरवीयर उतार दिया। अंकल कहने लगे- रोमा, तुम बहुत प्यारी हो ! मेरा लंड पकड़ लो और सहलाओ इसे ! मैंने अंकल से कहा- अंकल, आप तो आंटी को खूब चोदते होंगे, कैसा लगता है उन्हें? अंकल ने कहा- खुद चुदवा कर देख लो कि कैसा लगता है, पता चल जायेगा तुम्हें ! फिर अंकल ने मेरी पैंटी उतार दी, मैं नंगी ही शरमाती रही और अपनी चूत
को छुपाती रही। पर जब अंकल ने मेरी चूत को खोल कर अपने होंठ उस पर रखे तो मैं चहक उठी। "अंकल ऐसे ना करो ! मुझे शर्म आती है !" मैं सिमटती हुई बोली। अंकल ने कहा- इसी में तो मजा आयेगा ! और वो मेरी चूत को पागलों की तरह चूसने और चाटने लगे। फिर मैंने भी अंकल के
बाल पकड़ कर उनका मुँह अपनी चूत में टिकाया और अंकल ने अपनी जीभ
मेरी चूत में अन्दर तक घुसा दी। मैं नीचे हाथ बढ़ा कर उनके लंड को पकड़ने की कोशिश करने लगी। अंकल ने कहा- रोमा, अब तैयार हो जाओ चुदने के लिए ! और उन्होंने अपना लंड मेरी चूत के ऊपर रख दिया और अन्दर डालने लगे। मैंने उनसे कहा- मुझे दर्द हो रहा है, थोड़ा धीरे करो ! अंकल ने प्यार से मेरे होंठों को चूमते हुए कहा- थोड़ा सा दर्द तो शुरू में होगा, फिर
तो बाद में मजे ही मजे हैं। फिर अंकल ने धीरे धीरे लंड अन्दर डालना शुरू किया और एक जोर के झटके के
साथ लंड अन्दर डाल दिया। मुझे बहुत दर्द होने लगा तो अंकल मेरे ऊपर ही लेट कर मुझे प्यार करने लगे, मेरे
होंठों को चूमने लगे और मेरे उरोज़ दबाने लगे। जब मेरा दर्द कुछ कम हुआ तो अंकल
हल्के से और प्यार करते हुए धक्के मारने लगे। फिर मेरी चूत का दर्द मिठास में
बदल गया और अंकल ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और जोर जोर से मुझे चोदने लगे। इतने में मैं तो झड़ गई पर अंकल नहीं झड़ पाए थे, उन्होंने अपना लंड चूत से
निकाला और मेरी चूत को चाटने लगे। मैं वैसे ही बिस्तर पर पड़ी रही। फिर अंकल ने मेरे चूचों के बीच में लंड डाल कर उनकी चुदाई की। मैं फिर से गर्म हो गई थी, अंकल ने लंड को फिर मेरी चूत में डाला और जोर जोर
से चोदने लगे। अंकल पूरे जोश में आ गये और वो अब झड़ने वाले थे तो उन्होंने लंड को चूत से बाहर
निकाला और मेरी चूत के ऊपर झड़ गए, और फिर मुझे गले लगा कर मेरे
होंठों को चूमने लगे। अंकल और मैं काफी देर तक वैसे ही पड़े रहे, फिर मैं उठी और
बाथरूम में जाकर खुद को साफ किया और घर आ गई। यह थी मेरी अरुण अंकल के साथ चुदाई की दास्ताँ !
