मंगलवार, 15 फ़रवरी 2022

मम्मी और उनकी सहेली की चूत चूस के चोदी

मम्मी और उनकी सहेली की चूत चूस के चोदी
हैल्लो दोस्तों, आप सभी लोगों की तरह में भी बहुत सेक्सी कहानियाँ पढ़ता हूँ और मुझे ऐसा करने में बहुत मज़ा आता है। में ऐसा पिछले कुछ सालों से करता आ रहा हूँ। दोस्तों मेरी हाईट 5 फिट 9 इंच है, मेरा रंग गोरा है और मेरा शरीर बहुत अच्छा है।
में दोस्ताना किस्म का हंसी मजाक करने वाला लड़का हूँ, में हर किसी को अपनी बातों से बहुत खुश कर देता हूँ। अब में सीधे अपनी आज की सच्ची घटना पर आता हूँ और में उम्मीद करता हूँ कि यह भी आप लोगों के दिल को जरुर जीत लेगी और आप लोगों को बहुत अच्छी लगेगी। दोस्तों हमारी कॉलोनी में एक महिला थी, उनकी उम्र करीब 47 साल थी, वो दिखने में मस्त थी, वो बहुत गोरी भी थी और उनका वो गदराया हुआ बदन हमेशा मेरी जान लेता था, वो दिखने में बहुत ही ज़्यादा सेक्सी थी और वो हमेशा साड़ी पहनती थी और सच में बिल्कुल कहता हूँ। दोस्तों साड़ी में वो क्या मस्त दिखती थी। साड़ी में उनकी वो गोरी कमर और गहरी नाभि, ज़्यादातर दिख जाती थी और यह सब देखकर मेरी तो सांसे रुक सी जाती थी और में उन्हें देखने के बाद सच में पागल हो जाता था, वो दिखने में ज्यादा सुंदर नहीं थी, लेकिन उनका चेहरा एक सीधी-साधी ग्रहणी की तरह था और मुझे वो बहुत पसंद थी और में उनके सेक्सी हॉट जिस्म के बारे में तो में आप सभी को पहले ही बता चुका हूँ।

अब उस दिन हुआ यह कि क्योंकि हमारा घर आसपास ही था, इसलिए मेरी मम्मी के साथ उनकी अक्सर बातें हुआ करती थी और वो मेरी मम्मी के बहुत करीब थी, इसलिए मेरा भी उनसे हर कभी आमना सामना हो जाता था, वो हमेशा मुझे उनकी किसी ना किसी काम से बाज़ार भेजती और हर कभी घर का कुछ भी सामान लाने को मुझसे कहती थी और फिर में भी बहुत खुश होकर उनका सभी काम कर दिया करता था। दोस्तों मुझे उनकी मदद करने में कोई दिक्कत नहीं थी बल्कि में बहुत खुश था कि चलो में किसी की मदद तो कर पा रहा हूँ। दोस्तों में भले ही मन ही मन उनके साथ बिस्तर पर जाने के लिए तड़प रहा था, लेकिन में मन से उनकी बहुत इज्जत भी किया करता था, क्योंकि वो मेरी मम्मी की उम्र की थी और में सच में उनकी बहुत इज्जत करता था। फिर एक दिन में बाजार से उनके बताए हुए सामान को लेकर उनके घर पर पहुँचा और फिर उन्हें वो सामान में उनके दरवाज़े के पास से ही देकर वापस जाने लगा, लेकिन तभी उन्होंने मुझे रोका और फिर मुझसे कहा कि क्या तुम अंदर नहीं आओगे? तो मैंने उनसे कहा कि नहीं आंटी कोई दिक्कत नहीं, में अब चलता हूँ और तभी आंटी ने ज़ोर डाला और वो मुझे अपने घर के अंदर ले आई। फिर आंटी ने मुझे सोफे पर बैठा दिया और मुझे पीने का पानी लाकर दे दिया, आंटी ने उस दिन हरे रंग की साड़ी पहनी हुई थी। फिर वो मुझसे कहने लगी कि ज़रा तुम क्या मेरा एक काम कर दोगे? मुझे अपनी रसोई घर में थोड़ा सा काम है, मुझे वहां से कुछ सामान को हटाना है और वहां पर जगह बनानी है। फिर मैंने तुरंत कहा कि मुझे कोई समस्या नहीं है आंटी, में आपका वो काम कर दूंगा, चलो आप मुझे बताओ। फिर हम दोनों किचन में जाने लगे और तभी मेरी नज़र उनकी साड़ी में लिपटे उनके कूल्हों पर पड़ी, जिनको देखकर मेरा लंड खड़ा होने लगा और तब मैंने खुद को जैसे तैसे संभाला और में आंटी के पीछे पीछे किचन में चला गया। अब आंटी मुझसे कहने लगी कि उन प्लास्टिक के बड़े बड़े डब्बों को वहां से हटाना है। फिर मैंने कहा कि हाँ ज़रूर में सब हटा दूंगा और अब में किचन की पट्टी पर चढ़ गया। तभी आंटी मुझसे बोली कि अरे तू यह क्या कर रहा है? रुक में कुर्सी लेकर आती हूँ। फिर मैंने उनसे कहा कि कोई दिक्कत नहीं है आंटी, में कर लूंगा। तभी आंटी बोली कि कर लूंगा के बच्चे, अगर तू नीचे गिर गया और तुझे चोट लग गई तो गये काम से, चल अब उतर नीचे, लेकिन मैंने फिर भी ना सुनते हुए में उन प्लास्टिक के डब्बों को हटाता गया और मैंने 6 से 8 मिनट के अंदर ही अपना काम खत्म कर लिया था। फिर में नीचे उतरा और आंटी मुझसे बोली कि मानेगा नहीं ना? तू मेरे ना कहने के बावजूद भी नहीं रुका। फिर मैंने कहा कि आंटी अब आप जाने भी दीजिए ना और फिर आंटी मुस्कुराते हुए मुझसे बोली कि तू बहुत ज़िद्दी हो गया है। फिर में हंस पड़ा और आंटी भी हंस पड़ी और फिर आंटी मुझसे पूछने लगी कि क्या तू चाय पियेगा? मैंने कहा कि हाँ क्यों नहीं, अगर आप इतने प्यार से कहोगे तो में आपको मना कैसे कर सकता हूँ?

फिर आंटी चाय बनाने लगी और में उनके एकदम पास में था, लेकिन थोड़ा सा पीछे होकर खड़ा हुआ था, लेकिन वहां पर उस समय में अकेला नहीं खड़ा था। दोस्तों मेरा लंड भी मेरे साथ में खड़ा हुआ था। आंटी के इतने करीब और ऊपर से घर पर भी कोई नहीं था तो अब लंड को तो खड़ा होना ही था। फिर आंटी मुझसे हंस हंसकर बातें कर रही थी और मेरा पूरा ध्यान सिर्फ़ उनकी साड़ी में लिपटे उनके उस भरे हुए गरम जिस्म पर था। दोस्तों वो कहते है ना कि एक महिला अपने आप ही जान जाती है कि कौन उसे किस नजर से देख रहा है और कौन नहीं। फिर ऐसे में भी उनकी नजर से कैसे बच जाता, उन्होंने मुझे देखते हुए पकड़ तो लिया था, लेकिन वो मुझसे कुछ नहीं बोली, में पूरी कोशिश कर रहा था कि उन्हें ना देखूं, लेकिन मेरा ध्यान बार बार उनके पल्लू में ढके पेट पर साड़ी से झांक रही गोरी कमर पर और उनके भरे हुए कूल्हों पर जा रहा था और में वो सब देखकर एकदम पागल हो रहा था। फिर जो कसर बाकी रह गई थी, आंटी ने वो भी पूरी कर दी और आंटी ने अचानक मुझसे पूछा कि में आज इस साड़ी में कैसी लग रही हूँ? और मेरी उसी वक़्त बेंड बज गई, मुझे उनका यह सवाल सुनकर पसीने छूटने लगे थे।

