ये प्रथा भारत में सभी जगह पे है| होली के दिन किसिस के ऊपर भी किसी भी प्रकार की रोक टोक नहीं|
कोए भी किसीके साथ रंग खेल सकता है| ये उत्तर भारत में जोरो शोरो और उत्साह के साथ खेला जाता है|
ये वसंत रुतु के आगमन के साथ ही कामदेव और रति कामक्रीड़ा करते है | उनके स्वागत के लिए और उनके बाणोंसे
सारा माहोल उत्तेजित जो जाता है| इसलिए लोग अपने मनकी इच्छा इसदिन पूरी करते है| मतलब जिसको चाहिए उसके साथ थोड़ी मस्ती कर सकते है| अब ऐसे दिन में दिनेश कुछ नहीं करेगा ऐसा तो हो ही नहीं सकता| उसने पहिलेसे सफ़ेद कपडे पहेनके रखे थे| और अब गोपियांका इंतजार कर रहा था|
कॉलेज के पिछेसे उसने साब व्यवस्था करके राखी थी| क्योंकि उधर ही उसके पिता का होटल था| आज लडकिय उसकी फ्रेंड्स सफ़ेद टी शर्ट नि सलवार कमीज़ पहेनके आये थे| उसने सबको होटल में आने का निमंत्रण दिया पार्टी के लिए| बस कॉलेज ख़तम होते ही वो लोग आ गए| दिनेश ने आते साथ ही सबके ऊपर अत्तर के पानी का वर्षाव किया| साब तरफ गुलाब की पंखुड़िया बरस रही थी| सब गोपिया अब मस्त भीग गयी थी| उनोहे सीधा दिनेश को ढुंढणा चालू किया और सीधा स्विमिंग पुल के तरफ गए फिर क्या दिनेश ने सबको बरी बरी टंक अन्दर खीचा और शुरू हुआ कम क्रीडा का मजा.
अन्दर 5 लड़के और 5 लडकिय बस एक्दुस्रेको दबाने लगे| किसीका स्तन किसीके मुह में तो किसीका लैंड| फिर क्या सब बहोत जादा उत्तेजित हो गए और समूह सम्भोग करने लगे| फिर सबने खूब मस्ती की और होली का मजा उठाया|
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