मंगलवार, 15 फ़रवरी 2022

मेरे जीजू का मोटा लंड मेरी चूतमे

मेरे जीजू का मोटा लंड मेरी चूतमे

 आज की यह कहानी मेरी और मेरे जीजू की है। आशा करती हूँ आपको पसंद आएगी। मैंने सेकंड ईयर की परीक्षा दे दी थी.. और परीक्षा के बाद मैं घर पर ही रहती थी। मेरी एक बड़ी बहन जिसकी शादी को एक साल हो गया था और वो प्रेगनेंट थी। मेरी दीदी का नाम वसुधा है और जीजू का नाम मनीष है। उनकी ये लव-मैरिज थी।

मेरी दीदी और जीजू दोनों अकेले रहते हैं। जीजू एक बड़ी कम्पनी में काम करते हैं.. जिसकी वजह से वो दीदी को प्रेगनेंसी की हालत में टाइम नहीं दे पा रहे थे।
दीदी के घर गई जीजू के साथ एक दिन दीदी का मम्मी के पास फ़ोन आया और दीदी ने मम्मी से कहा- रोमा की परीक्षा खत्म हो गई हैं और वो अब घर में ही है.. तो आप उसे कुछ दिन के लिए मेरे पास भिजवा दो। मनीष ऑफिस के काम में बिजी रहते हैं और मैं सारा दिन घर में अकेली रहती हूँ। घर के कुछ काम भी नहीं कर पाती हूँ। अगर रोमा आ जाएगी.. तो मुझे कुछ आराम हो जाएगा।

मैंने यह बात सुनी तो मैं भी जाने के लिए तैयार हो गई। रविवार को जीजू मुझे लेने के लिए आए, रात में ही हमारा ट्रेन से रिजर्वेशन था.. क्योंकि गर्मी की छुट्टियाँ थीं.. तो ट्रेन में हमें एक ही सीट मिली थी और एक सीट RAC में थी। रात का टाइम था और सीट एक ही थी। मैं और जीजू सीट पर काफी देर तक बैठे रहे

फिर मुझे नींद आने लगी.. तो जीजू बोले- रोमा जब तक कोई और सीट नहीं मिल जाती.. तुम मेरी गोदी में सर रख कर सो जाओ। जीजू की छेड़खानी मैं अपना सर उनकी गोदी में रख कर लेट गई और आँखें बंद कर लीं। मेरा चेहरा उनके पेट की तरफ था। थोड़ी देर में मुझे अपने सर के नीचे उनके लण्ड का एहसास हुआ। मैंने नींद की एक्टिंग करते हुए अपना सर थोड़ा हिलाया और हल्की सी ‘ऊँह’ करके फिर सोने लगी।

मुझे लगा कि लण्ड में कुछ हलचल हुई।  कुछ मिनट बाद मैंने फिर से ऐसा किया। अब मुझे यकीन हो गया कि उन्हें भी अहसास हो रहा है। उन्होंने बैग से एक चादर निकाली और मुझ पर डाल दी और मेरा सर भी ढक दिया। उन्होंने अपना हाथ मेरी कमर पर रख दिया। मैंने फिर हल्के-हल्के अपना सर उनके लण्ड पर रगड़ना शुरू कर दिया। उनका लण्ड खड़ा हो गया था और पैंट से निकलने को मचल रहा था।
उनका हाथ हल्के-हल्के मेरी कमर को सहला रहा था, मुझे भी बहुत मजा आ रहा था।

जीजू से अब कंट्रोल नहीं हो रहा था, उनका हाथ अब धीरे-धीरे मेरे मम्मों पर आ गया था और वो मेरे मम्मों को सहलाने लगे थे। मैं भी इसके मजे ले रही थी।  तभी TC आ गया और उसने हम दोनों एक सीट और दे दी।
तब जीजू ने कहा- रोमा तुम यहाँ अब आराम से सो जाओ.. मैं दूसरी सीट पर चला जाता हूँ।

रात बीत गई और सुबह हम घर पहुँच गए।
घर पहुँच कर दीदी से मिल कर मुझे बहुत अच्छा लगा।

घर पहुँच कर जीजू तो सो गए और मैं दीदी से बातें करने लगी।
दोपहर हो गई.. तो मैं खाना बनाने लगी।
दीदी ने जीजू को जगाया कि खाना खा लो। तब जीजू आए और उन्होंने मुझे खाना बनाते देखा तो बोले- क्या बात है.. रोमा तो बड़ी हो गई है.. अब खाना भी बना लेती है।

मैंने हँस कर कहा- और क्या.. आप मुझे स्टुपिड समझते हो?