फिर मैंने सोचा कि अब तो गये काम से, बुरे फंसे अब इस में इस समस्या से बाहर कैसे निकलूं? आंटी ने एक बार फिर से मुझसे पूछा कि क्यों तू किस सोच में डूब गया, तूने मेरी बात का जवाब नहीं दिया और तूने मुझे बताया नहीं कि में आज इस साड़ी में तुझे कैसी लग रही हूँ? फिर मैंने थोड़ी हिम्मत करके हिचकिचाते हुए सीधे सीधे उनको बोल दिया कि आंटी आप आज बहुत ही अच्छी लग रही हो। फिर आंटी ने कहा कि सिर्फ़ अच्छी क्यों तुम्हारी नजर में और कुछ नहीं, जो तुम मुझसे कहना चाहो? फिर मैंने बहुत घबराकर कहा कि जी क्या? में आपके कहने का मतलब कुछ समझा नहीं? दोस्तों अब जो और भी थोड़ी सी बहुत कसर बाकी रह गई थी, वो आंटी ने ही पूरी कर दी। अब आंटी मुझसे कहने लगी कि बच्चू तू सब कुछ अच्छी तरह से समझ रहा है और में बहुत अच्छी तरह से समझती हूँ कि तू मुझे पागल बना रहा है, तू इतनी देर से घूर घूरकर मुझे ही देख रहा था ना? तो मैंने कहा कि जी नहीं आंटी आपने थोड़ा गलत अंदाजा लगा लिया, ऐसा कुछ भी नहीं है जैसा आपने सोचा और तभी आंटी मुझसे कहने लगी कि में बताती हूँ कि तू आज तक क्या करता आ रहा है? तू मुझे उस वक़्त से देखते आ रहा है, जब से में तेरी मम्मी की दोस्त बनी, मेरे बच्चे इस उम्र में यह सब होता है और में बहुत अच्छी तरह से समझती हूँ, लेकिन तू बिगड़ जाएगा, अगर तूने खुद को नहीं संभाला तो। अब मैंने उनसे कहा कि आंटी में आपको कभी बुरी नज़र से नहीं देखता, बस में आपकी तरफ अपने आप खींचा चला आता हूँ, में सच में आपकी बहुत इज्जत करता हूँ। फिर आंटी बोली कि में जानती हूँ मेरे बच्चे, लेकिन अब तुझे खुद को संभालना होगा, जैसे में भी खुद को संभाल रही हूँ। तभी मैंने उनकी यह बात सुनकर एकदम से चौंककर पूछा कि क्या? आप खुद को संभाल रही है? तो आंटी बोली कि तुझे क्या लगता है सिर्फ़ तुम जवान लड़के लड़की को ही यह सब चीज़ें तड़पाती है, मेरी उम्र की औरतों को भी यह सब कमी लगती है और में भी कभी कभी तेरी तरफ आकर्षित होती हूँ, में भी तेरे साथ सेक्स करना चाहती हूँ, लेकिन तू सच में मेरी दोस्त का बेटा है तो में ऐसे कैसे कर लेती? और ऊपर से में भी तेरी माँ की उम्र की हूँ, इसलिए में आज तक चुप रही। दोस्तों उनके मुहं से यह सब बातें सच्चाई सुनकर मुझे लगा कि में अब बेहोश हो जाउंगा। कुछ देर तक हम दोनों चुप रहे और फिर में आंटी के पास धीरे से चला गया और मैंने तुरंत उनके चेहरे को आपने हाथों में ले लिया और झुककर अपने होंठ आंटी के होंठो से मिला दिए। आंटी वैसे ही खड़ी रही और बिना मुझे रोके या पीछे धक्का दिए। फिर में उनके होंठो को चूमने लगा। मुझे इतना अच्छा लगा कि में आपको शब्दों में नहीं बता सकता और में आंटी के होंठो को प्यार से चूमता गया और आंटी भी अब अपना मुहं खोलकर अपनी जीभ को मेरे मुहं के अंदर डालने लगी। में अब आंटी को अब पूरे दिल और दिमाग़ से चूम रहा था। दोस्तों उनके होंठो का रस कमाल का था और आंटी भी मुझे ज़ोर से चूम रही थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे कौन किसके होंठो को ज़्यादा अच्छी तरह से चूम सकता है, हमारे बीच ऐसी शर्त लगी हो।

फिर आंटी के नरम, मीठे, गुलाबी, स्वादिष्ट होंठो को चखने के बाद में अब आंटी की आखों में देखने लगा। आंटी ने मुझसे सिर्फ़ एक बात कही कि आज मुझे तू जी भर के प्यार कर और फिर में आंटी को वापस चूमने लगा। मुझे उनके होंठो का वो स्वाद बिल्कुल पागल कर रहा था और में उनके होंठो को लगातार चूमे जा रहा था। फिर चूमते चूमते में उनकी साड़ी के पल्लू को नीचे सरकाने लगा था और अब मैंने उनके गले के इर्द गिर्द चूमना शुरू किया और चूमते चूमते में उनकी छाती से बूब्स तक पहुँच गया। दोस्तों उनके बूब्स ना तो ज्यादा बड़े थे और ना ही छोटे, लेकिन वो जैसे भी थे बहुत अच्छे थे और उस ब्लाउज से उनके बूब्स जिस तरह उभरकर बाहर निकले हुए थे, उसे देखकर मेरा जी कर रहा था कि बस पूरी ज़िंदगी भर में इन गरमा गरम बूब्स को बस चूसता ही रहूं। फिर मैंने उनकी छाती पर अपना चेहरा मसल दिया और उनके बदन और छाती की खुशबू को सूंघने लगा। उन्होंने भी मेरे सर को अपनी छाती पर दबा रखा था। फिर में उठा और फिर से आंटी को किस करने लगा और उसके बाद में उनके गले और कंधे को चूमते चूमते में अब उनकी छाती पर आ गया और उनके ब्लाउज के ऊपर से ही उनके एक बूब्स को हल्के से अपने दातों से काट लिया, जिसकी वजह से वो चिल्ला उठी और उन्होंने मेरे सर को ज़ोर से अपनी छाती पर दबा दिया और फिर में ब्लाउज के ऊपर से ही बूब्स को थोड़ी देर तक चूसता रहा।

अब में सीधे खड़े होकर उनकी आखों में आखें डालकर उनके गरमा गरम बूब्स को सहलाने लगा था। मैंने देखा कि आंटी की आखें अब भारी हो रही थी और उनके होंठ ज़रा सा खुल गये थे। तभी में आंटी के ब्लाउज को खोलने लगा था और पूरे चार हुक खोलने के बाद आंटी के ब्लाउज को मैंने उतारा नहीं बल्कि वैसे ही छोड़ दिया। अब मैंने उनके ब्लाउज को उनके बूब्स से नीचे की तरफ सरकाया तो उन्होंने एक लाल रंग की ब्रा पहनी हुई थी और मैंने तुरंत अब उनके बूब्स को धर दबोचा और फिर ब्रा के ऊपर से ही बूब्स को मसलने लगा था। फिर मैंने महसूस किया कि वो उस समय हवस की आग में जल रही थी और लगातार धीरे धीरे से सिसकियाँ ले रही थी। मैंने अब उनकी ब्रा के हुक को भी खोल दिया और ब्रा को पूरा नीचे उतार दिया, उनके ब्लाउज को भी अब झट से उतारने के बाद मैंने आंटी के गरमा गरम बूब्स को अपने मुहं में ले लिया और में दिल खोलकर उनके बूब्स को चूसता और दबाता रहा, उनका स्वाद में कभी नहीं भूलूंगा और उनके दोनों बूब्स को जी भरकर प्यार करने के बाद में अब उनके पेट को चूमने लगा था और धीरे धीरे चूमते हुए में उनकी कमर तक पहुँच गया। तब मैंने महसूस किया कि उनका पेट बहुत मुलायम था। दोस्तों में पेट को चूमता और बीच बीच में अपनी जीभ से चखता भी था। फिर उनकी नाभि के आस पास दो तीन बार चूमने के बाद मैंने उनकी नाभि में अपनी जीभ को डाल दिया। तभी वो अचानक से चिल्ला उठी और फिर से मेरे सर को पकड़कर दबाने लगी। वो अब मेरे बालों को भी सहला रही थी और में आंटी की गहरी नाभि को मज़े से चाट रहा था। फिर मैंने आंटी की साड़ी के ऊपर से ही उनकी चूत पर अपना चेहरा मसल दिया, सच में आंटी बहुत मज़े ले रही थी और तरह तरह की आवाज़ें भी निकाल रही थी। मैंने उनकी चूत को साड़ी के ऊपर से की सूंघने की कोशिश की और एक सुगंध जो कि पसीने और जिस्म की खुशबू जैसी हो, मेरी नाक में जा रही थी, लेकिन दोस्तों वो महक एक हवस की आग में तड़प रही और एक गरम औरत की थी, जिसको सूंघकर में अब बिल्कुल पागल हो रहा था। फिर कुछ देर सूंघने के बाद में खड़ा हुआ और आंटी को एक बार चूमने के बाद उनको तुरंत अपनी गोद में उठाकर बेडरूम ले गया और वहां पर पहुंचकर आंटी को मैंने बिस्तर के सामने खड़ा कर दिया। मैंने एक बार उनकी आखों में देखा और फिर में अपने घुटनों पर बैठ गया और मैंने उनकी साड़ी को धीरे धीरे से उठाया और उनकी पेंटी को उंगलियों से पकड़कर धीरे से नीचे सरकाकर पूरा नीचे की तरफ उतार दिया।