ही एक अंकल अरुण रहते हैं, उनसे मेरी काफी अच्छी जान-पहचान है और
वो मौसाजी के काफी अच्छे दोस्त भी हैं। उनका हमारी मौसी घर में
काफी आना जाना है। अरुण अंकल हमारे घर में मैच देखने आते थे। अंकल और मेरी बहुत बातें होती थी, वो हमेशा मेरे लिए कुछ न कुछ लाते ही थे। एक दिन मौसी ने मुझसे कहा- अनीता आन्टी (अरुण अंकल की बीवी) के पास
मेरा एक बैग रह गया है, जाकर ले आ ! मैं अरुण अंकल के घर गई तो आंटी रसोई में काम कर रही थी, मैंने उनसे कहा- आपके
पास मौसी का बैग रह गया है, वो मौसी ने मंगवाया है। आंटी ने कहा- हाँ है, वो बैग मेरे कमरे के मेज पर रखा है, मैं लाती हूँ। पर उनके हाथ गंदे थे तो उन्होंने मुझे कहा- जाओ कमरे में जाकर खुद ले लो, मेरे हाथ
गंदे हैं। मैं कमरे में गई, बैग ढूंढने लगी कि तभी अचानक अरुण अंकल बाथरूम से निकले,
उन्होंने सिर्फ अन्डरवीयर पहना हुआ था। मैं उन्हें देखती ही रह गई और वो मुझे देख कर मुस्कुराए और फिर
अपना तौलिया लपेट लिया। मैं उन्हें ऐसे ही देखती रही, उनके अन्डरवीयर में वो लंड का उभार बहुत अच्छा लग
रहा था, मैं उन्हें सिर्फ़ अन्डरवीयर में देखना चाहती थी तो मैं वहाँ पर बैग ढूंढने
का बहाना करके इधर-उधर होने लगी। अंकल कुछ देर तो वैसे ही तौलिया लपेटे
खड़े रहे और फिर वो अपनी अलमारी के पास गये और अपना तौलिया हटा कर
कपड़े निकालने लगे। मैं फिर उन्हें देखने लगी, मुझे ऐसा लग रहा था मानो उनके अन्डरवीयर में कोई
बहुत बड़ी चीज हो। फिर अंकल ने अचानक मुझसे कहा- तुम जो ढूंढ रही हो, वो मिला या नहीं? मैंने कहा- हाँ अंकल, मिल ही गया, बस वो आपके ही पास है। बैग अंकल के पीछे ही मेज पर रखा था, मैं बैग लेने के लिए अंकल के पास गई और मैंने
अपना पैर मुड़ने का बहाना किया और उनके ऊपर गिर गई। अब मैं उनकी बाहों में थी, अनजाने में मेरे हाथ ने उनके लंड को छू लिया तो अंकल
मुस्कुराने लगे और मैं भी मुस्कुराने लगी। फिर मैं उठी और बैग लेकर घर आ गई। दो दिन के बाद अनीता आंटी अपने मायके चली गई और अंकल खाना खाने के
लिए हमारे घर आने लगे वो जब घर आते तो मैं उनकी पैंट की तरफ
ही देखती रहती। एक दिन जब अंकल रात को खाने के लिए नहीं आये तो मौसी ने मुझसे कहा-
जाओ, अरुण अंकल को बुला लाओ। तो मैं अंकल के घर गई तो अंकल कंप्यूटर पर बैठ कर कुछ देख रहे थे। मैंने उनसे कहा- चलो अंकल, घर चल कर खाना खा लो। तो अंकल ने कहा- रोमा, आज मेरा खाना यहीं पर ला दो, मुझे थोड़ा काम है। मैंने कहा- ठीक है। और मैं खाना लेकर आई तो अंकल ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझसे कहा- रोमा, उस दिन
तुम मुझे अन्डरवीयर में देख कर मुस्कुरा क्यों रही थी? मैंने उनसे कहा- आप भी तो मुस्कुरा रहे थे ! मैंने आपको पहली बार उस हालत में
देखा था अंकल ! और आपके अन्डरवीयर में वो इतना मोटा-मोटा और
बड़ा सा क्या था? अंकल ने मुझे कहा- वो मेरा लंड है रोमा ! मैंने कहा- इतना बड़ा और मोटा थोड़े ही होता है? तो अंकल ने कहा- यकीन नहीं आता तो मैं दिखाऊँ क्या? मैंने हाँ कर दी- दिखाओ ! तब अंकल ने तुरंत ही अपनी पैंट और अन्डरवीयर नीचे सरका दी। उस वक्त अंकल का लंड छोटा सा था तो मैंने उनसे कहा- यह तो इतना मोटा और
बड़ा नहीं है। आप झूठ बोल रहे थे। तो अंकल ने कहा- रोमा, तुम एक बार हाथ लगा दो, अभी बड़ा और
मोटा हो जायेगा। मैंने जैसे ही उनके लंड को हाथ लगाया, वो खड़ा होने लगा और मोटा भी हो गया।
मैं उनके लंड को अपने हाथों से सहलाने लगी और उन्होंने मुझे अपनी बाहों में भर
लिया और मेरे होंटों को चूमने लगे। मैं भी यही चाहती थी तो मैं भी उन्हें चूमने लगी। मैंने अंकल को अपने से अलग किया और कहा- आज नहीं अंकल, मुझे घर जाना है,
