शनिवार, 23 जनवरी 2016

माँ और ताऊ जी


मेरा नाम
राज है हमांरे परिवार में मैं, माँ और पापा हैं।
मेरे पापा सेल्समैन हैं, वो
कई कई दिनो तक बाहर रहते हैं…।
वैसे भी हमांरे सारे सम्बन्धी गांव में रहते हैं, हम
साल में दो या तीन बार
जाते हैं। वहाँ हमांरे ताऊ जी रहते हैं,
उनकि पत्नी की मौत के बाद वो अकेले ही
रहते हैं। हम नवरात्रि में गाँव जाने वाले थे।
पापा भी आने वाले थे लेकिन उनको
कुछ काम आ गया तब उन्होंने हम दोनों को गांव
जाने के लिये कहा।
माँ ने कहा- ठीक है।
तब मैंने देखा कि माँ खुश थी और पैकिंग करने
लगी। हम लोग सुबह की ट्रेन से
गाँव पहुँच गये। वहाँ ताऊ जी हमें लेने के लिये आये
हुये थे। माँ उनको देख कर
खुश हो गई और ताऊ जी भी खुश हुए, उन्होने
पूछा- परिमल नहीं आया?
माँ ने कहा- उनको कुछ काम आ पड़ा है,
वो दो तीन दिन बाद आयेंगे।
और ताऊ जी माँ को देखते रहे और
माँ भी उनको देखते रही। मुझे कुछ दाल में काला
नजर आया …
हम लोग बैलगाड़ी में बैठे और ताऊ जी ने मुझे
कहा- तुम चलाओ।
मैंने कहा- ठीक है।
माँ और ताऊ जी पीछे बैठ गये। थोड़ी दूर चलने के
बाद मैंने माँ की आवाज़ सुनी,
पीछे देखा तो ताऊ जी का पैर माँ के साये में
था और माँ ने मुझ से कहा कि सामने
देख कर चलो।
हमें लोग घर पहुंचे तब माँ बाथरूम में चली गई
और थोड़ी देर बाद बाहर आई……।।
ताऊ जी ने कहा- चलो, तुमको खेत में ले चलता हूँ।
माँ मुस्कुराते हुए बोली- हाँ चलिये।
मैं भी साथ था। हम लोग खेत में पहुँचे तो मैंने
ताऊ को जी माँ की गाण्ड पर हाथ
फिराते हुए देखा।
तब माँ ने कहा- लड़का इधर है, वो देख लेगा।
उनको पता नहीं था कि मैंने देख लिया था।
तब ताऊ जी ने मुझसे कहा- बेटा, तुम दूर जा कर
खेलो। मुझे तुम्हारी माँ से
बातें करनी हैं।
तो मैंने माँ को देखा तो माँ ताऊ जी के सामने
देख कर मुस्कुरा रही थी और मुझे
कहा कि तुम यहाँ से जाओ……।
मैं वहाँ से चलने लगा और माँ-ताऊ जी भी खेत के
अन्दर दूर जाने लगे। मुझे दाल
में काला नज़र आया। मैं भी उनके पीछे पीछे
गया तो देखा कि ताऊ जी माँ की दोनों
एक पेड़ की आड़ में चले गये और माँ पेड़ से लग कर
खड़ी हो गई। अब ताऊ जी अपना हाथ
माँ के साये में डालने लगे और
माँ भी अपना साया उठा कर उनका साथ देने
लगी।
लेकिन मुझे उनकी कोई भी बातें सुनाई नहीं दे
रही थी, इसलिये मैं और नज़दीक गया
और सुनने लगा। तब वो दोनो पापा की बातें
कर रहे थे।
माँ कह रही थी- कितने दिन बाद मुझे यह
तगड़ा लौड़ा मिल रहा है, वरना परिमल का
लौड़ा तो बेकार है।
अब माँ के बुर को दोनों हाथ से फैलाया।
माँ थोड़ा सा विरोध कर रही थी लेकिन
उनके विरोध में उनकी हामी साफ दिख
रहा थी। इसके बाद ताऊ जी माँ के बुर पर लण्ड
सटा कर हलका सा कमर को धक्का लगाया।
माँ के मुह से अह्हह्हह्हह्हह की आवाज
निकल गई।
मैं समझ गया कि माँ के बुर में ताऊ जी का लण्ड
चला गया है। ताऊ जी ने कमर को
झटका देना शुरू किया। ताऊ जी जब जब जोर से
झटका लगाते थे माँ के मुँह से
आआआआआआअहह्हह्हह्हह्ह की आवाज सुनाई
पड़ती थी। कुछ देर के बाद जब ताऊ जी ने माँ
की चूचियों को मसलना शुरु
किया तो उनका जोश और भी बढ़ गया। एक
तरफ़ ताऊ जी बुर
में जोर से झटके लगाने लगे तो दूसरी तरफ़ माँ के
चूचियों को जोर जोर से मसलने
लगे।
अब माँ की बुर में लण्ड जब आधे से
ज्यादा चला गया तो माँ के मुंह से
आआआआआआहह्हह नहीं आआआआआ आह्हह्ह की आवाज
आने लगी। ताऊ जी ने माँ के होठों को
चूसना शुरु कर दिया। लगभग आधे घण्टे चोदने के
बाद ताऊ जी का बीज माँ की चूत
में गिरा। माँ भी बहुत ही खुश थी। कुछ देर के
बाद ताऊ जी ने लण्ड निकल लिया।
माँ पांच मिनट तक लेटी रही।
माँ तब उठ कर जाना चाहती थी। ताऊ जी ने
उनको रोक लिया। उन्होने माँ से कहा-
कहा जा रही हो?
