हाई दोस्तों, मेरी कक्षा में एक लड़की पढ़ती थी जिसका नाम निशु था, वो मुझसे दूर दूर ह रहती थी | उसके एक दोस्त थी जिसका नाम शेताल था | मैं शीतल को बहुत पसंद करता था पर वो मुझसे जादा बात नही करती थी | धीरे धीरे कर के मेरी और निशु की बात होने लग गयी | और उसके बाद शीतल से भी बात करने लग गयी | मुझे लगता था की शीतल भी मुझे पसंद करती हे पर बोलती नही हे | एक दिन क्या हुआ की मेने मजाक में शीतल को कहा की तुम अगर बाल ऐसे बनोगी तो जादा अच्छी लगोगी, और दूसरे दिन वो वेसे ही बाल बना के आ गयी | आने के बाद उसने मुझे दिखाया तो मेने कहा ऐसे नहीं ऐसे, तो दूसरे दिन वो फिर बदल के आ गयी और मुझसे पूछी | कुछ दिनों तक मेने उसके साथ ऐसे ही किया और मन में खुश हो गया की शीतल मुझसे प्यार करती हे | पर निशु ने मुझे बताया की वो सिर्फ तुझे अपना दोस्त मानती हे और कुछ नही, उसकी बात सुन के मेरे दिल पे पहाड टूट पड़ा और में उदास हो गया | मेने निशु को बोला की पहले क्यों नही बताई तू, वो बोली शीतल के बारे में सोचने से फुर्सत मिलेगा तब न बताउंगी | तू तो पुरे दिन उसी के बारे में ही सोचता रहता हे | मैं उदास हो के कक्षा के बाहर बैठा रहा और एक क्लास में नही गया, निचु को जब पता चला तो वो मुझे मानाने आ गयी और फिर मुझे बहुत माने और फिर मना के कक्षा में ले गयी |दूसरे दिन उसने मुझे अपने ही स्कूल के सबसे आखिरी फ्लोर में बुलाया और वहा मुझसे बात करने लगी और बोली की आज क्या कर रहा हे तू घरमे ? मेने कहा कुक नही वोही हर रोज की तरह खा पी के सो जाऊंगा और फिर खेलने चला जाऊंगा | वो बोली की एक काम कर आज मेरे घरपे आना, मुझे कुछ काम हे | वो क्या हे की मैं दस दिन के लिए अकेली हूँ तो तो घर में बहुत काम हे जो में अकेले नही कर सकती | मैं बोला थक हे टेंशन मत ले मैं आ जाऊँगा | उस वक्त तक मेरे मन में कुछ उलटे विचार नही थे | मैं दोपहर के खाने के बाद उसके घर पहुच गया, उसने दरवाज़ा खोला और उसे दख में झटका खा गया | क्या लगती थी वो उन कपड़ो में, स्कूल के कपड़ो में तो उतना खास नही लगती थी पर घरपे तो कुछ अलग ही बात थी उसकी | उसने गुलाबी रंग का टॉप डाला था और निचे उसने हाफ पेंट पहनी हुई थी | इसमे उसकी कमर का सही अंदाज़ा हो रहा था और उसकी टाँगे तो एक दम गोरी गोरी जिसमे एक बाल भी नही थे शायद, एक दम कमाल की लग रही थी वो | उसने मुझे अंदर बुलाया और पानी पिलाई और फिर मुझे बतेहने को कहा | मैं बैठ गया और फिर हम दोनों यहाँ वहा की बातें करने लगे | वो मुझे अपनी घर की एल्बम दिखाने लग गयी, मेरा मन तो नही था पर देखना पड रहा था, उसे पता चल गया की मेरा मन नही हे देखना का, सो मई कही घर चला न जून इसीलिए उसने एल्बम एक तरफ रख दिया और मुझसे चिपक के बैठ गयी और मेरे आँखों में झाकने लग गयी, और