मौसी मेरा इन्तजार कर रही होंगी। तो अंकल ने मुझसे कहा- रोमा, क्या तुम मेरे साथ सेक्स करोगी? मैंने हाँ कहा पर मैंने कहा- आज नहीं ! तब अंकल ने कहा- रोमा मैंने कल ऑफिस से छुट्टी ली है, कल करें क्या? मैंने कहा- हाँ ठीक है। और फिर मैं घर आ गई। मुझे तो कल का इन्तजार था। अगले दिन मैंने मौसी से कहा- मैं अरुण अंकल के घर जा रही हूँ, उनके कंप्यूटर में
कोई प्रोब्लम है, उन्होंने मुझे ठीक करने के लिए बुलाया था। और मैं अंकल के घर पहुँच गई। अंकल अन्डरवीयर में ही थे, उन्होंने मुझ से कहा- चलो, बेडरूम में चलते हैं। हम बेडरूम में गए तो अंकल ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मुझे चूमना चालू
कर दिया। मैं भी अब गर्म हो गई थी। अंकल ने मेरा टॉप और जीन्स उतार दी और मेरे स्तन जोर जोर दबाने लगे। मुझे अब
मजा आने लगा। फिर उन्होंने मेरी ब्रा का हुक खोल कर उसे उतार दिया और मेरे चुच्चों को चूसने
लगे और मैं उनका चेहरा अपने वक्ष पर दबाये जा रही थी। अंकल का लंड खड़ा हो गया था और अन्डरवीयर से बाहर निकलना चाहता था। मैंने
उनका अन्डरवीयर उतार दिया। अंकल कहने लगे- रोमा, तुम बहुत प्यारी हो ! मेरा लंड पकड़ लो और सहलाओ इसे ! मैंने अंकल से कहा- अंकल, आप तो आंटी को खूब चोदते होंगे, कैसा लगता है उन्हें? अंकल ने कहा- खुद चुदवा कर देख लो कि कैसा लगता है, पता चल जायेगा तुम्हें ! फिर अंकल ने मेरी पैंटी उतार दी, मैं नंगी ही शरमाती रही और अपनी चूत
को छुपाती रही। पर जब अंकल ने मेरी चूत को खोल कर अपने होंठ उस पर रखे तो मैं चहक उठी। "अंकल ऐसे ना करो ! मुझे शर्म आती है !" मैं सिमटती हुई बोली। अंकल ने कहा- इसी में तो मजा आयेगा ! और वो मेरी चूत को पागलों की तरह चूसने और चाटने लगे। फिर मैंने भी अंकल के
बाल पकड़ कर उनका मुँह अपनी चूत में टिकाया और अंकल ने अपनी जीभ
मेरी चूत में अन्दर तक घुसा दी। मैं नीचे हाथ बढ़ा कर उनके लंड को पकड़ने की कोशिश करने लगी। अंकल ने कहा- रोमा, अब तैयार हो जाओ चुदने के लिए ! और उन्होंने अपना लंड मेरी चूत के ऊपर रख दिया और अन्दर डालने लगे। मैंने उनसे कहा- मुझे दर्द हो रहा है, थोड़ा धीरे करो ! अंकल ने प्यार से मेरे होंठों को चूमते हुए कहा- थोड़ा सा दर्द तो शुरू में होगा, फिर
तो बाद में मजे ही मजे हैं। फिर अंकल ने धीरे धीरे लंड अन्दर डालना शुरू किया और एक जोर के झटके के
साथ लंड अन्दर डाल दिया। मुझे बहुत दर्द होने लगा तो अंकल मेरे ऊपर ही लेट कर मुझे प्यार करने लगे, मेरे
होंठों को चूमने लगे और मेरे उरोज़ दबाने लगे। जब मेरा दर्द कुछ कम हुआ तो अंकल
हल्के से और प्यार करते हुए धक्के मारने लगे। फिर मेरी चूत का दर्द मिठास में
बदल गया और अंकल ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और जोर जोर से मुझे चोदने लगे। इतने में मैं तो झड़ गई पर अंकल नहीं झड़ पाए थे, उन्होंने अपना लंड चूत से
निकाला और मेरी चूत को चाटने लगे। मैं वैसे ही बिस्तर पर पड़ी रही। फिर अंकल ने मेरे चूचों के बीच में लंड डाल कर उनकी चुदाई की। मैं फिर से गर्म हो गई थी, अंकल ने लंड को फिर मेरी चूत में डाला और जोर जोर
से चोदने लगे। अंकल पूरे जोश में आ गये और वो अब झड़ने वाले थे तो उन्होंने लंड को चूत से बाहर
निकाला और मेरी चूत के ऊपर झड़ गए, और फिर मुझे गले लगा कर मेरे
होंठों को चूमने लगे। अंकल और मैं काफी देर तक वैसे ही पड़े रहे, फिर मैं उठी और
बाथरूम में जाकर खुद को साफ किया और घर आ गई। यह थी मेरी अरुण अंकल के साथ चुदाई की दास्ताँ !
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