दोस्तों, मेरा नाम वीणा है और मै एक गावं मे रहती हु | हम लोगो के गावं मे दबंग लोगो का काफी कोहराम है और वो लोगो अपने आगे किसी को कुछ नहीं समझते | मेरे पति एक किसान है | हम लोगो के यहाँ पर लड़की की शादी ६-७ साल की उम्र मे ही कर दी जाती है, लेकिन लड़की १८ साल की होने बाद ही उसके घर से विदा होती है | मेरी शादी भी, जब मै १० साल की थी, तभी हो गयी थी | लेकिन, मैने अपने पति को पहली बार जब वो मुझे लेने आये थे तभी देखा था | तब मेरी उम्र २१ साल की थी और मेरे पति २३ साल के | हम दोनों के माँ-बाप ने, समाज से डर कर हमारी शादी तो बचपन मे करवा दी थी, लेकिन मेरी माँ ने मुझे २१ साल से पहले विदा करने से मना कर दिया था | मेरे पति के घर वाले भी राजी थे और मेरे गोना, मेरी माँ की मर्ज़ी से हुआ | अपने जवानी के दिनों मे बला की खुबसूरत थी और लोगो का दिल मेरे लिए धड़कता और मुझे देखते ही, उनके लंड उनकी धोतियो मे से फुंकारने लगते थे |जब मै विदा होकर, अपने पति के गावं आयी तो उनके गावं के लोगो का भी वही हाल होने लगा और लोगो किसी ना किसी बहाने से मेरे पति को मिलने घर आते और मेरे शरीर का रसपान करते | मेरे ससुराल मे, केवल मेरे पति ही कमाते थे और मेरे सास-ससुर काफी बीमार रहते थे | कुछ समय बाद, मेरे सास-ससुर काफी बीमार हो गये और उनको शहर मे इलाज़ करवाने की जरुरत थी | उस समय, खेती का समय नहीं था और हमे अपने पैसों की काफी जरुरत थी | मेरे पति ने, साहूकार से कुछ समय के लिए पैसा उधार ले लिया और साहूकार ने भी, हमारी मज़बूरी का फायदा उठाया | उसने मेरे पति को समय और ब्याज के फेर ऐसा फसाया, कि वो कभी भी उधार ना उतार सके और ऐसा ही हुआ, मेरे पति समय पर उधार नहीं उतार पाए और साहूकार पुलिस को लेकर हमारे घर पर आ धमका और हमें घर खाली की धमकी देने लगा | हम लोग घर नहीं छोड़ सकते थे; मैने और मेरे पति ने साहूकार की मिन्नतें करनी शुरू कर दी | साहूकार के चेहरे पर मुस्कान आ गये और उसने पुलिस को विदा कर दिया और मेरे पति के साथ घर के अन्दर आ गया |उसने, फिर मेरे पति से सारी बातें की और बोला, एक शर्त पर मै तुम्हारा सारा क़र्ज़ माफ़ कर सकता, अगर तुम मुझे अपनी बीवी के साथ संभोग करने दो और मुझे मेरे जिस्म की प्यास बुझाने दो | मेरे पति के चेहरे के भाव बदल गये और उनको गुस्सा आ गया | उन्होंने खड़े होकर, साहूकार की गर्दन पकड़ ली और उसको मरना शुरू कर दिया | मैने बड़ी मुश्किल से बीच-बचाव करके साहूकार को छुड़ाया और उसको जाने को बोला | मैने अपने पति को काफी समझाने की काफी कोशिश की, कि कुछ ही घंटो की बात है और मै उनको परेशान नहीं देख सकती | लेकिन, मेरे पति नहीं माने | फिर, एक दिन मैने ही निर्णय लिया और खुद ही साहूकार के पास चली गयी | मैने साहूकार से बात की और उससे वायदा किया, कि मै एक बार उसे अपना शरीर से खेलने दूंगी; लकिन उसको पहले मेरे पति का सारा क़र्ज़ माफ़ करना होगा और मुझे पहले ये बात लिखित मे देनी होगी | मेरे पति पढ़े-लिखे नही थे, लेकिन मै कुछ क्लास पढ़ी थी और मुझे सारे पेपर पढने आते थे | मैने साहूकार से क़र्ज़ माफ़ी के पेपर लिए और उसको ४ दिन बाद आने का वायदा किया | मैने सारे पेपर लेजाकर अपने पति को दे दिये और बोला, कि साहूकार का सारा क़र्ज़ अदा हो गया |मैने पति ने जब मुझे पूछा, तो मैने उनको कहाँ कि मेरी माँ के पास मेरे कुछ जेवर पढ़े थे, जो मैने ही उनके पास अपने बुरे समय के लिए रखवाए थे | उनको बेचकर