अगले दिन मैं नहाने जाने लगी.. तो जीजू ने कहा- रोमा गेस्ट-रूम के बाथरूम का शावर नहीं चल रहा है.. तुम हमारे कमरे के बाथरूम में नहा लेना।

यह कह कर जीजू ऑफिस चले गए। मैंने उनके कमरे के बाथरूम में जाके नहाने के बाद अपनी ब्रा और पैन्टी को वहीं पर धोने के लिए डाल दिया। शाम को जीजू के ऑफिस से आने के बाद एक और अजीब वाकिया हुआ।
जीजू की अन्तर्वासना  मैं अचानक दीदी के कमरे में गई तो देखा कि बाथरूम का दरवाजा खुला था और अन्दर जीजू सिर्फ जॉकी की छोटी अंडरवियर में थे और मेरी पैन्टी को अपने अंडरवियर के ऊपर रगड़ रहे थे.. कभी पैन्टी को सूंघ रहे थे। मैं वहाँ से भाग कर अपने कमरे में आ गई।

कुछ दिन बीते मेरी और जीजू की दोस्ती और बढ़ गई। वो मुझे घूर-घूर कर देखते थे.. तो मुझे भी अच्छा लगता था। फिर जीजू ने मेरे साथ छेड़छाड़ करना शुरू कर दिया, कई बार मेरे गालों को चूम भी लिया।
एकाध बार तो उन्होंने दीदी के सामने ही मेरे मम्मे भी दबा दिए.. इस पर दीदी भी कुछ नहीं कहती थीं।

हमारी मस्ती ऐसे ही चलने लगी, मुझे भी इसमें बड़ा मजा आता था। एक दिन दीदी के सामने ही जीजू ने कहा- रोमा अब तो तुम्हारी भी शादी होगी.. शादी के बाद क्या होना है.. तुझे पता है.. कोई एक्सपीरिएंस है तुझे? नहीं तो मुझ से सीख ले कुछ.. मेरा भी कुछ काम बन जाएगा.. क्योंकि तेरी दीदी तो इस हालत में मुझे हाथ भी लगाने नहीं देती.. तू ही कुछ मदद कर दे मेरी।

इस पर दीदी भी जीजू को प्रोत्साहित करते हुए बोलीं- हाँ हाँ.. इसे भी सिखा दो।
जीजू ने उसी वक्त मुझे अपनी बाँहों में ले लिया और यहाँ-वहाँ छूने लगे।
मैं ऊपरी मन से उनकी इन हरकतों का विरोध करती रही।

इसके बाद तो धीरे-धीरे जीजू की हरकतें बढ़ने लगीं।
अब तो वो दीदी के सामने ही मेरे होंठ चूम लेते और मेरे मम्मों को भी अच्छी तरह से दबा देते।

एक दिन में जीजू के कमरे की सफाई कर रही थी कि तभी मुझे उनकी डायरी मिली। मैंने जब डायरी पड़ी तो मेरी चूत में एक अजीब से गुदगुदी सी होने लगी।
जीजू ने वो सारी बातें उसमें लिखी थीं.. जो वो इतने दिनों से मेरे साथ कर रहे थे। मेरी ख़ूबसूरती की ऐसी-ऐसी बातें लिखी थीं.. कि मुझे पढ़ कर शर्म आ गई।
जीजू ने तो यह तक लिखा था कि जब उन्होंने मेरी पैन्टी अपने लण्ड के ऊपर रगड़ी और सूंघी थी.. तभी उन्होंने फैसला कर लिया कि मेरे वापस घर जाने से पहले मुझे एक बार सर से पैरों तक चूमेंगे.. चाटेंगे.. सहलाएंगे और प्यार करेंगे।

यह पढ़ कर तो मैं घबरा गई.. फिर बाद में मुझे अच्छा लगा क्योंकि पहली बार लाइफ में किसी मर्द से अपनी तारीफ़ सुनी थी।
शाम को ऑफिस से आने के बाद वो मेरे लिए आइसक्रीम लेकर आए।
मैंने पूछा- ये किस खुशी में?

तो वो बोले- जो खुशी मुझे तुम्हारे आने से हुई है.. उस खुशी में। उस रात जब मैं सोने के लिए अपने कमरे में आई.. तो करीब एक घंटे बाद जीजू मेरे कमरे में आए और बोले- वसु सो गई है (जीजू दीदी को प्यार से वसु बोलते हैं) और मुझे नींद नहीं आ रही थी.. तो तुम्हारे पास चला आया। तुम भी सो गई थीं क्या?

