रविवार, 24 जनवरी 2016

गलत नंबर वाले ने मुझे मस्त चोदा

दोस्तों, आप सब मोबाइल फ़ोन तो प्रयोग करते ही होंगे | बहुत से लोग सारा दिन और सारी रात मोबाइल पर या बात करते रहते है या समस करते रहते है | इतनी सारी बातो के बीच मे कभी-कभी गलत नंबर भी लगा जाता है | आमतौर पर लोग गलत नंबर को भूल जाते है | लेकिन, उस गलत नंबर ने मेरी जिन्दगी को मस्ती भरी जिन्दगी मे बदल दिया | मेरा नाम उर्मी है और मै एक स्कूल मे पढ़ती हु | एक दिन मुझे एक नंबर से एक कॉल आया; उस समय मे क्लास मे थी और मेरा फ़ोन साइलेंट मोड पर था; इसलिए मैने वो कॉल नहीं देखा | स्कूल के बाद मैने उस नंबर पर कॉल किया, तो एक लड़के ने फ़ोन उठाया और और पूछा, कौन है? मैने कुछ भड़कते हुए पूछा, आप ने फ़ोन किया था और आप ही पूछ रहे हो कौन है? हमदोनों मे थोड़ी सी तू-तू-मै-मै हो गयी और उस बन्दे ने फ़ोन काट दिया |कुछ देर बाद, उस लड़के को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने मुझे एक सॉरी का समस भेजा और मैने भी उस समस का एक सभ्य-सा जवाब दे दिया | फिर उस दिन, हम दोनों ने एक दुसरे से समस-समस पर काफी बातें की और एक दुसरे के बारे मे जाना | वो किसी कंपनी मे काम करता था और उसका ऑफिस मेरे स्कूल के पास ही था | मुझे १२ साल बड़ा था वो और उसका नाम सुनील था | उस दिन हम दोनों के समस पर काफी बातें की और अगले दिन सुबह उसका फ़ोन आ गया और उसने मुझे काफ्फी के लिए पूछा | मैने कहा, तुम पागल हो; बिना तुम्हे जाने थोड़ी जाउंगी | उसने कहा, आज की मुलाकात मे जान लेना और मैने कब कहा, कि हम बाहर थोड़ी जा रहे है | हम तुम्हारे स्कूल की कैंटीन मे जा रहे है | मै स्कूल से बाहर आ चुकी थी और मैने बाहर एक बड़ी सी मस्त गाडी देखी | मैने उसको पूछा, कि कहाँ हो आप, तो उसने बोला एक बड़ी गाडी खड़ी है, तुम्हारे गेट के सामने | फिर, मैने उसको हाथ हिलाकर अपने बारे मे बताया और वो गाडी से निकल के बाहर आया | मै तो उसपर फ़िदा हो गयी | क्या मस्त लड़का था? सुंदर और मस्त | मेरे आसपास की लडकिया तो आहे भर रही थी उसपर | फिर, वो मेरी तरफ आया और मुझ से हाथ मिलाने लगा | मै कभी उसका चेहरा देख रही थी और कभी उसका हाथ | सारी लडकिया मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी |हम दोनों ने एक दुसरे का हाल चाल पूछा और स्कूल के कैंटीन मे चले गये | हम दोनों ने काफ्फी पी और फिर उसने मुझे घर छोड़ने की पेशकश की | मै बिना कुछ कहे और सुने, उसकी गाडी मे बैठ गयी | वो गाडी चला रहा था और मै उसे अपने घर का रास्ता बता रही थी | किस्मत ही, हम दोनों को मिलवाने पर तुली हुई थी, वो मेरे घर के पीछे वाली गली मे रहता था | ख़ैर, उसने मुझे घर छोड़ा और मै तो उस पर फ़िदा हो चुकी थी | मुझे उसके बारे मे नहीं पता था, तो उसे पता करना जरुरी था | उसकी कार के सारे शीशे काले थे, तो मैने आगे बढकर सारी खड्किया बंद कर दी और