अब आंटी ने अपना एक पैर अपनी पेंटी से बाहर निकाल लिया और फिर दूसरे पैर को भी पेंटी से बाहर किया। में उनकी पेंटी को हाथ में लेकर उठकर खड़ा हुआ और आंटी की आखों में देखते हुए ही में अब उनकी पेंटी को सूंघने लगा और फिर पेंटी को बिस्तर पर दूर फेंक दिया। अब आंटी तुरंत मेरे पास आकर मुझे पागलों की तरह किस करने लगी और किस करते करते में आंटी को बिस्तर पर ले गया। आंटी और में दोनों ही मेरी टी-शर्ट और शॉर्ट्स को हड़बड़ी से उतारने लगे। फिर में आंटी के नीचे आ गया और में उनकी साड़ी को ऊपर सरकाने लगा। मैंने उनकी साड़ी को कमर तक उठा दिया और बिना वक़्त खराब किए में आंटी की चूत को दिल खोलकर चूसने लगा। पहले मैंने एक से दो बार चूत को नीचे से ऊपर तक चाटा और फिर धीरे से में अपनी स्पीड को बढ़ाता गया। फिर मैंने चखकर महसूस किया कि उनकी चूत का स्वाद बहुत ही अच्छा और मस्की था और उनके जिस्म के पसीने का स्वाद भी उनकी चूत के स्वाद के साथ मिलकर आ रहा था। फिर में उनकी चूत को बहुत अच्छी तरह से चूसता गया और आंटी अपनी कमर को पागलों की तरह ऊपर नीचे करके हिला रही थी। फिर मैंने तुरंत उनके बूब्स को पकड़ लिया और धीरे धीरे से दबाने लगा था और अब में उनकी चूत को लगातार ज़ोर से चूस भी रहा था।

अब मेरे कुछ देर चूसने, चाटने के बाद आंटी ने मेरे सर को बहुत ज़ोर से अपनी चूत पर दबाया और वो अचानक से झड़ गई और अब उनकी चूत का रस मेरे पूरे चेहरे पर था, में जितना हो सके उसे पी गया और बाकी मुझे मजबूरन मुहं से बाहर निकालना पड़ा, क्योंकि उनकी चूत से बहुत ज़्यादा रस बाहर निकल रहा था। फिर मुझसे और रहा नहीं गया और में आंटी के पैरों के बीच में गया और मैंने अपना लंड हाथ में ले लिया। अब में उसे आंटी की चूत के दाने पर रगड़ने लगा था। फिर आंटी मुझसे कहने लगी कि प्लीज अब तो डाल दो इसे अंदर और रहा नहीं जा रहा, इसलिए मैंने जोश में आकर एक ही जोरदार झटके में उनकी चूत के अंदर अपना पूरा का पूरा लंड डाल दिया, क्योंकि अब हालात बहुत ही गरमा गये थे, इसलिए हम दोनों बिल्कुल पागल हो चुके थे और इसलिए में तुरंत ही आंटी को ज़ोर ज़ोर से लगातार धक्के देकर चोदने लगा। में आंटी की तरफ झुका और ज़ोर से चोदते चोदते ही में आंटी के होंठो को चूमने लगा और हम दोनों हवस के इस एहसास में पूरी तरह से डूब चुके थे। में आंटी को बिल्कुल पागलों की तरह चोद रहा था और वो भी अपनी कमर को हिला हिलाकर मेरा पूरा साथ दे रही थी। दोस्तों वो एहसास बहुत ही कमाल का था, जो किसी भी शब्दों में बताया ही नहीं जा सकता। फिर में कुछ देर के धक्कों के बाद अब झड़ने वाला था और मैंने आंटी को यह बताया और उनसे पूछा कि में अपना वीर्य कहाँ निकालूं? तो वो मुझसे तुरंत बोली कि तुम मेरे अंदर ही अपना गरम गरम लावा निकाल दो। फिर उनके मुहं से यह बात सुनकर मैंने अब उन्हें और भी ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया और फिर आंटी ने मुझसे कहा कि वो भी अब झड़ने वाली है। फिर मैंने आंटी के बूब्स को चूसना शुरू किया और फिर में उनके निप्पल को हल्के से काटने लगा तो आंटी झड़ने लगी और वो बिल्कुल पागलों की तरह छटपटाने लगी। उसके बाद में और रोक नहीं पाया और में भी अब झड़ गया और दोस्तों में बहुत ज़ोर से झड़ा था और मुझे हल्का सा बेहोश होने जैसा लग रहा था। तभी अचानक से आंटी इतनी ज़ोर से चिल्लाई कि मुझे लगा कि पड़ोसी सुन लेंगे, क्या पता बाहर मेरी मम्मी भी सुन लेगी। फिर हम दोनों हांफते हुए एक दूसरे को देखने लगे और हमारे होंठ एक बार फिर से एक दूसरे से टकराए। अब हम दोनों एक दूसरे के होंठो को चख रहे थे। फिर वो मुझसे बोली कि तुम्हारे अंकल ने मुझे कभी भी ऐसा महसूस नहीं करवाया, उन्होंने कभी भी मुझे ऐसा मज़ा नहीं दिया और यह मेरी ज़िंदगी का सबसे अच्छा सेक्स अनुभव है, तुम्हारे साथ मुझे सेक्स करने में बहुत मज़ा आया और तुम्हें चुदाई करने का बहुत अच्छा अनुभव है और फिर हम दोनों वैसे ही थोड़ी देर सो गये।

फिर आंटी ने मुझे नींद से उठाया और बाथरूम में ले गई। फिर दोनों मिलकर नहाए और फिर हम अपने कपड़े पहनने लगे। आंटी की साड़ी पसीने और चूत के रस से पूरी भीग चुकी थी। आंटी ने दूसरी साड़ी पहनी और मैंने अपनी टी-शर्ट और शॉर्ट्स। फिर एक लंबे किस के बाद में अपने घर पर चला आया। दोस्तों फिर क्या था? बस मुझे अब मौका मिलने की देर होती थी और हम दोनों एक दूसरे की बाहों में। आंटी को मैंने इतनी ज़्यादा बार चोदा कि में गिनती ही भूल गया। सच में दोस्तों आंटी के साथ रहना मुझे बहुत अच्छा लगा। दोस्तों में अब उम्मीद करता हूँ कि आप सभी को मेरी कहानी जरुर पसंद आई होगी ।।

मेरे जीजू का मोटा लंड मेरी चूतमे

मेरे जीजू का मोटा लंड मेरी चूतमे

 आज की यह कहानी मेरी और मेरे जीजू की है। आशा करती हूँ आपको पसंद आएगी। मैंने सेकंड ईयर की परीक्षा दे दी थी.. और परीक्षा के बाद मैं घर पर ही रहती थी। मेरी एक बड़ी बहन जिसकी शादी को एक साल हो गया था और वो प्रेगनेंट थी। मेरी दीदी का नाम वसुधा है और जीजू का नाम मनीष है। उनकी ये लव-मैरिज थी।

मेरी दीदी और जीजू दोनों अकेले रहते हैं। जीजू एक बड़ी कम्पनी में काम करते हैं.. जिसकी वजह से वो दीदी को प्रेगनेंसी की हालत में टाइम नहीं दे पा रहे थे।
दीदी के घर गई जीजू के साथ एक दिन दीदी का मम्मी के पास फ़ोन आया और दीदी ने मम्मी से कहा- रोमा की परीक्षा खत्म हो गई हैं और वो अब घर में ही है.. तो आप उसे कुछ दिन के लिए मेरे पास भिजवा दो। मनीष ऑफिस के काम में बिजी रहते हैं और मैं सारा दिन घर में अकेली रहती हूँ। घर के कुछ काम भी नहीं कर पाती हूँ। अगर रोमा आ जाएगी.. तो मुझे कुछ आराम हो जाएगा।

मैंने यह बात सुनी तो मैं भी जाने के लिए तैयार हो गई। रविवार को जीजू मुझे लेने के लिए आए, रात में ही हमारा ट्रेन से रिजर्वेशन था.. क्योंकि गर्मी की छुट्टियाँ थीं.. तो ट्रेन में हमें एक ही सीट मिली थी और एक सीट RAC में थी। रात का टाइम था और सीट एक ही थी। मैं और जीजू सीट पर काफी देर तक बैठे रहे

फिर मुझे नींद आने लगी.. तो जीजू बोले- रोमा जब तक कोई और सीट नहीं मिल जाती.. तुम मेरी गोदी में सर रख कर सो जाओ। जीजू की छेड़खानी मैं अपना सर उनकी गोदी में रख कर लेट गई और आँखें बंद कर लीं। मेरा चेहरा उनके पेट की तरफ था। थोड़ी देर में मुझे अपने सर के नीचे उनके लण्ड का एहसास हुआ। मैंने नींद की एक्टिंग करते हुए अपना सर थोड़ा हिलाया और हल्की सी ‘ऊँह’ करके फिर सोने लगी।

मुझे लगा कि लण्ड में कुछ हलचल हुई।  कुछ मिनट बाद मैंने फिर से ऐसा किया। अब मुझे यकीन हो गया कि उन्हें भी अहसास हो रहा है। उन्होंने बैग से एक चादर निकाली और मुझ पर डाल दी और मेरा सर भी ढक दिया। उन्होंने अपना हाथ मेरी कमर पर रख दिया। मैंने फिर हल्के-हल्के अपना सर उनके लण्ड पर रगड़ना शुरू कर दिया। उनका लण्ड खड़ा हो गया था और पैंट से निकलने को मचल रहा था।
उनका हाथ हल्के-हल्के मेरी कमर को सहला रहा था, मुझे भी बहुत मजा आ रहा था।

जीजू से अब कंट्रोल नहीं हो रहा था, उनका हाथ अब धीरे-धीरे मेरे मम्मों पर आ गया था और वो मेरे मम्मों को सहलाने लगे थे। मैं भी इसके मजे ले रही थी।  तभी TC आ गया और उसने हम दोनों एक सीट और दे दी।
तब जीजू ने कहा- रोमा तुम यहाँ अब आराम से सो जाओ.. मैं दूसरी सीट पर चला जाता हूँ।

रात बीत गई और सुबह हम घर पहुँच गए।
घर पहुँच कर दीदी से मिल कर मुझे बहुत अच्छा लगा।

घर पहुँच कर जीजू तो सो गए और मैं दीदी से बातें करने लगी।
दोपहर हो गई.. तो मैं खाना बनाने लगी।
दीदी ने जीजू को जगाया कि खाना खा लो। तब जीजू आए और उन्होंने मुझे खाना बनाते देखा तो बोले- क्या बात है.. रोमा तो बड़ी हो गई है.. अब खाना भी बना लेती है।

मैंने हँस कर कहा- और क्या.. आप मुझे स्टुपिड समझते हो?