मैंने बोला- नहीं.. अभी नहीं सोई।
जीजू मेरे बिस्तर पर बैठ गए और हम बातें करने लगे।

जीजू बोले- चलो एक गेम खेलते हैं।
मैंने भी ‘हाँ’ कर दी.. तो जीजू मेरे करीब आकर लेट गए और मेरे पेट पर हाथ रख लिया।
जीजू बोले- तूने कभी गुदगुदी-गुदगुदी खेला है?
मैंने कहा- नहीं..

उस वक़्त जीजू ने एक बनियान और निक्कर पहने हुए थे और मैंने नाइटी पहनी थी।
जीजू बोले- मैं तुझे गुदगुदी करूँगा.. अगर तूने सह लिया और हँसी भी नहीं.. तो मैं तुझे इनाम दूँगा।
मैंने कहा- ठीक है।

जीजू ने मेरे हाथ सर के ऊपर कर दिए और बोले- अगर गुदगुदी हो तो जोर से तकिया पकड़ लेना.. पर हाथ मत रोकना।

यह कह कर जीजू ने धीरे से मेरे गालों.. मेरे होंठों पर हाथ फेरा और बोले- तुम बहुत सुन्दर हो रोमा.. एकदम गोरी और चिकनी..
फिर जीजू ने मेरे कानों के पीछे हाथ फेरा.. मुझे अच्छा लगने लगा।

फिर एकदम से जीजू ने मेरे मम्मों को अपने हाथ में ले लिया.. तो मेरे पूरे शरीर में सिरहन दौड़ गई।
मैंने कहा- जीजू बड़ा अजीब फील हो रहा है।

जीजू बोले- होगा ही.. यह तो सबसे ज्यादा मजेदार गेम है.. पता है तेरी दीदी के साथ इस खेल को खेले हुए मुझे पूरे 5 महीने हो गए हैं और मैं बेहद भूखा हूँ।

फिर जीजू ने मेरे निप्पलों को हल्के-हल्के मसला.. तो मैं तकिया दबा कर पैर पटकने लगी।

फिर उन्होंने धीरे से मेरे पेट की नाभि में उंगली डाल दी.. मुझे मज़ा आ रहा था। फिर जीजू मेरे पैरों के पास आकर लेट गए और मेरे पैरों पर गुदगुदी करके चूमने लगे।

तभी मैंने अपनी चूत में से कुछ निकलता हुआ महसूस किया और जीजू को ये बताया.. तो उन्होंने कहा- ये नार्मल बात है और इसका मतलब ये है कि तुम चुदने के लिए तैयार हो रही हो।

जीजू के मुँह से ‘चुदने’ का शब्द सुन कर मैं तो और ज्यादा मदहोश हो गई।
जीजू ने मुझे नंगी किया

अब जीजू ने बनियान और निक्कर उतार दी.. वो केवल जॉकी की छोटी अंडरवियर में थे। उनकी मोटी-मोटी जांघें और तगड़ा जिस्म देख कर मैं हैरान रह गई।

वो मेरे पैरों के साइड में लेट गए। उन्होंने मेरी नाइटी ऊपर तक उठा दी और पेट पर इकट्ठी कर दी। मेरी गोरी-गोरी जांघें देख कर वे खुश हो गए और उन्हें जी भर के चूमने और चाटने लगे।

मैंने भी अपना हाथ बढ़ा कर उनकी अंडरवियर को उतार दिया और उनके लण्ड को हाथ में लेकर खेलने लगी।
तभी जीजू ने मेरी जाँघें फैला दीं और आकर मेरे ऊपर लेट गए।

अब वे मेरे होंठों को चूमने लगे.. कभी मेरे होंठ चूमते.. तो कभी मेरी गर्दन को.. तो कभी मेरे मम्मों को.. मेरे निप्पल को मुँह में लेकर काटते।

मैंने जीजू से कहा- एक बार जोर से मेरे मम्मों को दबाओ न..