बोली और सुना कुछ ? मैं बोला और क्या सुनना हे तुझे ये बता ? वो कुछ नही बोली बस मुझे दखती जा रही थी, उसकी आँखों में अजीब सा कुछ लग रहा था जेसे उसे कुछ चहिये और मन ही मन मुझसे मान रही हे ऐसा लग रहा था मुझे उसकी आँखों में देख के |मेने उसके होठो को झटके में चुप लिया, वो फिर भी मुझे देखती गयी और कुछ नही बोली | थोड़े देर के बाद मुझसे लिपट गयी और बोलने लगी समीर में तुमसे बहुत प्यार करती हूँ, तुम मेरे हो और मेरे और किसी के नही हो | तुम अबसे सिर्फ मेरे हो और किसी के नही हो सकते तुम | मेने भी कह दिया हाँ निशु मैं भी तुमसे प्यार करता हूँ और तुम भी मेरी हो | अब वो मुझे दखने लग गयी और फिर मुझे चूमने लगी, मैं भी उसे चूमने लगा और उसे कस के गले लगा लिया | वो अब मेरे पीठ पे हाथ फेरने लग गयी और मुझसे एक दम लिपट गयी | अब हम दोनों एक दूसरे को चूमे जा रहे थे | वो मुझे उपर के कमरे में ले जाने लगी, पर में सोचा उपर जाके क्या करना हे सो मी उसे मना कर दिया और फिर मेने उसे उसके बिस्तर पे बिठा दिया और उसे फिरसे चूमने लगा, वो भी मेरा भर पुर साथ दे रही थी | हम दोनों करीब दस मिनट तक किस किये और फिर मेने उसे बिस्तर पे लेटा दिया और उसके उपर चड गया में और फिर उसे चूमने लगा, मैं उसके गालो को फिर उसके होठो को चूसने लगा | उसके होठो को चूसने में काफी मज़ा आ रहा था, कमाल के होठ थे उसके एक दम नरम नरम मज़ा आ गया था | वो मेरे मुह में अपना जीभ डाल देती और फिर हम दोनों एक दूसरे के होठो को चूसते रहते | मैं कुछ देर के बाद उसके छाती पे हाथ ले आया और फिर उसके चुचो को दबाने लग गया, उसके चुचे मुझे काफी बड़े बड़े लग रहे थे और बहुत नरम भी थे एक दम उसके होठो की तरह | मैं उठा और अपने कपडे उतार लिया और उसे भी बोला, पहले तो वो मना की पर फिर मान गयी जब मेने बोला तुम मुझसे प्यार नही करती क्या ? अब हम दोनों नंगे थे |उसकी चुत पे हल्के फुल्के बाल थे, पर चुत दिखाई दे रही थी | वो मेरा लंड दख के बोली, ये क्या हे इतना बड़ा सा ? वो बोली की उसने छोटे बच्चो का देखा हे पर वो तो उन्ग्लिस इ भी छोटे होते हे, ये तो हाथ जितना बड़ा हे | मेने बोला की वो बच्चे हे, मैं बड़ा हूँ इसीलिए मेरा ये भी बड़ा हे, और ये सिर्फ तुम्हारे लिए हे, आओ इसे प्यार करो | वो धीरे धीरे हाथ बढ़ाते हुए उसने मेरा लंड पकड़ा और फिर उसे हिलाने लग गयी, बिच बिच में मसल भी देती | कुछ देर के बाद, वो लेट गयी और में उसके चुचो को चूसने लग गया, उसके निप्पल एक दम गुलाभी रंग के थे और मुझे चूसने में बहुत मज़ा आ रहा था | वो सिसकिय भरने लग गयी थी, और मेरे सर पे हाथ फेरे जा रही थी | में उसके चुचो को बारी बारी से चूसता और मसलता रहता, वो मेरे कभी पीठ पे हाथ फेरती तो कभी मेरे सर पे, इसी तरह करीब बीस मिनट गुजर