मैने साहूकार का सारा क़र्ज़ उतार दिया | पति और मेरे सास-ससुर सब खुश थे और उस रात सब ने, बिना किसी परेशानी के खाना खाया और मेरे पति ने मुझे जमकर चोदा | चार दिन बाद, मेरे पति को मेरे सास-ससुर को शहर लेकर जाना था | वो सुबह-सुबह शहर चले गये थे और मै घर का सारा काम निपटा कर साहूकार की दूकान पर चली गयी | लाला ने इधर-उधर देखा और मुझे अपने घर मे बुला लिया | और खुद घुसते ही दरवाजा बंद कर लिया |लाला बड़ा ही बैचेन आदमी था और उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया और अपने हाथ मेरे चूचो पर रख दिये और उनको दबाने लगा | लाला था तो बुड्ढा, लेकिन उसके हाथो मे जान थी | लाला ने अपना शरीर मेरे शरीर से चिपका लिया और मस्ती मे मेरे शरीर को चूसने लगा | उसका लंड एक दम सध चुका था और उसकी धोती से खड़ा लंड बाहर आने लगा था और उसका खड़ा लंड मेरी गांड की लकीर पर लग रहा था | लाला मस्ती मे आ चुका था और उपना शरीर मेरे शरीर से रगड़ने लगा और उसका लंड मेरी गांड से रगड़ खा रहा था | मै सिर्फ मज़बूरी मे, लाला के पास आयी थी, लेकिन लाला के लंड रगड़ मुझे भी बैचेन करने लगी | लाला ने मुझे अपनी तरफ घुमाया और मेरा पल्लू गिरा दिया और मेरे चूचो पर अपने होठ रख दिये | उसके होठो की गर्माहट को अपने शरीर पर महसूस करके, मै तड़प उठी और मेरे मुह से इसस…निकल गयी | लाला समझ गया, कि मुझे भी मज़ा आने लगा है और मै गरम हो चुकी हु | लाला का लंड लगातार फड़क रहा था और बुड़ापे की वजह से वो ज्यादा झेल नहीं पा रहा था और उसने मेरी पूरी साड़ी खीच ली और मेरे ब्लाउज और पेटीकोट को खोलकर मुझे पूरा नंगा कर दिया और खुद भी सारे कपडे उतार फेके | लाला, मेरा गोरा और कामुक जिस्म देखकर पागल हो गया था और मेरी चूत के पास छोटे बालो ने उसको दीवाना कर दिया | लाला अपने घुटनों पर बैठ गया पर अपनी जीभ से मेरी चूत को चाटने लगा | लाला की जीभ बड़ी मस्ती मे चल रही थी और मेरे शरीर की गर्मी मुझे पागल बना रही थी और मेरा शरीर मस्ती मे मचलने लगा | समय काफी होने लगा और माहौल भी काफी गरम हो गया था | मैने, लाला को बोला; लाला आग तो लगा दी, बुझा भी सकते हो या नहीं | लाला ने मुझे गोदाम मे रखी हुई बोरियो पर धक्का मार दिया और मै गिर पड़ी |लाला ने मेरे ऊपर गिर पड़ा और उसने मेरे पैरो को खोल दिया और अपना लंड हाथ से हिलाते हुए, मेरी चूत पर रगड़ने लगा और एक ही धक्के के साथ, उसने अपना लंड मेरी चूत मे घुसा दिया | साला लाला, दो ही धक्को मे देर हो गया और उसका वीर्य सारी जमीन पर फैल गया और लाला बराबर मे जमीन पर गिर गया | मेरी आग अभी बाकी थी, मै उठी और लाला के मुह पर अपनी चूत लगा दी और उसके बालो को खीचकर उसकी जीभ से अपने को चुदवाने लगी | मैने लाला के मुह पर थूक दिया और बोली, क्यों साले? सारी मर्दानी ख़त्म हो गयी | अगर चोदने की औकात नहीं थी, तो आग मे हाथ क्यों डाला | कुछ देर मे, मैने भी अपना पानी लाला के मुह पर छोड़ दिया और लाला के घर के स्नानघर मे चली गयी | कुछ देर, वहा बैठने के बाद मैने अपने आप को साफ़ किया और कपडे पहन कर बाहर आ गयी | लाला भी कपडे पहनकर अपनी दूकान पर जा चुका था और मै पीछे के रास्ते से घर चली गयी | घर पहुचकर, मै नहाने चली गयी और कुछ देर के लिए सो गयी | अब सब कुछ ठीक हो गया था और लाला को भी मेरे साथ सभोग करके अक्कल आ गयी थी और उसने फिर कभी मेरे सामने नज़रे उठाकर नहीं देखा |
उधार के बदले बीवी का जिस्म