अगले दिन मैं नहाने जाने लगी.. तो जीजू ने कहा- रोमा गेस्ट-रूम के बाथरूम का शावर नहीं चल रहा है.. तुम हमारे कमरे के बाथरूम में नहा लेना।

यह कह कर जीजू ऑफिस चले गए। मैंने उनके कमरे के बाथरूम में जाके नहाने के बाद अपनी ब्रा और पैन्टी को वहीं पर धोने के लिए डाल दिया। शाम को जीजू के ऑफिस से आने के बाद एक और अजीब वाकिया हुआ।
जीजू की अन्तर्वासना  मैं अचानक दीदी के कमरे में गई तो देखा कि बाथरूम का दरवाजा खुला था और अन्दर जीजू सिर्फ जॉकी की छोटी अंडरवियर में थे और मेरी पैन्टी को अपने अंडरवियर के ऊपर रगड़ रहे थे.. कभी पैन्टी को सूंघ रहे थे। मैं वहाँ से भाग कर अपने कमरे में आ गई।

कुछ दिन बीते मेरी और जीजू की दोस्ती और बढ़ गई। वो मुझे घूर-घूर कर देखते थे.. तो मुझे भी अच्छा लगता था। फिर जीजू ने मेरे साथ छेड़छाड़ करना शुरू कर दिया, कई बार मेरे गालों को चूम भी लिया।
एकाध बार तो उन्होंने दीदी के सामने ही मेरे मम्मे भी दबा दिए.. इस पर दीदी भी कुछ नहीं कहती थीं।

हमारी मस्ती ऐसे ही चलने लगी, मुझे भी इसमें बड़ा मजा आता था। एक दिन दीदी के सामने ही जीजू ने कहा- रोमा अब तो तुम्हारी भी शादी होगी.. शादी के बाद क्या होना है.. तुझे पता है.. कोई एक्सपीरिएंस है तुझे? नहीं तो मुझ से सीख ले कुछ.. मेरा भी कुछ काम बन जाएगा.. क्योंकि तेरी दीदी तो इस हालत में मुझे हाथ भी लगाने नहीं देती.. तू ही कुछ मदद कर दे मेरी।

इस पर दीदी भी जीजू को प्रोत्साहित करते हुए बोलीं- हाँ हाँ.. इसे भी सिखा दो।
जीजू ने उसी वक्त मुझे अपनी बाँहों में ले लिया और यहाँ-वहाँ छूने लगे।
मैं ऊपरी मन से उनकी इन हरकतों का विरोध करती रही।

इसके बाद तो धीरे-धीरे जीजू की हरकतें बढ़ने लगीं।
अब तो वो दीदी के सामने ही मेरे होंठ चूम लेते और मेरे मम्मों को भी अच्छी तरह से दबा देते।

एक दिन में जीजू के कमरे की सफाई कर रही थी कि तभी मुझे उनकी डायरी मिली। मैंने जब डायरी पड़ी तो मेरी चूत में एक अजीब से गुदगुदी सी होने लगी।
जीजू ने वो सारी बातें उसमें लिखी थीं.. जो वो इतने दिनों से मेरे साथ कर रहे थे। मेरी ख़ूबसूरती की ऐसी-ऐसी बातें लिखी थीं.. कि मुझे पढ़ कर शर्म आ गई।
जीजू ने तो यह तक लिखा था कि जब उन्होंने मेरी पैन्टी अपने लण्ड के ऊपर रगड़ी और सूंघी थी.. तभी उन्होंने फैसला कर लिया कि मेरे वापस घर जाने से पहले मुझे एक बार सर से पैरों तक चूमेंगे.. चाटेंगे.. सहलाएंगे और प्यार करेंगे।

यह पढ़ कर तो मैं घबरा गई.. फिर बाद में मुझे अच्छा लगा क्योंकि पहली बार लाइफ में किसी मर्द से अपनी तारीफ़ सुनी थी।
शाम को ऑफिस से आने के बाद वो मेरे लिए आइसक्रीम लेकर आए।
मैंने पूछा- ये किस खुशी में?

तो वो बोले- जो खुशी मुझे तुम्हारे आने से हुई है.. उस खुशी में। उस रात जब मैं सोने के लिए अपने कमरे में आई.. तो करीब एक घंटे बाद जीजू मेरे कमरे में आए और बोले- वसु सो गई है (जीजू दीदी को प्यार से वसु बोलते हैं) और मुझे नींद नहीं आ रही थी.. तो तुम्हारे पास चला आया। तुम भी सो गई थीं क्या?

मैंने बोला- नहीं.. अभी नहीं सोई।
जीजू मेरे बिस्तर पर बैठ गए और हम बातें करने लगे।

जीजू बोले- चलो एक गेम खेलते हैं।
मैंने भी ‘हाँ’ कर दी.. तो जीजू मेरे करीब आकर लेट गए और मेरे पेट पर हाथ रख लिया।
जीजू बोले- तूने कभी गुदगुदी-गुदगुदी खेला है?
मैंने कहा- नहीं..

उस वक़्त जीजू ने एक बनियान और निक्कर पहने हुए थे और मैंने नाइटी पहनी थी।
जीजू बोले- मैं तुझे गुदगुदी करूँगा.. अगर तूने सह लिया और हँसी भी नहीं.. तो मैं तुझे इनाम दूँगा।
मैंने कहा- ठीक है।

जीजू ने मेरे हाथ सर के ऊपर कर दिए और बोले- अगर गुदगुदी हो तो जोर से तकिया पकड़ लेना.. पर हाथ मत रोकना।

यह कह कर जीजू ने धीरे से मेरे गालों.. मेरे होंठों पर हाथ फेरा और बोले- तुम बहुत सुन्दर हो रोमा.. एकदम गोरी और चिकनी..
फिर जीजू ने मेरे कानों के पीछे हाथ फेरा.. मुझे अच्छा लगने लगा।

फिर एकदम से जीजू ने मेरे मम्मों को अपने हाथ में ले लिया.. तो मेरे पूरे शरीर में सिरहन दौड़ गई।
मैंने कहा- जीजू बड़ा अजीब फील हो रहा है।

जीजू बोले- होगा ही.. यह तो सबसे ज्यादा मजेदार गेम है.. पता है तेरी दीदी के साथ इस खेल को खेले हुए मुझे पूरे 5 महीने हो गए हैं और मैं बेहद भूखा हूँ।

फिर जीजू ने मेरे निप्पलों को हल्के-हल्के मसला.. तो मैं तकिया दबा कर पैर पटकने लगी।

फिर उन्होंने धीरे से मेरे पेट की नाभि में उंगली डाल दी.. मुझे मज़ा आ रहा था। फिर जीजू मेरे पैरों के पास आकर लेट गए और मेरे पैरों पर गुदगुदी करके चूमने लगे।

तभी मैंने अपनी चूत में से कुछ निकलता हुआ महसूस किया और जीजू को ये बताया.. तो उन्होंने कहा- ये नार्मल बात है और इसका मतलब ये है कि तुम चुदने के लिए तैयार हो रही हो।

जीजू के मुँह से ‘चुदने’ का शब्द सुन कर मैं तो और ज्यादा मदहोश हो गई।
जीजू ने मुझे नंगी किया

अब जीजू ने बनियान और निक्कर उतार दी.. वो केवल जॉकी की छोटी अंडरवियर में थे। उनकी मोटी-मोटी जांघें और तगड़ा जिस्म देख कर मैं हैरान रह गई।

वो मेरे पैरों के साइड में लेट गए। उन्होंने मेरी नाइटी ऊपर तक उठा दी और पेट पर इकट्ठी कर दी। मेरी गोरी-गोरी जांघें देख कर वे खुश हो गए और उन्हें जी भर के चूमने और चाटने लगे।

मैंने भी अपना हाथ बढ़ा कर उनकी अंडरवियर को उतार दिया और उनके लण्ड को हाथ में लेकर खेलने लगी।
तभी जीजू ने मेरी जाँघें फैला दीं और आकर मेरे ऊपर लेट गए।

अब वे मेरे होंठों को चूमने लगे.. कभी मेरे होंठ चूमते.. तो कभी मेरी गर्दन को.. तो कभी मेरे मम्मों को.. मेरे निप्पल को मुँह में लेकर काटते।

मैंने जीजू से कहा- एक बार जोर से मेरे मम्मों को दबाओ न..