थोडा सा उचककर उसके होटो पर एक चुम्मा जड़ दिया | उसकी आँखे बड़ी हो गयी और मुस्कुराया | फिर, उसने गाडी को घर जाते-जाते दूसरी तरफ मोड़ दिया, जहाँ थोडा सा अँधेरा होता है और गाडी खड़ी करके मेरे चेहरे को अपने हाथो मे लेकर मेरे होटो को चूसने लगा |बहुत ही मस्त था उसका चूमना | मेरी तो चूत गीली होने लगी | फिर, उसने अपनी पेंट की जिप खोलकर अपना लंड निकला और मेरा हाथ उसपर रखकर मुठ मारने लगा | फिर उसने ऊपर-ऊपर से ही मेरे चूचो को दबा डाला | इतने मे ही, मेरी चूत गीली हो चुकी थी और मुझे डर लगने लगा | मैने उसका लंड छोड़ा और अपने कपडे ठीक किया और उसे मुझे घर छोड़ने को बोला | उसने भी मुझे कुछ नहीं बोला और चुपचाप गाडी चलाने लगा | वो उसकी सबसे बड़ी समझदारी थी | अगर, वो मुझे उस दिन जबरदस्ती से चोद देता, तो शायद मै उससे कभी नहीं मिलती; लेकिन, उस दिन उसने मुझे सिर्फ मस्ती का रास्ता बताया और मेरे अन्दर आग लगा दी |जब मै घर पहुची, तो मेरे पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे | मै उसे अपना बॉयफ्रेंड समझने लगी थी और मेरे सारे ग्रुप मे, मेरा बॉयफ्रेंड सबसे आमिर और सुंदर था और उसका लंड भी काफी बड़ा और मोटा था | मेरे ग्रुप मे सिर्फ मेरा ही बॉयफ्रेंड नहीं था और जब वो लोग अपने बॉयफ्रेंड के बारे मे बातें करते है, तो मै अन्दर से जल-भुन जाती थी और वो सब अब बॉयफ्रेंड के लंड के बारे मे मुझे बताते थे, तो मुझे बड़ा अजीब लगता था; क्योकि मैने लंड अपने हाथ मे तो क्या, असली मे देखा तक नहीं था | मै सोच रही थी, कि सब क्या-क्या बोलना है| सब कुछ मस्त था और मैने एक थैंक्स का समस उसको भेज दिया और उसने भी एक प्यारा सा समस मुझे कर दिया |२-३ दिन ऐसे ही निकल गये और हम दोनों समस-समस खेलते रहते थे | एक दिन रविवार था और मेरी और उसकी दोनों की छुट्टी थी और मै अपने कमरे मे अकेले थी और मुझे उससे से मिलने का मन कर रहा था | किस्मत उस दिन मेरे साथ थी; तभी मेरी माँ-पापा को कहीं बाहर जाना पड़ा और उनको कम से कम ३-४ घंटे लगने वाले थे | मैने उसको समस किया, मै घर मे अकेले अपनी चूत तेरे लिए ही खोल कर बैठी हु; हिम्मत है तो आजा | उसका कोई जवाब नहीं आया | २ मिनट, ३ मिनट, ५ मिनट और १० मिनट निकल गये और मैने ३-४ समस ठोक डाले; लेकिन, कोई समस नहीं आया | अब मुझे गुस्सा आने लगा | तभी छत के दरवाजे पर कुछ ठक-ठक हुई, तो मै ऊपर भागी | देखा, वो साला ऊपर खड़ा है | मैने दरवाजा खोल दिया और झूठ-मुठ की नाराज़ होने लगी | उसने अपनी जेब से एक सोने की चेन निकाली और मेरे गले मे डाल दी और बोला डार्लिंग, तुम्हरे लिए तोफाह लाने गया था; इसलिए देर हो गयी |फिर, मैने उसका हाथ पकड़ा और उसको खीचकर अपने कमरे मे ले आयी | और उसको अपने पलंग पर धक्का दे दिया | वो बोला, रेप करने का इरादा है क्या? मैने कहा कुछ ऐसा ही समझ लो | फिर, मै कूदकर उसकी छाती पर बैठ गयी और उसके होटो