बुधवार, 3 फ़रवरी 2016

एक निशाने पर फँस गयी चुत


हाई यारों, मैं अपने कुछ मन्होहक यादों में से एक आपके सामने रखना चाहता हूँ जिसमें मैंने अंजलि की मस्तानी चुत मरी | मैं अकसर अपने महोल्ले में बदनाम रहता था पर हर नयी लड़की को मैं तो एक सुधरा हुआ नौजवान लगता था | इसी कारण मैं अपने कॉलोनी में हर नयी लड़की को पटाने के लिए पर एक कोशिस तो ज़रूर करता था क्यूंकि पटी तो फ़ोकट की चुत पर नहीं मिली तो. . अजी पूछने में क्या जाता है . . ! ! इसी हादसे में मैंने एक अंजलि नाम की लड़की पर भी उसे पसंद करने और उससे दोस्ती करने की बात की तो उसकी बदकिस्मती कहो की उसने मुझे हामी भी भर दी | अब वो मेरी प्रेमिका हो चुकी थी | मैंने उसे दुनिया की रासलीला दिखाने के लिए कई बार अपने बाईक पर भी घुमाया और कुछ पैसे भी उडाये |अब लेकिन उसकी चुत की बारी आ ही गयी, वैसे तो वो अपने को बहुत होशियार समझती थी पर मेरे सामने उसकी कुछ ना चली | मैंने एक दिन अपने दोस्त का घर २ घंटे के लिए खाली करवाया और १ कंडोम तकिये के नीचे छिपा दिया | मैं उस अंजलि को बाहर घुमाने के बहाने ले आया पर किसी वजह से बहाना मार उसे अपने दोस्त के घर में कुछ देर रुकने के लिए कहा | मैं वहाँ अंजलि से रोमांटिक बातें करता हुआ अपना सिर उसकी गौद में रखकर लेट गया | अब मैं उसकी गौद में लेटे – लेटे उसकी बाहों को सहलाने लगा जिससे वो गरम होने लगी | मैं उसके कंधे तक पहुँचते हुए अब उसके चुचे की ओर बढा तो वो एक दम से झटपटा गयी जिससे मैंने उसे हौले – हौले संभाला |कुछ देर बाद मैं अब अंजलि की कमीज़ को खोलते हुए उसके चुचों को बाहर निकाल लिया और उन्हें बारी – बारी चूसने लगा | उसके चुचे किसी आम के पेड़ पर लटकते हुए नज़र आ रहे थे जिन्हें मैं चूसता हुआ उसके निप्पल से साथ इतरा रहा था | मैंने अब अंजलि को वहीँ लिटा दिया और उसे गन्दी तरह से चूमने लगा जिससे उसके स्तनों और होठों को लाल कर दिया | अब मैं धीरे – धीरे अपने हाथ को उसकी कमर के नीचे लेजाते हुए सहलाने लगा और कुछ ही देर में मैं उसकी पैंट को खोल दिया | मेरा हाथ अब उसकी पैंटी के उप्पर नाच रहा था | मैंने उसकी पैंटी को भी हटा दिया और उसे एकदम नंगी कर दिया और अपनी कनकी ऊँगली को उसमें धंसाने लगा | मैं उससे अपनी ऊँगली आगे – पीछे करते वक्त जब पूछने लगा की कैसा लग रहा था तो उसने कहा,अंजलि – जान . . बहुत मज़ा आ रहा है . . ! !अब मुझे कुछ गवारा नहीं हुआ और मैंने उसे वहीँ बिस्तर पर लिटाकर अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा और तभी तकिये के नीचे रखे कंडोम को अपने लंड पर चढाते हुए अपने सुपाडे को उसकी रसीली चूत के द्वार पर रख कर जोरदार धक्के लगाने लगा | जिससे अंजलि की चुत के टांकें खुल गए और खून निकलते हुए अंजलि जोर – जोर से दर्द के मारे रोने लगी | मैंने काफ़ी देर अंजलि को पुचकारने में गुज़ार दिया और सामने रखे जूस को उसे पीलाया | अब हमारे पास सिर्फ आधा घंटा ही बचा था जिसे मैं बर्बाद ना करते हुए तेज़ी से अपना लंड अन्दर – बाहर करने लगा और वो भी सारे दर्द को भुलाकर अपनी गांड को मटकाकर चुदने के लिए तैयार हो गयी | हमने वो आधे के घंटे खूब अतरंगी ढंग से बिताए | मैंने आखिर में उसकी एक तंग को अपने हाथ से उठाते हुए मस्त वाले भारी – भारी झटके दिए और एक दम से उसकी चुत से पिचकारी निकली जिससे वो अपनी चुत पर ऊँगली रगड़ने लगी |मेरा भी सारा मुठ निकल पड़ा जिसे मैंने कोंडम में कैद कर फेंक दिया | हमने आखिर के ५ मिनट एक दूसरे को कपड़े पहनाने और चुम्मा – चाटी करने में गुज़ारे | मुझे अंजलि से जो चाहिए था वो पूरी संतुष्ठी के साथ मिल चूका था | बस इस तरह वक्त गुजरते – गुज़रते मेरे सारे दोस्तों ने उसे ऐसे ही पटाकर चोदा और कई बार तो उसके साथ ग्रुप – सेक्स भी किया |
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