तो उन्होंने अपने सख्त हाथों से मेरे निप्पलों और मम्मों को जोर से दबा दिया.. मुझे मजा आने लगा। फिर वे मेरे चूचों को दबाते-दबाते उन्हें नाइटी के ऊपर से ही चूमने लगे और कहने लगे- रोमा तू तो एकदम चिकनी आइटम है। फिर जीजू ने मेरी नाइटी उतार दी.. और मुझे ब्रा उतारने को कहा।

जब मैं ब्रा उतारने लगी.. तो जीजू ने मेरी पैन्टी पकड़ कर खींच दी और मेरी चूत पर उंगली फिराने लगे। फिर एक उंगली अन्दर मेरी रसीली चूत में डाल दी।

मुझे सिहरन सी हो उठी.. उन्होंने अपनी जीभ से मेरी चूत को चाटना चालू कर दिया। मेरा बुरा हाल हो उठा था.. पर मज़ा भी बहुत आ रहा था।

मैं जीजू को कहने लगी- आह्ह.. और करो जीजू.. मुझे बहुत मज़ा आ रहा है.. मेरी चूत में कुछ-कुछ हो रहा है.. मैं तड़प रही हूँ।
जीजू का लंड

कुछ देर बाद जीजू ने कहा- अब मुझे नीचे लेटने दो.. तुम ऊपर आकर मेरे लण्ड से खेलो।

तो मैंने घुटनों पर बैठ कर उनके लण्ड से खेलना शुरू दिया।

जीजू ने इशारा किया मैंने समझते हुए अपना सर नीचे किया और जीजू ने अपना लण्ड मेरे मुँह में डाल दिया और उसे चूसने को बोले।
मैं भी मज़ा लेकर लण्ड चूसने लगी।

काफी देर चूसने के बाद जीजू ने मुझे लिटा दिया। मेरी कमर के नीचे एक तकिया लगा दिया और मेरी चूत में उंगली डाल कर आगे-पीछे करने लगे।

मैंने अपने पैर उनकी कमर में लपेट लिए और जोर से चिल्लाई- जीजू प्लीज़ धीरे-धीरे करो ना.. आाह्ह्ह्ह्.. ऊऊह्ह्ह.. बहुत मज़ा आ रहा है।

मैं अपना सब कुछ जीजू पर लुटा रही थी, हर तरह से उन्हें खुश कर देना चाहती थी, जीजू भी मुझे पूरी तरह खुश कर रहे थे।

जब मेरी चूत एकदम चिकनी हो गई.. तब जीजू ने अपना लण्ड मेरी चूत के ऊपर रखा.. तो ऐसा लगा जैसे किसी न गरम सरिया रख दिया हो।
मैंने आँख बंद कर ली और मज़ा लेने लगी।

जीजू ने हल्के-हल्के से धक्का मारना शुरू किया और अपना लण्ड मेरी चूत में डालने लगे। मेरा दर्द से बुरा हाल होने लगा.. मैं चिल्लाने लगी- धीरे-धीरे करो जीजू.. बहुत दर्द हो रहा है..

जीजू कहाँ मानने वाले थे.. उनके अन्दर का सांड जाग चुका था। उन्होंने जानवरों की तरह मुझे चोदना शुरू कर दिया। उन्होंने अब अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में पेल दिया था और जोर-जोर से मुझे चोदने लगे। वे साथ में मेरे मम्मों को भी मसल रहे थे और उंगली से निप्पल को भी मींज रहे थे।

जीजू ने मुझे लाइफ टाइम का आनन्द दे दिया था।
काफी देर तक जीजू मुझे जानवरों की तरह चोदते रहे।
मुझे भी मज़ा आ रहा था.. इसलिए मैं उनकी इन हरकतों का विरोध भी नहीं कर रही थी.. बल्कि मज़ा ले रही थी।

फिर कुछ देर बाद जीजू भी जोर से ‘आआह्ह्ह.. आआह्ह्ह..’ करने लगे। तभी मैं एकदम से पिंघल गई तो उन्होंने भी लण्ड को चूत से निकाल लिया.. और मेरी चूत के ऊपर अपना सारा पानी छोड़ दिया।

हम दोनों बुरी तरह थक चुके थे। कुछ देर आराम करने के बाद वे मुझे 69 की पोजीशन में ले आए। मैं जीजू का लण्ड जो कि अब छोटा हो चुका था.. उसे अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और जीजू ने अपने अंडरवियर को उठाया और मेरी चूत को साफ करने के बाद चूत को चूमने लगे।
जीजू ने मुझे घोड़ी बनाया

कुछ देर के बाद जीजू ने मुझे घोड़ी बनने को कहा.. तो मैं झट से बन गई।

तब जीजू ने एक जोर का थप्पड़ मेरे चूतड़ पर मारा.. मैं जोर से चिल्लाई और बोली- ये क्या कर रहे हो जीजू.. मार क्यों रहे हो?
तब जीजू ने कहा- इसमें भी तुमको मजा आएगा.. मैं तुम्हारी दीदी को भी इसी तरह मारता हूँ.. उसे बहुत मजा आता है। मैंने उनका लण्ड चूस लिया था.. तो उनका लण्ड फिर से खड़ा हो गया था। जीजू ने मेरी कमर को पकड़ा और अपना लण्ड एक बार फिर से मेरी चूत में घुसा दिया।

फिर उन्होंने मेरे बाल पकड़े और जोर-जोर से मुझे चोदने लगे।
मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि मैं बता नहीं सकती।

यह लिखते हुए भी मेरी चूत बिल्कुल भीग चुकी है और मैं अपनी चूत को सहला रही हूँ।
उधर मेरी चूत ने भी अब जवाब दे दिया था.. और जीजू भी झड़ने वाले थे।

अबकी बार उन्होंने अपना सारा पानी मेरी कमर के ऊपर निकाल दिया और मैं औंधी ही लेट गई। जीजू भी मेरे पास लेट कर मुझे बेतहाशा चूमने लगे।

फिर अपनी अंडरवियर से मेरी कमर पर गिरे उनके वीर्य को साफ किया और चूत को चूमा.. चाटा.. सहलाया और बोले- तुम अब तुम सो जाओ।

मैं करवट लेकर सो गई.. पर मुझे लगातार जीजू के होंठ अपनी चिकनी पिंडलियों महसूस हो रहे थे।

तो यह थी दोस्तो, मेरी आज की कहानी।

बुधवार, 3 फ़रवरी 2016

मामी की मस्त गुलाबी चूत किसी भी सेक्सी इंडियन औरत से ज्यादा सेक्सी थी…!


मामी की मस्त गुलाबी चूत किसी भी सेक्सी इंडियन औरत से ज्यादा सेक्सी थी…!