पर अपने होट रख दिए और उसके होटो को पागलो की तरह चूमने लगी | मुझे ऐसा लगा रहा था, कि वो दुनिया का आखरी मर्द है, जिसके पीछे सारी लड़किया पड़ी है | मैने तेजी से उसके कपडे उतारने शुरू कर दिए और उसके शर्ट के सारे बटन तोड़ डाले | उसने मुझे अब धक्का देना शुरू कर दिया और बोला, साली आज तू पागल हो गयी है | मैने कहा, हा, लेकिन आज तुझे नहीं छोडूंगी | फिर उसने मुझे आधा नंगी करके खुद ब्रा-पेंटी मे आ गयी और फिर उसने अपनी ब्रा भी खोलकर फेक दी | उसके सामने मेरे अधपके हुए चुचे झूल रहे थे; ज्यादा बड़े नहीं थे, लेकिन उनकी लालिमा किसी को भी अपने तरफ खीच सकती थी | फिर उसने मेरे चूचो को अपने हाथ मे ले लिया और उसको दबाना शुरू कर दिया | मै मस्त मे कामुक आवाज़े निकलने लगी और सी-सी-आ-आह करने लगी | उसका लंड पुरे जोर से खड़ा हो चुका था | फिर उसने नीचे हाथ डालकर अपनी पेंट को उतारा और अपने लंड को खुली हवा मे निकल लिया | उसका बड़ा लंड देखकर मेरा दम निकलने लगा |फिर, उसने मेरी पेंटी को मैने फाड़ डाला और मेरी चूत पर अपने लंड को पर रख दिया और लंड को रगड़ने लगा | मेरे शरीर मे मस्ती छाने लगी और मै मस्त आवाजो के साथ-साथ अपने शरीर को हिलाने लगी | उसने अपने लंड को अपने थूक मे पूरा डुबो दिया और मेरी चूत को भी | उसके बाद, उसने मुझे पलग पर लिटाया और फिर, चूत पर अपना लंड लगा दिया और उसकी चूचो को हल्का-हल्का दबाता रहा | मैने आँखे बंद कर रही थी | जब मुझे थोडा सा आराम मिलने लगा | तो उसने एक ही धक्के के साथ अपना पूरा लंड मेरी चूत मे डाल दिया | मै चीख उठी और सारी चादर मेरी चूत के खून मे गीली हो गयी | उसका लंड आधे से ज्यादा मेरी चूत मे था और मै सिसकिया भरकर रो रही थी | उसने मुझे चुप करवाया और धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत मे हिलाने लगा; इससे उसका दर्द कम होने लगा और उसने फिर धीरे से धक्के लगाने शुरू किये |अब मुझे भी मज़ा आने लगा था और उसका लंड मुझे कहीं अन्दर लगने लगा था | तो मैने भी अपनी गांड को मस्ती मे हिलाना शुरू कर दिया | मै झड चुकी थी और मेरा शरीर गिरने लगा था | उसने अपना लंड निकाल लिया और मुझे ऐसे ही पड़ा रहने दिया | कुछ देर हस्त्मथुन के बाद उसने अपना सारा वीर्य मेरी फटीहुई चूत पर डाल दिया | गरम-गर्म वीर्य ने मेरी चूत के फटे हुए दरवाजे को कुछ आराम दिया और फिर वो कपडे पहनकर वहा से निकल गया | मै अभी भी ऐसे ही लेटी थी | मेरे अन्दर खड़े होने की हिम्मत ही नहीं थी | लेकिन, कुछ देर बाद मुझे आराम मिला और मैने अपने कमरे को ठीक किया और सो गयी | जब माँ-पापा आये तो मैने उठकर दरवाजा खोला और चाय बनाई | तब तक मै बिलकुल ठीक थी, लेकिन रात को सोते टाइम मेरी वाट लग गयी दर्द के कारण | उस दिन के बाद तो मुझे चुदाई मे मज़ा आने लगा और अब मै एक नंबर की चुदकड़ बन गयी हु |
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