दोस्तों, मेरा नाम वीणा है और मै एक गावं मे रहती हु | हम लोगो के गावं मे दबंग लोगो का काफी कोहराम है और वो लोगो अपने आगे किसी को कुछ नहीं समझते | मेरे पति एक किसान है | हम लोगो के यहाँ पर लड़की की शादी ६-७ साल की उम्र मे ही कर दी जाती है, लेकिन लड़की १८ साल की होने बाद ही उसके घर से विदा होती है | मेरी शादी भी, जब मै १० साल की थी, तभी हो गयी थी | लेकिन, मैने अपने पति को पहली बार जब वो मुझे लेने आये थे तभी देखा था | तब मेरी उम्र २१ साल की थी और मेरे पति २३ साल के | हम दोनों के माँ-बाप ने, समाज से डर कर हमारी शादी तो बचपन मे करवा दी थी, लेकिन मेरी माँ ने मुझे २१ साल से पहले विदा करने से मना कर दिया था | मेरे पति के घर वाले भी राजी थे और मेरे गोना, मेरी माँ की मर्ज़ी से हुआ | अपने जवानी के दिनों मे बला की खुबसूरत थी और लोगो का दिल मेरे लिए धड़कता और मुझे देखते ही, उनके लंड उनकी धोतियो मे से फुंकारने लगते थे |जब मै विदा होकर, अपने पति के गावं आयी तो उनके गावं के लोगो का भी वही हाल होने लगा और लोगो किसी ना किसी बहाने से मेरे पति को मिलने घर आते और मेरे शरीर का रसपान करते | मेरे ससुराल मे, केवल मेरे पति ही कमाते थे और मेरे सास-ससुर काफी बीमार रहते थे | कुछ समय बाद, मेरे सास-ससुर काफी बीमार हो गये और उनको शहर मे इलाज़ करवाने की जरुरत थी | उस समय, खेती का समय नहीं था और हमे अपने पैसों की काफी जरुरत थी | मेरे पति ने, साहूकार से कुछ समय के लिए पैसा उधार ले लिया और साहूकार ने भी, हमारी मज़बूरी का फायदा उठाया | उसने मेरे पति को समय और ब्याज के फेर ऐसा फसाया, कि वो कभी भी उधार ना उतार सके और ऐसा ही हुआ, मेरे पति समय पर उधार नहीं उतार पाए और साहूकार पुलिस को लेकर हमारे घर पर आ धमका और हमें घर खाली की धमकी देने लगा | हम लोग घर नहीं छोड़ सकते थे; मैने और मेरे पति ने साहूकार की मिन्नतें करनी शुरू कर दी | साहूकार के चेहरे पर मुस्कान आ गये और उसने पुलिस को विदा कर दिया और मेरे पति के साथ घर के अन्दर आ गया |उसने, फिर मेरे पति से सारी बातें की और बोला, एक शर्त पर मै तुम्हारा सारा क़र्ज़ माफ़ कर सकता, अगर तुम मुझे अपनी बीवी के साथ संभोग करने दो और मुझे मेरे जिस्म की प्यास बुझाने दो | मेरे पति के चेहरे के भाव बदल गये और उनको गुस्सा आ गया | उन्होंने खड़े होकर, साहूकार की गर्दन पकड़ ली और उसको मरना शुरू कर दिया | मैने बड़ी मुश्किल से बीच-बचाव करके साहूकार को छुड़ाया और उसको जाने को बोला | मैने अपने पति को काफी समझाने की काफी कोशिश की, कि कुछ ही घंटो की बात है और मै उनको परेशान नहीं देख सकती | लेकिन, मेरे पति नहीं माने | फिर, एक दिन मैने ही निर्णय लिया और खुद ही साहूकार के पास चली गयी | मैने साहूकार से बात की और उससे वायदा किया, कि मै एक बार उसे अपना शरीर से खेलने दूंगी; लकिन उसको पहले मेरे पति का सारा क़र्ज़ माफ़ करना होगा और मुझे पहले ये बात लिखित मे देनी होगी | मेरे पति पढ़े-लिखे नही थे, लेकिन मै कुछ क्लास पढ़ी थी और मुझे सारे पेपर पढने आते थे | मैने साहूकार से क़र्ज़ माफ़ी के पेपर लिए और उसको ४ दिन बाद आने का वायदा किया | मैने सारे पेपर लेजाकर अपने पति को दे दिये और बोला, कि साहूकार का सारा क़र्ज़ अदा हो गया |मैने पति ने जब मुझे पूछा, तो मैने उनको कहाँ कि मेरी माँ के पास मेरे कुछ जेवर पढ़े थे, जो मैने ही उनके पास अपने बुरे समय के लिए रखवाए थे | उनको बेचकर मैने साहूकार