इंडियन औरत की चूत की दीवानों को रमेश ठरकी का नमस्कार !!! आज मै आपको अपनी मामी की गुलाबी चूत की बारे में बताता हु । मेरी मामी की उम्र करीब 35 साल की होगी और मै उस समय था, 20 साल का  35 की होने के बावजूद वह कोई सेक्सी इंडियन औरत से कम नहीं लगती थी। मैने उनके शहर में एक कॉलेज में दाखिला लिया था और घरवालो और मामी के जोर देने पर हॉस्टल न लेकर मामी के घर रहने लगा था । मामी भी अक्सर अकेले ही रहती थी तो उन्होंने ने बोला, तू मेरे घर पर रह ले, मेरे भी काम आ जाया करेगा, तेरे मामा तो अक्सर बाहर ही रहते है । कॉलेज अभी-अभी शुरू हुआ ही था, तो पढाई का ज्यादा जोर नहीं था और क्लास भी नहीं लगती थी । मै 1-2 दिन ही कॉलेज जाता था, तो सारा समय घर पर ही रहता था । मुझे बाथरूम में एक रेजर देखा था, जो अक्सर यूज़ होता था, पहले मुझे लगा, कि मामा का होगा; लेकिन, जब वो मामा के ना रहने पर यूज़ हुआ; तब मेरा माथा ठनका और जब मैने उसको उठाकर ध्यान से देखा, तो वो दाढ़ी के नहीं इंडियन औरत की झाट के बाल थे । मेरे चेहरे पर सोचकर मुस्कान आ गयी, कि मामी नहाते समय अपनी झाट साफ़ करती होंगी और मेरे चेहरे पर शैतानी झलकने लगी ।
अगले दिन, मैने कॉलेज से छुट्टी ली और जब मामी नहाने गयी, तो की-होल में से बाथरूम के अन्दर देखने लगा । मामी के गोरे जिस्म को देखकर मेरा लंड एकदम तन गया । मेरी मामी सुंदर तो थी, लेकिन मुझे नहीं मालूम था, कि वो नंगी इतनी चिकनी, गोरी और मस्त होंगी । उनका शरीर एकदम भरा हुआ, चुचे गोल और उनपर गुलाबी निप्पल, उनके पेट का मस्त छेद और एक प्यारी से लकीर वाली कमर और हल्के-हलके बालो के बीच में गुलाबी चूत की लकीर और गोल लाल गांड और उन दो गांड के बीच में लकीर; मुझसे तो खड़ा ही नहीं हुआ जा रहा था, लेकिन उनको छोड़कर जाने का मन भी नहीं । लेकिन, जब मुझसे रुका नहीं गया, तो मै लेट्रिन में भाग गया और कसकर मामी के नाम की मुठ मारी । पूरा दिन मे, जब भी मैने मामी को देखा, तो मेरे लंड ने उनको सलामी देने का दिल करने लगा; लेकिन, मुझे शरम आ रही थी और सोच रहा था, कि मामी को पता चला, तो क्या बोलेंगी?
मेरी किस्मत काफी मेहरबान थी और कॉलेज में बच्चो की हड़ताल की वजह से मेरा कॉलेज अनिश्चित समय के लिए बंद हो गया । अब तो उस इंडियन औरत को देखना मेरा नियम बन गया । मामी को शायद मेरी इस हरकत का पता चल गया था, इसलिए वो अब वो बाथरूम से अपने कमरे में तोलिये में जाती थी और मै चुप-छुपकर उनकी मस्ती गोरी टांगो को देखता रहता था । मेरे अन्दर इतनी हिम्मत नहीं थी, कि मै आगे बढकर मामी का हाथ पकड़ पाता और उसको चोद पाता । मेरी मामी के लिए हवस बढती जा रही थी और मै अपने लंड को संभाल नहीं पा रहा था । अब मेरा लंड लगभग पूरा दिन ही खड़ा रहने लगा था । एक दिन मुझे मामी के हनीमून का फोटो मिला, उसमे मामी सिर्फ ब्रा-पेंटी में थी, मामी उस फोटो में किसी हेरोइन की तरह लग रही थी । उस फोटो को लेकर मै अपने कमरे में भगा और एक बार में अपने सारे कपडे उतार दिए और अपने लंड को कपड़ो की कैद से आवाज़ कर दिया और मामी के फोटो को नीचे रखकर मुठ मारने लगा और मामी को अपने सपनो में महसूस करने लगा । पूरा कमरा मेरी मस्त कामुक उतेजक आवाज़ से गूंज रहा था आआआआआआआअ …ऊऊओ ,,वह …मामी …तुम बहुत गरम हो ये इंडियन औरत मस्त और कामुक है …..और एक ही झटके में मेरा पूरा वीर्य निकलकर उनके फोटो पर गिर गया । मैने अपने लंड को उनके फोटो से पूछा और कपडे पहन लिए ।
मुझे नहीं मालूम था, कि इंडियन औरत मामी दरवाजे पर खड़ी हुई, ये सब सब देख रही थी और जब मै कपडे पहनकर मुड़ा, तो वो मुस्कुराकर बोली, मज़ा आया क्या ! जब मै फोटो में रहकर तुम्हारे लंड को इतना उतेजित कर सकती हु, तो अगर में नंगी होकर तुम्हारे सामने आ जाऊ, तो तुम्हारा क्या होगा? और जोर-जोर से हँसने लगी । मेरा मुह लटक गया, फिर वो मेरे पास आकर बोली; राजा ,,मुह क्यों लटकाता है, मै तो बस तेरी टांग खीच रही हु । वैसे मुझे तेरी सारी हरकते मालूम है, जो तू मुझे बाथरुम में छिपकर देखता है और मेरी टांगो को घुर करता है, वो मुझे सब मालूम है । तेरे लिए ही तो मैने जानबूझकर बाथरूम से अपने कमरे तक तोलिये में जाना शुरू किया, लेकिन साला तू डरपोक बहुत है, तेरी हिम्मत ही नहीं हुई, मुझे चोदने की और इस फोटो पे चोदकर इस मॉल को बर्बाद कर रहा है और फिर मामी ने फोटो को जमीन से उठा लिया और उसको अपनी लाभी जीभ से चाटने लगी । मेरे लंड ने अभी तो इतना माल छोड़ा था, लेकिन मामी के ये हरकत देखकर उसमे फिर से हलचल शुरू हो गयी और मेरे निकर के ऊपर दे दिखने लगा, कि मेरे लंड ने खड़ा होना शुरू कर दिया है ।
मामी ने फोटो पूरा का पूरा चाट लिया था और जब उन्होंने ने देखा, कि मेरे लंड ने खड़ा होना शुरू कर दिया है, तो वो अपनी जीभ को अपने होठो पर फिराकर मेरे पास आ गयी । उस दिन, वो किसी काम की देवी की तरह लग रही थी, उनकी वासना और हवस इतनी ज्यादा भड़की हुई थी, कि वो मुझे कच्चा चबाने को तैयार थी । उन्होंने अपनी साड़ी उतार दी और अपने ब्लाउज के बटन खोलकर अपने चूचो को आजाद कर दिया और मेरे सामने उनके बड़े चुचे मस्ती में झूल रहे थे और पिंक निप्पल कसे और खड़े थे । मैने भी आगे बढकर, उनके चूचो को अपने हाथ से मसलना शुरू कर दिया और उनके निप्पलो को अपनी उंगलियों के बीच में पिसने लगा और खीचने लगा । मामी दर्द से कहरा उठी और बोली, साले इनको नहीं, वरना तेरे मामा को पता चल जाएगा, कि मै बाहर मुह मारती हु । मै उनके चेहरे पर अपने हाथ चलाने लगा और उन्होंने अपने होठो के बीच में मेरी उंगलियों को दबा लिया और उनको मस्ती में चूसने लगी ।
मुझे नहीं मालूम था, कि मेरी मामी इतनी गरम इंडियन औरत है । अब मामी मेरे पुरे कपडे उतार चुकी थी और मेरे लंड को अपने हाथो मे लेकर अपने मुह से चूम रही थी । उनका चूमने का अंदाज़ बड़ा ही मस्त था, मेरी लंड को, मेरे अन्डो को और फिर उन्होंने अपने हाथो से मेरे लंड की खाल को पीछे खीचा और मेरे लंड को अपने मुह में घुसा लिया और उसको मस्ती में चूसने लगी । मेरा लंड उनके होठो में दबा हुआ था और वो मस्ती में उसको चूस रही थी । मामी के हवस काफी समय से भड़की थी, तो उन्होंने मुझे पलंग पर लिया दिया और मेरे लंड को अपने हाथो से मसलने लगी और फिर मेरे ऊपर आ गयी और अपनी चूत को मेरे ऊपर रख दिया और धम्म्मम्म्म्म से नीचे बैठ गयी । मेरे लंड की खाल नीचे खिचती ही चली गयी और मेरे मुह चीख निकल गयी आआआआआआआआआआ …मर गया ……लेकिन मामी बिना कुछ सुने मुझे चोद रही थी और कुछ ही देर में वो झड़ गयी और उन्होंने अपनी चूत को मेरे लंड से निकाल लिया । मै अभी झ्ड़ा नहीं था, तो उन्होंने एक बार फिर से मेरे लंड को अपने मुह में डाल लिया और मस्ती चूसकर उसका मुठ निकाल दिया और पूरा का पूरा पी गयी । उस दिन, मामी पुरे दिन घर में नंगी घुमती रही और उन्होंने मुझे भी कपडे पहने नहीं दिए और हम दोनों में काफी मस्ती की । उस दिन मेरा इंडियन औरत को चोदने का सपना पूरा हो गया था । दोस्तों आपको इस इंडियन औरत की चुदाई की कहानी कैसी लगी, सक्सेक्स देखते रहे इंडियन औरत और लडकियों की सेक्स कहानी, वीडियो और फोटो के लिए….! अगर आप इंडियन औरत या इंडियन लडकियों से सेक्स चेट करना चाहे तो यहाँ क्लिक कर सकते है, और हमें जरुर कमेन्ट करे की आपको यह इंडियन औरत की कहानी कैसी लगी, और आप कैसी इंडियन औरत कहानियां पसंद करेंगे |

शुक्रवार, 8 जनवरी 2016

ससुराल की डबल ड्यूटी – बुरचट बलमा चूत हलाल देवर

हथिनी जैसी चूत है मेरी मस्त मस्त है गांड, चाहे चोदे हाथी इसको चाहे चोदे सांड!

http://pic2arab.blogspot.com/

 