तब माँ ने कहा- आज के लिये इतना बस !
तब ताऊ जी ने कहा- अभी तो और चुदाई
बाकी है, रुक जाओ तुम।
तब ताऊ जी ने माँ के पीछे जा कर माँ की गाण्ड
पर लण्ड रखा और कमर को पकड़ कर एक
जोरदार झटका मारा। माँ के मुँह से आआआआआ
आअह्हह्हहह्हह्हह्हह्ह की आवाज निकलते
ही मैं समझ गया कि माँ की गाण्ड में लण्ड
चला गया। अब ताऊ जी ने अपनी कमर को
हिलाना शुरू किया और कुछ ही देर में पूरा लण्ड
को माँ के गाण्ड में घुसा दिया।
ताऊ जी माँ के गाण्ड को लगभद दस मिनट तक
मारने के बाद जब धीरे धीरे शान्त पड़
गये तो मैं समझ गया कि माँ की गाण्ड में बीज
गिर गया है।
ताऊ जी ने लण्ड को निकाल लिया तब माँ के
पैर को थोड़ा सा फैला दिया क्योंकि माँ
ने दोनों पैरों को पूरा सटा रखा था। ताऊ
जी ने माँ की बुर को देखा, माँ से
पूछा- पेशाब नहीं करोगी?
माँ ने गरदन हिला कर कहा- नहीं।
अब ताऊ जी ने जैसे ही लण्ड को माँ की बुर के
ऊपर सटाया माँ ने अपने दोनो हाथों
से अपनी बुर को फैला दिया। ताऊ जी ने लण्ड के
अगले भाग को माँ की बुर में डाल
दिया और माँ की चूचियों को पकड़ कर एक
जोरदार झटके के साथ अपने लण्ड को अन्दर
घुसा दिया।
माँ मुँह से आआआह्हफ़्फ़फ़्फ़फ़ईईरीईईई धीईईईईईई
आआआआआह्हह्स इस्सस्सस्स स्सस्हह्हह
कर रही थी। ताऊ जी पर उनके इस बात
का कोई असर नहीं हो रहा था। वो हर चार
पांच
छोटे झटके के बाद एक जोर का झटका दे रहे थे।
उनका लण्ड जब आधे से ज्यादा अन्दर
चला गया तो माँ ने ताऊ जी से कहा- अब और
अन्दर नहीं डालियेगा वरना मेरी बुर फट
जायेगी।
ताऊ जी ने कहा- अभी तो आधा बाहर ही है।
माँ ने यह समझ लिया कि आज उनकी गोरी चूत
फटने वाली है। माँ की हर कोशिश को
नाकाम करते हुए ताऊ जी माँ के चूत में अपने
लण्ड को अन्दर ले जा रहे थे। माँ
ने जब देखा कि अब बरदाश्त से बाहर
हो रहा है तो उन्होंने ताऊ जी से कहा- मैं
आपसे बहुत छोटी हूँ
आआआआह्हह्हह्हह््लल्लल्लीईईईईज़्ज़ज़्ज़ज़्ज़।
आआआह्हह। नहीईईई
उईआआआअह्ह्हह्हह।
ताऊ जी ने लगातार कई जोरदार झटके मार कर
पूरे लण्ड को माँ के बुर में घुसा
दिया तथा माँ की चूचियों को मसला। अब
माँ को भी मजा आने लगा था। शायद माँ को
इसी का इन्तजार था। ताऊ जी ने अपने झांट
को माँ की झाँट में पूरी तरह से सटा
दिया और इस तरह से उन्होंने पूरे पैंतीस मिनट
तक माँ की चुदाई की। इसके बाद
माँ और ताऊ जी शान्त पड़ गये तब मैं समझ
गया कि माँ की बुर में ताऊ जी का बीज
गिर गया है। वो दोनो पूरी तरह से थक चुके थे।
अब ताऊ जी ने लण्ड को निकाल दिया
और माँ की बगल में लेट गये। फ़िर दोनो ने कपड़े
पहने और वहाँ से चलने लगे। तब
मैं भी वहाँ से हट
गया ताकि उनको पता ना चले कि मैंने सब कुछ
देख लिया है। हम
तीनों घर वापस आ गये।
ताऊ जी माँ को देख कर मुस्कुराने लगे
कि तुम्हारे बेटे को कुछ नहीं पता चला।
लेकिन मैंने भी उनको ऐसा ही दिखाया कि मुझे
कुछ नहीं पता है।
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