का सारा क़र्ज़ उतार दिया | पति और मेरे सास-ससुर सब खुश थे और उस रात सब ने, बिना किसी परेशानी के खाना खाया और मेरे पति ने मुझे जमकर चोदा | चार दिन बाद, मेरे पति को मेरे सास-ससुर को शहर लेकर जाना था | वो सुबह-सुबह शहर चले गये थे और मै घर का सारा काम निपटा कर साहूकार की दूकान पर चली गयी | लाला ने इधर-उधर देखा और मुझे अपने घर मे बुला लिया | और खुद घुसते ही दरवाजा बंद कर लिया |लाला बड़ा ही बैचेन आदमी था और उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया और अपने हाथ मेरे चूचो पर रख दिये और उनको दबाने लगा | लाला था तो बुड्ढा, लेकिन उसके हाथो मे जान थी | लाला ने अपना शरीर मेरे शरीर से चिपका लिया और मस्ती मे मेरे शरीर को चूसने लगा | उसका लंड एक दम सध चुका था और उसकी धोती से खड़ा लंड बाहर आने लगा था और उसका खड़ा लंड मेरी गांड की लकीर पर लग रहा था | लाला मस्ती मे आ चुका था और उपना शरीर मेरे शरीर से रगड़ने लगा और उसका लंड मेरी गांड से रगड़ खा रहा था | मै सिर्फ मज़बूरी मे, लाला के पास आयी थी, लेकिन लाला के लंड रगड़ मुझे भी बैचेन करने लगी | लाला ने मुझे अपनी तरफ घुमाया और मेरा पल्लू गिरा दिया और मेरे चूचो पर अपने होठ रख दिये | उसके होठो की गर्माहट को अपने शरीर पर महसूस करके, मै तड़प उठी और मेरे मुह से इसस…निकल गयी | लाला समझ गया, कि मुझे भी मज़ा आने लगा है और मै गरम हो चुकी हु | लाला का लंड लगातार फड़क रहा था और बुड़ापे की वजह से वो ज्यादा झेल नहीं पा रहा था और उसने मेरी पूरी साड़ी खीच ली और मेरे ब्लाउज और पेटीकोट को खोलकर मुझे पूरा नंगा कर दिया और खुद भी सारे कपडे उतार फेके | लाला, मेरा गोरा और कामुक जिस्म देखकर पागल हो गया था और मेरी चूत के पास छोटे बालो ने उसको दीवाना कर दिया | लाला अपने घुटनों पर बैठ गया पर अपनी जीभ से मेरी चूत को चाटने लगा | लाला की जीभ बड़ी मस्ती मे चल रही थी और मेरे शरीर की गर्मी मुझे पागल बना रही थी और मेरा शरीर मस्ती मे मचलने लगा | समय काफी होने लगा और माहौल भी काफी गरम हो गया था | मैने, लाला को बोला; लाला आग तो लगा दी, बुझा भी सकते हो या नहीं | लाला ने मुझे गोदाम मे रखी हुई बोरियो पर धक्का मार दिया और मै गिर पड़ी |लाला ने मेरे ऊपर गिर पड़ा और उसने मेरे पैरो को खोल दिया और अपना लंड हाथ से हिलाते हुए, मेरी चूत पर रगड़ने लगा और एक ही धक्के के साथ, उसने अपना लंड मेरी चूत मे घुसा दिया | साला लाला, दो ही धक्को मे देर हो गया और उसका वीर्य सारी जमीन पर फैल गया और लाला बराबर मे जमीन पर गिर गया | मेरी आग अभी बाकी थी, मै उठी और लाला के मुह पर अपनी चूत लगा दी और उसके बालो को खीचकर उसकी जीभ से अपने को चुदवाने लगी | मैने लाला के मुह पर थूक दिया और बोली, क्यों साले? सारी मर्दानी ख़त्म हो गयी | अगर चोदने की औकात नहीं थी, तो आग मे हाथ क्यों डाला | कुछ देर मे, मैने भी अपना पानी लाला के मुह पर छोड़ दिया और लाला के घर के स्नानघर मे चली गयी | कुछ देर, वहा बैठने के बाद मैने अपने आप को साफ़ किया और कपडे पहन कर बाहर आ गयी | लाला भी कपडे पहनकर अपनी दूकान पर जा चुका था और मै पीछे के रास्ते से घर चली गयी | घर पहुचकर, मै नहाने चली गयी और कुछ देर के लिए सो गयी | अब सब कुछ ठीक हो गया था और लाला को भी मेरे साथ सभोग करके अक्कल आ गयी थी और उसने फिर कभी मेरे सामने नज़रे उठाकर नहीं देखा |
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