हाय दोस्तों मैं आरती हूं, जब से होश संभाला है याद है मेरी सखियां मेरे बुर को मतलब की चूत को बित्ते से नाप के कहती थीं, हथिनी जैसी बुर है तुम्हारी तो आरती! तेरा क्या होगा? तब मैं ज्यादा ना समझ पाती थीं। ये मेजरमेंट क्यों था, किस लिए था पर कुछ तो था इसमें क्योंकि बुजुर्ग औरते भी इस बात को कहते हूए थकतीं नहीं थी, जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही मेरे दूसरे अंग भी कुछ यूं निखर आए जैसे कि उपर वाले की खास नेमत थी मेरी जवानी के उपर। इस बात को मुहल्ले और शहर के लड़के देखते रहते। उन्होंने जिन्होंने मुझे अपने साथ पाला पोषा था, उनके बर्ताव में भी अंतर आने लगा था। उनके छूने का अंदाज, सहलाने का हरकत, बात करने का तरीका सब तो बदल चुका था। हाय मैं क्या करुं, मेरे नस नस में इन सब बदलावों के बदले में जो प्रतिक्रिया होती वो कुछ ऐसी थी कि बताते हुए शरम सी आ जाती है।
मैं भी सोचती कितना अच्छा था पहले कोई कहने वाला नहीं था, अब तो सब कपड़े चीर के स्कैन करने लगते हैं। खैर प्यार तो नहीं हुआ क्योंकि जैसे ही उमर चढी, पापा ने शादी कर दी। मेरे पति देव छोटे शहर में पान की दुकान लगाते हैं। कत्था चूना, खैर और सुपाड़ी से महकती उनकी रजनीगंधा की खूश्बू पहले दिन सुहागरात को ही मुझे कुछ ज्यादा नहीं भाई थी। सजन जी ने पहली रात को आधा वक्त तो पान चूना और सुपाड़ी लगा के खाने और थूकने में बिता दिया और जब चूत चोदने की बारी आई तो साया खोल कर लगे चूत चाटने। वैसे जैसे कि पान के पत्ते पर रखे चूने को कोई शौकीन पान का खवैया खाने के लिए अपनी जीभ लपलपा के उठा लेता है, वैसे ही उसने मेरे चूत के हर भाग को चाटा। हर पल हर कोने को अपने जिह्वा के स्पर्श से गदगद करते हुए मेरे अंदर चुदाई की भीक्ख जला दी। मैंने अपनी टांगे पसार लंड की भीख मांगी, पर जब पाया कि उसका इंटरेस्ट तो सिर्फ चूसने में ही है तो मैने माथा पीट लिया।
आगे बढ के जब मैने उसकी  लुंगी टटोलनी शुरु की तो ढीला लंड घंटे की तरह लटक रहा था।  मैने पकड़ कर चूसना शुरु किया। उसे बेड पर पटक कर लिटा दिया। पहली चुदाई का अवसर इतना जाया नहीं जाने दे सकती थी मैं। पर लन्ड था कि खड़ा ही नहीं हो रहा था, मैने सुपाड़े के चमडे को उपर खिसका के लंड के सफेद सुपाड़े को मुर्गे की टांग की तरह चूसना शुरु किया। वो कहने लगा – आह्ह! मारोगी क्या? क्या कर रही हो? प्लीज छोड़ दे, आहह। और उसका लंड थोड़ा बहुत खड़ा हो गया था। मेरी सील लगी टाईट चूत को छेदने के लिए ये पर्याप्त तो नहीं था। मैं थक हार के लेट गयी और उसने मेरे उपर आकर मेरे चूत पर लंड को रगड़ना शुरु किया और मैं सिस्कारियां लेती रही। उसने फिर मेरे चूत के पैमाने पर अपना मुह लगा कर रस पीना जारी रखा। पूरी रात उसने सोने ना दिया। चार बजे सुबह थक कर मेरे पैरों के बीच में सो गया। अपने भाग्य को कोसती मै भी ये सोच रही थी कि क्या मेरी जिंदगी इस लुजलुजे लंड और बुरचट बलमा के सहारे ही चलने वाली है। लेकिन कहते हैं – चाह वहां राह, और जहां चूत वहां लंड का भूत तो भटकता ही रहता है।

बलमा की चटाई, देवर से चुदाई!

सुबह को मेरी बांछे खिल गयीं जब  एक उन्नीस साल के हम उम्र युवक ने आकर मेरा पैर छुआ, साले ने पैर क्या छुआ, बस घुटने से उपर और चूत के नीचे वाली पूरी जगह को सहलाते हुए मुस्करा के बोला – पाउं लागी भौजी, मतलब कि नमस्कार भाभी। वो मेरा देवर था, जिससे मैं परिचित नहीं थी। वो बीए कर रहा था और अक्सर घर में बैठ कर पढता रहता था। मेरी चूत को एक अदद लंड की छवि दिखाई दी उसमें। जब मेरा पति दुकान पर चले गए तो अमन ने पीछे से आकर मुझे अचानक अपनी बाहों में भर लिया और कहने लगा, भाभी में तो आधा हक होता है, फिर रात को भैया को इतना मजा चखाया है तो थोड़ा हमें भी दो ना भाभी। मैं अवाक थी कि इतनी जल्दी वो चूत मांगने लगा। गांव के छोरे ऐसे ही होते हैं बुम्बाट बकलंड और चुदक्कड़, बात करने की तमीज तो होती नहीं। पर मुझे ये बदतमीजी अच्छी लगी। मैने अपना आंचल छोड़ दिया और मेरा ब्लाउज जो कि बड़े गले का था, और चूंचों को जरा जरा ही छुपाता था, उसके सामने नंगा हो गया। बदतमीज उसपे हाथ फेरते हुए मेरी गांड सहलाने लगा था। रात भर की प्यासी तो थी ही मैं, मैने उसे खेलने दिया अपने बदन से। हक था मेरा भी चुदवाने का और इसलिए मैने उसे रोका नहीं। ब्लाउज के बटन खोलते हुए उसने मेरी साड़ी को खोल दिया।
एक मिनट में कमीने ने मुझे सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में कर दिया। उसने मेरे बाल पकड़ के जबरदस्त चुम्मा चाटी शुरु कर दी। इमरान हाशमी का बाप लग रहा था वो। पेटीकोट के अंदर हाथ डालकर उसने मेरी गांड में उंगली शुरु कर दी। मैं मारे खुशी और उत्तेजना के पागल हो रही थी कि उसने मुझे अपनी बाहों में उठा कर अपने बेडरुम के पलंग पर ले जाकर पटक दिया। बेड पर पटक कर उसने मेरी पेटीकोट और ब्लाउज को भी खोल दिया और बिना बाल वाली सफाचट चूत को सहलाते हुए मेरे बड़े चूंचों को मसलना शुरु किया। उसने कहा – भाभी चूत तो  मैने भी बहुत मारी है पर इतनी बड़ी चूत तो कभी देखी ही नहीं। वह उसे सहलाता और चाटता रहा। फिर उसने अपनी लुंगी में से जब मिसाईल जैसा मोटा लंड निकाला तो चीन की शांग 2 और पाकिस्तान की हत्फ मिसाइल की तस्वीर मेरे दिमाग में उभर गयी। साला खतरनाक और धोकेबाज लंड दिख रहा था वो। कमीने ने बिना एक मिनट देर किये अपना नौ इंच लंबा लंड मेरे मुह  में ठूंसना शूरु कर दिया और देखते ही देखते मेरा मुह फटने वाला था। मैं उसके सुपाड़े को अपने मुह में नहीं ले पा रही थी।
काफी मशक्कत के बाद मैने अपना मुह फाड़ कर उसका लंड लिया। उसने टाईट चूत की तरह मुह में पेलना शुरु किया। उफ्ह मेरा मुह भर गया था। मैने अपनी आंखों मे  दया की भीख मांगी तो उसने मुह से लंड निकाल कर चूत के द्वार पर टिकाया। धक्का मारने के लिए उसने पोजिशन लिया। मेरी बड़ी बुर उसके बड़े लंड के प्रजेंस से गदगद थी। उसने मेरे मुह पर हाथ रख कर एक झटके में ही अंदर घुसने की कोशिश की। बड़े शाट के साथ ही उसका आधा लंड कचाक से चूत में घुसा पर जाकर रुक गया। मैं सोचती रह गयी, पर मुझे दर्द का अनुभव हुआ। उसने फिर मेरे मुह पर हाथ रखा और एक जबरदस्त झटका लगाया। इस झटके ने मेरी चूत की हलाली कर दी। घसघसाता हुआ लंड गर्भाशय के पेंदे पर टकराया। मेरी चूलें हिल गयीं। मेरी हथिनी जैसी चूत को उसका हाथी जैसा  लंड रौंद रहा था। किसी लैंड रोबर की तरह मेरी पिच को दबाता हुआ मेरी फुद्दी को भोसड़े में बदलने के नापाक इरादों के साथ मेरे देवर राजा ने मेरी तमन्ना पूरी कर दी थी। वो चोद रहा था किसी मशीनगन की तरह। मैने अपनी बुर का ये हश्र होते देख बेहद खुश हुई।
इसके बाद मेरे देवर ने मेरे पैर अपने कंधे पर रख मेरे, दोनो बाजू अपनी गर्दन में फंसा दिए। मेरी गांड को सहारा देते हुए खड़ा हो गया। मेरे पैर बेहद खींच रहे थे जैसे कि टूट जाएंगे पर उसने अपने खड़े लंबे लंड को नब्बे डिग्री पर करके मेरी चूत को चोदना शुरु किया। मेरी गांड को उपर नीचे झुलाते हुए उसने धका धक चोदना शुरु  कर दिया। उफ्फ इतना मजा, मैं सोच भी नहीं सकती थी, मेरी चूत का एक एक रेशा और बदन का हर अंग पानी मांग रहा था। बेदर्दी से उसने मेरी चूत को चोदा। और फिर लंड निकाल कर छेद बदल दिया। चूत से गांड की तरफ स्विच करते हुए बेदर्दी देवर ने मेरी कंवारी गांड की कली को फूल और बगीचा बनाने में कोई कसर ना छोड़ी। एक घंटे तक चोदने के बाद ये चुदाई का सत्र चलता रहा। मेरी हथिनी की चूत को एक हाथी जैसा मूसल लंड मिल गया था।