गए और फिर में उसकी चुत की तरफ आ गया | उसकी चुत पे तो पहले मेने ऊँगली फेरा और वो मचलने लग गयी, मुझे उसका मचलना दख के काफी मज़ा आया, सो मेने अपनी जीभ रख दी उसकी चुत पे और फिर दीरे धीरे उसकी चुत पे जीभ फेरने लग गया | अब उसकी जिस्म की गर्माहट मुझे साफ़ साफ़ महसूस हो रहा था, वो अब सिसकिय पे सिसकिय भरी जा रही थी और अपने सर को बिस्तर पर रगद रही थी, उसे दख के मुझे बहुत अच्छा लग रहा था | वो मेरे बालो पे हाथ फेरे जा रही थी और मै उसकी चुत पे कस कस के जीभ रगड रहा था, वो एक दम से पागल होए जा रही थी और मै उसकी चुत की पंखडियो को अपने होठो से काट रहा था और मस्ती किये जा रहा था | मैं उसकी चुत की पंखडियो को अपने होठो मै दबा के उसे बार बार खीच रहा था, उसकी चुत से लगातार पाने निकले जा रहा था | मुझे उसकी चुत की खुशबु पागल सा बना रही थी, क्या खुशबु थी उसकी चुत की मज़ा आ गया उस वक़्त मुझे |अब वो मेरे सामने गिदगिदाने लग गयी की कुछ करो, मुझसे रहा नही जा रहा | अजीब सा हो रहा हें यहाँ पे क्कुह करो जल्दी, मैं अब जादा देर न करते हुए उसकी चुत पे लंड रखा और धक्का दिया, उसकी चुत एक दम कसी कुंवारी चुत थी | घुसाड़ने मै बहुत म्हणत लगा और उसे दर्द भी बहुत हुआ | वो तो फुट फुट के रोने लग गयी उस वक़्त | मेने उसके होतो पे अपना होठ रख दिया और निचे आराम आराम से काम चालू रखा | वो काफी देर तक तदपि दर्द के कारण पर कुछ देर के बाद शांत हो गयी | तब भी मेने निचे का काम चालू रखा और फिर धीरे से उसके होठो के उपर से आपने होठ को हटा लिया और उसके चूचो को चूसने लग गया | अब उसे काफी मज़ा आ रहा था जो उसके चेहरे से साफ़ झलक रहा था | वो अब अपनी बालो को सम्भाल रही थी और उफ़ ह्म्म्मम्म्म्म उ उ उ उ य्स्सस्स्स्स ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह किये जा रही थी | उसके साथ साथ मुझे भी काफी मज़ा आ रहा था | इतना मज़ा न मुझे आजतक कभी मिला और न ही उसको | हम दोनों तो जेसे स्वर्ग मै उड़ रहे थे इतना मज़ा हम दोनों को आज तक कभी नही मिला जो उस वक़्त हम दोनों ने मिलके हासिल किया | वो मुझे कस के पकड़ ली और अपने तरफ खीचने लगी और कहने लगी जोर जोर से करो जो भी कर रहे हो | वो अब कस कस के कराहने लग गयी और उफ्फफ्फ्फ़ ह्म्म्मम्म किये जा रही थी |कुछ देर के इस मस्त चुदाई के बाद वो बोली की मेरा पानी निकलने वला हें और उस वक़्त तक मेरा भी निकलने वाला ही था | वो बोली की मै आ रही हूँ उफ्फ्फ म्मम्मम्म ऐईईईई और बोलते बलते वो झड़ गयी और उसने मेरे हाथो को ढीला छोड़ दिया और उसी पल मै भी उसी की चुत मै झड़ गया | हम दोनों एक दुसरे से चिपक के सो गये और जब उठे तब हम दोनों ने एक दुसरे को चूमा और फिर मै उसके घर से चला गया |
प्यार किया किसी और से प्यार दिया किसी और ने