तो उन्होंने अपने सख्त हाथों से मेरे निप्पलों और मम्मों को जोर से दबा दिया.. मुझे मजा आने लगा। फिर वे मेरे चूचों को दबाते-दबाते उन्हें नाइटी के ऊपर से ही चूमने लगे और कहने लगे- रोमा तू तो एकदम चिकनी आइटम है। फिर जीजू ने मेरी नाइटी उतार दी.. और मुझे ब्रा उतारने को कहा।

जब मैं ब्रा उतारने लगी.. तो जीजू ने मेरी पैन्टी पकड़ कर खींच दी और मेरी चूत पर उंगली फिराने लगे। फिर एक उंगली अन्दर मेरी रसीली चूत में डाल दी।

मुझे सिहरन सी हो उठी.. उन्होंने अपनी जीभ से मेरी चूत को चाटना चालू कर दिया। मेरा बुरा हाल हो उठा था.. पर मज़ा भी बहुत आ रहा था।

मैं जीजू को कहने लगी- आह्ह.. और करो जीजू.. मुझे बहुत मज़ा आ रहा है.. मेरी चूत में कुछ-कुछ हो रहा है.. मैं तड़प रही हूँ।
जीजू का लंड

कुछ देर बाद जीजू ने कहा- अब मुझे नीचे लेटने दो.. तुम ऊपर आकर मेरे लण्ड से खेलो।

तो मैंने घुटनों पर बैठ कर उनके लण्ड से खेलना शुरू दिया।

जीजू ने इशारा किया मैंने समझते हुए अपना सर नीचे किया और जीजू ने अपना लण्ड मेरे मुँह में डाल दिया और उसे चूसने को बोले।
मैं भी मज़ा लेकर लण्ड चूसने लगी।

काफी देर चूसने के बाद जीजू ने मुझे लिटा दिया। मेरी कमर के नीचे एक तकिया लगा दिया और मेरी चूत में उंगली डाल कर आगे-पीछे करने लगे।

मैंने अपने पैर उनकी कमर में लपेट लिए और जोर से चिल्लाई- जीजू प्लीज़ धीरे-धीरे करो ना.. आाह्ह्ह्ह्.. ऊऊह्ह्ह.. बहुत मज़ा आ रहा है।

मैं अपना सब कुछ जीजू पर लुटा रही थी, हर तरह से उन्हें खुश कर देना चाहती थी, जीजू भी मुझे पूरी तरह खुश कर रहे थे।

जब मेरी चूत एकदम चिकनी हो गई.. तब जीजू ने अपना लण्ड मेरी चूत के ऊपर रखा.. तो ऐसा लगा जैसे किसी न गरम सरिया रख दिया हो।
मैंने आँख बंद कर ली और मज़ा लेने लगी।

जीजू ने हल्के-हल्के से धक्का मारना शुरू किया और अपना लण्ड मेरी चूत में डालने लगे। मेरा दर्द से बुरा हाल होने लगा.. मैं चिल्लाने लगी- धीरे-धीरे करो जीजू.. बहुत दर्द हो रहा है..

जीजू कहाँ मानने वाले थे.. उनके अन्दर का सांड जाग चुका था। उन्होंने जानवरों की तरह मुझे चोदना शुरू कर दिया। उन्होंने अब अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में पेल दिया था और जोर-जोर से मुझे चोदने लगे। वे साथ में मेरे मम्मों को भी मसल रहे थे और उंगली से निप्पल को भी मींज रहे थे।

जीजू ने मुझे लाइफ टाइम का आनन्द दे दिया था।
काफी देर तक जीजू मुझे जानवरों की तरह चोदते रहे।
मुझे भी मज़ा आ रहा था.. इसलिए मैं उनकी इन हरकतों का विरोध भी नहीं कर रही थी.. बल्कि मज़ा ले रही थी।

फिर कुछ देर बाद जीजू भी जोर से ‘आआह्ह्ह.. आआह्ह्ह..’ करने लगे। तभी मैं एकदम से पिंघल गई तो उन्होंने भी लण्ड को चूत से निकाल लिया.. और मेरी चूत के ऊपर अपना सारा पानी छोड़ दिया।

हम दोनों बुरी तरह थक चुके थे। कुछ देर आराम करने के बाद वे मुझे 69 की पोजीशन में ले आए। मैं जीजू का लण्ड जो कि अब छोटा हो चुका था.. उसे अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और जीजू ने अपने अंडरवियर को उठाया और मेरी चूत को साफ करने के बाद चूत को चूमने लगे।
जीजू ने मुझे घोड़ी बनाया