मंगलवार, 9 अप्रैल 2013

बुड्ढा मारे बहू की चूत दबाके होली में

बुड्ढा मारे बहू की चूत दबाके होली में

बहु की चूत मिली होली में

होली आ गयी, रामखेलावन बुड्ढे को चूत मारने का मन कर रहा था। अस्सी की उमर में बतीसी तो निकल गयी थी पर लंड बुड्ढे का साबूत था अब भी। एक दम झक्कास, बिना किसी दोष के एक दम जवान लंड की तरह। बुड्ढी तो कब की खाट पकड़ चुकी थी और ऐसे में उसकी चूत मारना एक दम बेकार ही था। वैसे भी उसका भोसड़ा अब सूख कर छुहारे जैसा हो गया होगा। ऐसे में रामखेलावन को याद आया, उसकी बहु जो कि अक्सर अकेले ही रह रही है, क्योंकि बेटा मुंबई में गया हुआ है, और वो दो सालों से अकेले रह के बोर हो रही होगी, फागुन माह में तो कुतिया की चूत भी खुजलाने लगती है चुदाने के लिए तो यह तो मामला वैसे भी उसकी बहु का था। दो सालों से लंड का स्वाद न चखने पर उसकी बहु को कैसा लगता होगा।
यह सोच कर रामखेलावन लोटा लेकर हगने चला। धोती उपर उठा, ली। आज लंगोट नहीं पहनी थी, सो लँड बाहर लटक रहा था, ठिक वैसे ही जैसे कि गदहे का लंड लटकता रहता है। इसलिए उसने जानबूझ कर भी अपना लौंडा लटका के दिखाने के लिए लोटा पकड़ लिया। अब उसका आठ इंच का लंड बाहर लटक रहा था। चापाकल पर वो डंडा लेकर टेकते हुए पहुंचा तो बहु से कहा – बहु जरा चापाकल तो चला दो! लोटा भरना है, झाड़ा फिरने जाना है। धनिया ने बाहर निकल कर घूंघट में से झांकते हुए जैसे ही चापाकल पर आई, तो देखा कि बाबा का लंड तो एक दम साबूत लटका हुआ है। बुड्ढे ने पूछा – रामू आ रहा है क्या होली में। तो बोली नहीं बगल के मोबाइल मे फोन आया था कि अगली होली में आएंगे। बुड्ढे की आंखें चमक उठीं। बोला कि बहुत दुख है बहु तुमको क्या बताएं। और फिर झाड़ा फिरने चला गया। जब रात हुई तो आंगन में बुड्ढा बुड्ढी सो गये।
बुड्ढे को नींद नही आ रही थी। वो उठ के बहु के कमरे में चला गया और वहां जाकर उसने अपनी बहु को जगाया। बोला बहु जरा पैर दरद कर रहे हैं तेल लगा के दबा दो ना! बहु ने कहा अच्छा बाबूजी और तेल सरसों का लाकर पैरों में लगाने लगी। जैसे ही जवान बहु ने बुड्ढे के पैर को छुआ बुड्ढे का लंड टन टना के खड़ा हो गया। उसने बहु को कहा जरा उपर लगाना। धनिया को लाज लग रही थी, और बाबूजी उसका हाथ पकड़ के उपर कर के बोल रहे थे कि जरा और उपर। धनिया समझ गयी। उसे भी दो सालों से लंड महाराज के दर्शन नहीं हुए थे। उसने ढिबरी बुझा दी और बुड्ढे का साबूत लंड सीधा ही पकड़ लिया। बुड्ढा खुश हो गया। बोला बहु अब मेरे बकसे में रखा खजाना तेरा हो जाएगा। वैसे भि बुड्ढी अब गहनों का क्या करेगी। और धनिया ने बुड्ढे के लंड में तेल की मसाज शुरु कर दी। बुड्ढे का लंड खड़ा होकर दस इंच का हो गया। धनिया चौकते हुए बोली आपका लंड बुढ्ढा नहीं हुआ बाबूजी अभी तो ये पूरा ही साबूत है। बुड्ढे ने कहा, आजकल के लौंडो में दम कहां हम तो पचास सौ दंड रोज पेलते थे और फिर दो किलो दूध और एक किलो दही खा कर मस्तीकरते थे। आज कल के लौंडे साले गुटखा पान खा कर के अपनी सेहत खराब कर लेते हैं उपर से हस्तमैथुन करके और कमजोर हो जाते हैं

बहु के साथ देशी मुखमैथुन

इस बात को सुन कर धनिया ने बुड्ढे का लंड मुह में ले लिया और चूसने लगी। रामखेलावन बोल रहा था आह बहू रहने दो ये क्या कर रही हो हम सब ये तो नहीं करते हैं, पाप लगता है। गाली देते हुए धनिया ने कहा कमीने बहु चोदने से बडा पाप क्या है और अगर अब चोद ही रहे हो तो अच्छे से मजा लो। ये नये लोगों के खेल हैं जो बुड्ढे नहीं जानते। और फिर धनिया ने मुह में लंड लेकर चूसना शुरु कर दिया। बुड्ढा हाय आह आह ये क्या, आह मुह में ही मलाई ले लोगी तो चूत में क्या दूंगा, यह सब करता रहा। धनिया ने लंड को चूस कर लोहा बना दिया। अब बुड्ढा खड़ा हो गया और बहु का चिर हरण करने लगा। धनिया को नंगा कर उसके चूंचे पकड़ लिये और चूसने लगा। अपना लंड खडा देख कर उसे जोश आ रहा था और उसने धनिया को खाट पर लिटा कर के चोदने के लिए उसके पैर खाट से किनारे खींच लिये और पेटीकोट उपर उठा कर चूत में झांटों के बीच छेद टटोलने  लगा। बस जैसे ही छेद हाथ आया, उसने सुपाड़ा रगड़ कर अंदर लंड ठोंक दिया। जैसे ही मोटा लंड अंदर गया, धनिया की आंखों में आंसू आ गये, कुछ खुशी के आंसू कुछ दर्द के आंसू।
खुश इसलिए थी कि उसे मरद के लंड का विकल्प मिल गया था और दखी इसलिए थी कि उसे बहुत दिनों से चूत के बंद पड़े दरवाजे को इतने मोटे लंड से अचानक खोल देने पर दरद हुआ था। लंड से पेलकर बुड्ढा उसे निहाल कर रहा था, वो सच में रामू उसके मरद का बाप निकला। दनादन आधे घंटे तक चोदते हुए बुड्ढे ने मस्त चोदा धनिया को और फिर धनिया ने बुडडे को लिटा कर उसके भाले जैसे लंड पर अपनी चूत रख कर चोदना शुरु कर दिया। लेटे लेटे बुड्ढा उसके चमत्कारी चूंचों से खेल रहा था और चूत धकाधक लँड को निगल रही थी। वाह रामखेलावन बुड्ढे ने अपनी बहू की चूत का उद्घाटन करके आज कमाल ही कर दिया था। पूरे रात बुड्ढे ने कभी उपर कभी नीचे रह के मजा लिया और जब वो लंड का सारा पानी खाली हो गया तो उसने बहु से मस्त सरसों के तेल से मसाज कराया और लंड को रिलैक्स करने का मौका दिया। अब रामखेलावन बुड्ढे की पतोह चोदने की गड्डी निकल पड़ी थी और उसने जम कर चोदना जारी रखा चूत को। अगली बार जब उसका बेटा रामू आया तो उसने भी चोदा अपनी बीबी को लेकिन तब तक चिड़िया हाथ से निकल चुकी थी। अगले सीजन में रामखेलावन ने अपनी बहु को एक सुंदर सा पोता दिया।

वैधानिक चेतावनी

वैधानिक चेतावनी : ये साईट सिर्फ मनोरंजन के लिए है इस साईट पर सभी कहानियां काल्पनिक है | इस साईट पर प्रकाशित सभी कहानियां पाठको द्वारा भेजी गयी है | कहानियों में पाठको के व्यक्तिगत विचार हो सकते है | इन कहानियों से के संपादक अथवा प्रबंधन वर्ग से कोई भी सम्बन्ध नही है | इस वेबसाइट का उपयोग करने के लिए आपको उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए, और आप अपने छेत्राधिकार के अनुसार क़ानूनी तौर पर पूर्ण वयस्क होना चाहिए या जहा से आप इस वेबसाइट का उपयोग कर रहे है यदि आप इन आवश्यकताओ को पूरा नही करते है, तो आपको इस वेबसाइट के उपयोग की अनुमति नही है | इस वेबसाइट पर प्रस्तुत की जाने वाली किसी भी वस्तु पर हम अपने स्वामित्व होने का दावा नहीं करते है |