हाई दोस्तों, मेरी कक्षा में एक लड़की पढ़ती थी जिसका नाम निशु था, वो मुझसे दूर दूर ह रहती थी | उसके एक दोस्त थी जिसका नाम शेताल था | मैं शीतल को बहुत पसंद करता था पर वो मुझसे जादा बात नही करती थी | धीरे धीरे कर के मेरी और निशु की बात होने लग गयी | और उसके बाद शीतल से भी बात करने लग गयी | मुझे लगता था की शीतल भी मुझे पसंद करती हे पर बोलती नही हे | एक दिन क्या हुआ की मेने मजाक में शीतल को कहा की तुम अगर बाल ऐसे बनोगी तो जादा अच्छी लगोगी, और दूसरे दिन वो वेसे ही बाल बना के आ गयी | आने के बाद उसने मुझे दिखाया तो मेने कहा ऐसे नहीं ऐसे, तो दूसरे दिन वो फिर बदल के आ गयी और मुझसे पूछी | कुछ दिनों तक मेने उसके साथ ऐसे ही किया और मन में खुश हो गया की शीतल मुझसे प्यार करती हे | पर निशु ने मुझे बताया की वो सिर्फ तुझे अपना दोस्त मानती हे और कुछ नही, उसकी बात सुन के मेरे दिल पे पहाड टूट पड़ा और में उदास हो गया | मेने निशु को बोला की पहले क्यों नही बताई तू, वो बोली शीतल के बारे में सोचने से फुर्सत मिलेगा तब न बताउंगी | तू तो पुरे दिन उसी के बारे में ही सोचता रहता हे | मैं उदास हो के कक्षा के बाहर बैठा रहा और एक क्लास में नही गया, निचु को जब पता चला तो वो मुझे मानाने आ गयी और फिर मुझे बहुत माने और फिर मना के कक्षा में ले गयी |दूसरे दिन उसने मुझे अपने ही स्कूल के सबसे आखिरी फ्लोर में बुलाया और वहा मुझसे बात करने लगी और बोली की आज क्या कर रहा हे तू घरमे ? मेने कहा कुक नही वोही हर रोज की तरह खा पी के सो जाऊंगा और फिर खेलने चला जाऊंगा | वो बोली की एक काम कर आज मेरे घरपे आना, मुझे कुछ काम हे | वो क्या हे की मैं दस दिन के लिए अकेली हूँ तो तो घर में बहुत काम हे जो में अकेले नही कर सकती | मैं बोला थक हे टेंशन मत ले मैं आ जाऊँगा | उस वक्त तक मेरे मन में कुछ उलटे विचार नही थे | मैं दोपहर के खाने के बाद उसके घर पहुच गया, उसने दरवाज़ा खोला और उसे दख में झटका खा गया | क्या लगती थी वो उन कपड़ो में, स्कूल के कपड़ो में तो उतना खास नही लगती थी पर घरपे तो कुछ अलग ही बात थी उसकी | उसने गुलाबी रंग का टॉप डाला था और निचे उसने हाफ पेंट पहनी हुई थी | इसमे उसकी कमर का सही अंदाज़ा हो रहा था और उसकी टाँगे तो एक दम गोरी गोरी जिसमे एक बाल भी नही थे शायद, एक दम कमाल की लग रही थी वो | उसने मुझे अंदर बुलाया और पानी पिलाई और फिर मुझे बतेहने को कहा | मैं बैठ गया और फिर हम दोनों यहाँ वहा की बातें करने लगे | वो मुझे अपनी घर की एल्बम दिखाने लग गयी, मेरा मन तो नही था पर देखना पड रहा था, उसे पता चल गया की मेरा मन नही हे देखना का, सो मई कही घर चला न जून इसीलिए उसने एल्बम एक तरफ रख दिया और मुझसे चिपक के बैठ गयी और मेरे आँखों में झाकने लग गयी, और बोली और सुना कुछ ? मैं बोला और क्या सुनना हे तुझे ये बता ? वो कुछ नही बोली बस मुझे दखती जा रही थी, उसकी आँखों में अजीब सा कुछ लग रहा था जेसे उसे कुछ चहिये और मन ही मन मुझसे मान रही हे ऐसा लग रहा था मुझे उसकी आँखों में देख के |मेने उसके होठो को झटके में चुप लिया, वो फिर भी मुझे देखती गयी और कुछ नही बोली | थोड़े देर के बाद मुझसे लिपट गयी और बोलने लगी समीर में तुमसे बहुत प्यार करती हूँ, तुम मेरे हो और मेरे और किसी के नही हो | तुम अबसे सिर्फ मेरे हो और किसी के नही हो सकते तुम | मेने भी कह दिया हाँ निशु मैं भी तुमसे प्यार करता हूँ और तुम भी मेरी हो | अब वो मुझे दखने लग गयी और फिर मुझे चूमने लगी, मैं भी उसे चूमने लगा और उसे कस के गले लगा लिया | वो अब मेरे पीठ पे हाथ फेरने लग गयी और मुझसे एक दम लिपट गयी | अब हम दोनों एक दूसरे को चूमे जा रहे थे | वो मुझे उपर के कमरे में ले जाने लगी, पर में सोचा उपर जाके क्या करना हे सो मी उसे मना कर दिया और फिर मेने उसे उसके बिस्तर पे बिठा दिया और उसे फिरसे चूमने लगा, वो भी मेरा भर पुर साथ दे रही थी | हम दोनों करीब दस मिनट तक किस किये और फिर मेने उसे बिस्तर पे लेटा दिया और उसके उपर चड गया में और फिर उसे चूमने लगा, मैं उसके गालो को फिर उसके होठो को चूसने लगा | उसके होठो को चूसने में काफी मज़ा आ रहा था, कमाल के होठ थे उसके एक दम नरम नरम मज़ा आ गया था | वो मेरे मुह में अपना जीभ डाल देती और फिर हम दोनों एक दूसरे के होठो को चूसते रहते | मैं कुछ देर के बाद उसके छाती पे हाथ ले आया और फिर उसके चुचो को दबाने लग गया, उसके चुचे मुझे काफी बड़े बड़े लग रहे थे और बहुत नरम भी थे एक दम उसके होठो की तरह | मैं उठा और अपने कपडे उतार लिया और उसे भी बोला, पहले तो वो मना की पर फिर मान गयी जब मेने बोला तुम मुझसे प्यार नही करती क्या ? अब हम दोनों नंगे थे |उसकी चुत पे हल्के फुल्के बाल थे, पर चुत दिखाई दे रही थी | वो मेरा लंड दख के बोली, ये क्या हे इतना बड़ा सा ? वो बोली की उसने छोटे बच्चो का देखा हे पर वो तो उन्ग्लिस इ भी छोटे होते हे, ये तो हाथ जितना बड़ा हे | मेने बोला की वो बच्चे हे, मैं बड़ा हूँ इसीलिए मेरा ये भी बड़ा हे, और ये सिर्फ तुम्हारे लिए हे, आओ इसे प्यार करो | वो धीरे धीरे हाथ बढ़ाते हुए उसने मेरा लंड पकड़ा और फिर उसे हिलाने लग गयी, बिच बिच में मसल भी देती | कुछ देर के बाद, वो लेट गयी और में उसके चुचो को चूसने लग गया, उसके निप्पल एक दम गुलाभी रंग के थे और मुझे चूसने में बहुत मज़ा आ रहा था | वो सिसकिय भरने लग गयी थी, और मेरे सर पे हाथ फेरे जा रही थी | में उसके चुचो को बारी बारी से चूसता और मसलता रहता, वो मेरे कभी पीठ पे हाथ फेरती तो कभी मेरे सर पे, इसी तरह करीब बीस मिनट गुजर गए और फिर में उसकी चुत की तरफ आ गया | उसकी चुत पे तो पहले मेने ऊँगली फेरा और वो मचलने लग गयी, मुझे उसका मचलना दख के काफी मज़ा आया, सो मेने अपनी जीभ रख दी उसकी चुत पे और फिर दीरे धीरे उसकी चुत पे जीभ फेरने लग गया | अब उसकी जिस्म की गर्माहट मुझे साफ़ साफ़ महसूस हो रहा था, वो अब सिसकिय पे सिसकिय भरी जा रही थी और अपने सर को बिस्तर पर रगद रही थी, उसे दख के मुझे बहुत अच्छा लग रहा था | वो मेरे बालो पे हाथ फेरे जा रही थी और मै उसकी चुत पे कस कस के जीभ रगड रहा था, वो एक दम से पागल होए जा रही थी और मै उसकी चुत की पंखडियो को अपने होठो से काट रहा था और मस्ती किये जा रहा था | मैं उसकी चुत की पंखडियो को अपने होठो मै दबा के उसे बार बार खीच रहा था, उसकी चुत से लगातार पाने निकले जा रहा था | मुझे उसकी चुत की खुशबु पागल सा बना रही थी, क्या खुशबु थी उसकी चुत की मज़ा आ गया उस वक़्त मुझे |अब वो मेरे सामने गिदगिदाने लग गयी की कुछ करो, मुझसे रहा नही जा रहा | अजीब सा हो रहा हें यहाँ पे क्कुह करो जल्दी, मैं अब जादा देर न करते हुए उसकी चुत पे लंड रखा और धक्का दिया, उसकी चुत एक दम कसी कुंवारी चुत थी | घुसाड़ने मै बहुत म्हणत लगा और उसे दर्द भी बहुत हुआ | वो तो फुट फुट के रोने लग गयी उस वक़्त | मेने उसके होतो पे अपना होठ रख दिया और निचे आराम आराम से काम चालू रखा | वो काफी देर तक तदपि दर्द के कारण पर कुछ देर के बाद शांत हो गयी | तब भी मेने निचे का काम चालू रखा और फिर धीरे से उसके होठो के उपर से आपने होठ को हटा लिया और उसके चूचो को चूसने लग गया | अब उसे काफी मज़ा आ रहा था जो उसके चेहरे से साफ़ झलक रहा था | वो अब अपनी बालो को सम्भाल रही थी और उफ़ ह्म्म्मम्म्म्म उ उ उ उ य्स्सस्स्स्स ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह किये जा रही थी | उसके साथ साथ मुझे भी काफी मज़ा आ रहा था | इतना मज़ा न मुझे आजतक कभी मिला और न ही उसको | हम दोनों तो जेसे स्वर्ग मै उड़ रहे थे इतना मज़ा हम दोनों को आज तक कभी नही मिला जो उस वक़्त हम दोनों ने मिलके हासिल किया | वो मुझे कस के पकड़ ली और अपने तरफ खीचने लगी और कहने लगी जोर जोर से करो जो भी कर रहे हो | वो अब कस कस के कराहने लग गयी और उफ्फफ्फ्फ़ ह्म्म्मम्म किये जा रही थी |कुछ देर के इस मस्त चुदाई के बाद वो बोली की मेरा पानी निकलने वला हें और उस वक़्त तक मेरा भी निकलने वाला ही था | वो बोली की मै आ रही हूँ उफ्फ्फ म्मम्मम्म ऐईईईई और बोलते बलते वो झड़ गयी और उसने मेरे हाथो को ढीला छोड़ दिया और उसी पल मै भी उसी की चुत मै झड़ गया | हम दोनों एक दुसरे से चिपक के सो गये और जब उठे तब हम दोनों ने एक दुसरे को चूमा और फिर मै उसके घर से चला गया |
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