कुछ देर के बाद जीजू ने मुझे घोड़ी बनने को कहा.. तो मैं झट से बन गई।

तब जीजू ने एक जोर का थप्पड़ मेरे चूतड़ पर मारा.. मैं जोर से चिल्लाई और बोली- ये क्या कर रहे हो जीजू.. मार क्यों रहे हो?
तब जीजू ने कहा- इसमें भी तुमको मजा आएगा.. मैं तुम्हारी दीदी को भी इसी तरह मारता हूँ.. उसे बहुत मजा आता है। मैंने उनका लण्ड चूस लिया था.. तो उनका लण्ड फिर से खड़ा हो गया था। जीजू ने मेरी कमर को पकड़ा और अपना लण्ड एक बार फिर से मेरी चूत में घुसा दिया।

फिर उन्होंने मेरे बाल पकड़े और जोर-जोर से मुझे चोदने लगे।
मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि मैं बता नहीं सकती।

यह लिखते हुए भी मेरी चूत बिल्कुल भीग चुकी है और मैं अपनी चूत को सहला रही हूँ।
उधर मेरी चूत ने भी अब जवाब दे दिया था.. और जीजू भी झड़ने वाले थे।

अबकी बार उन्होंने अपना सारा पानी मेरी कमर के ऊपर निकाल दिया और मैं औंधी ही लेट गई। जीजू भी मेरे पास लेट कर मुझे बेतहाशा चूमने लगे।

फिर अपनी अंडरवियर से मेरी कमर पर गिरे उनके वीर्य को साफ किया और चूत को चूमा.. चाटा.. सहलाया और बोले- तुम अब तुम सो जाओ।

मैं करवट लेकर सो गई.. पर मुझे लगातार जीजू के होंठ अपनी चिकनी पिंडलियों महसूस हो रहे थे।

तो यह थी दोस्तो, मेरी आज की कहानी।

सोमवार, 1 फ़रवरी 2016

Meri 13 saal ki Sali


Mai first time story likh raha hon. Mera naam imran hai aur mai shadi shuda hon aur age 28. Meri wife ki 2 sisters hain aur yeh unhi ke baray mai story hai. Ek meri Sali 13 saal ki jis ka naam fairy hai aur dosri sana jo 18 saal ki. Meri dono saliyan buhat he sexy hain. Aur dono ko mai ne shadi ke baad choda. ab mai story ki taraf ata hon.

Yeh aj se 2 saal pehlay ki baat hai jab meri shadi hui thi.shadi ke baad mai apni wife ke sath buhat hansi khushi reh raha tha.hum husband wife aksar bahir outing ke liye jatay to meri saliyan bhi hamaray sath janay ko kehti to hum un ko sath le jatay. Mai ne kabhi bhi apni saliyon ko buri nazar se nahi dekha tha. Lakin yeh start tab hua jab mujhay pehli baar meri choti Sali jis ka naam fairy hai us ne mera hath apni choti si breast pe rakha.

Hua yun ke hum sab beach peg aye thay aur hum pani mai naha rahay thay aur normal masti kar rahay thay.achanak meri choti Sali na pani ke andar mera hath pakar kar apnay 28 size ki breast pe rakha jo ke luckily kisi ne notice na kiya.pehlay to mai buhat heran hua lakin akhir tha to mard.Sali ki ankhon mai lust dekh kar aur us ke untouch chotay chotay breast ko touch kar ke pagal hona shuru ho gaya.mai ne apna hath pechay na kiya aur us ne meray hath pe apna hath pe rakh ke apni breast ko ahista ahista press karna shuru kar diya.mai samaj gaya ke who maza laina chah rahi hai.hum pani mai thay is liye mai asani se us ki breast daba sakta tha.mai ne fairy ki shirt mai hath daal diya aur us ke nipples ko dabana shuru kar diya jis se us ko moun se awaz nikali jis ke us ko maza de rahi thi.sab apna apna enjoy kar rahay thay aur mei meri choti Sali separate thay.aur Sali ke chotay honay ki waja se koi hum pe shak nai karta tha.lakin kisi ko kya pata tha ke Sali aur jija mai kya ho raha hai. Phir thori dair breast ke nipples dabanay ke baad mai ne apna hath us ki shorts mai dal diya..jo ke elastic wali thi.is liye hath dalnay mai koi problem na hui.us ki chot bilkul choti aur baal nahi thay.mai ne apni ek finger us ki chot per phairna shuru kar di jis se us ke moun se awazain nikalnay shuru ho gaye.13 saal ki thi is liye us ki chot buhat tight aur choti thi.mai ne ek finger andar dali to us ne mujhay zor se pakar liya.mai apni Sali ko maza daina chahta tha to mai ne apni finger ahista ahista agay pechay karna shuru kar di.5 minute pe who farig go gaye.us ke baad us ne apna hath meray lun pe rakha aur us ko apnay hathon se rub karna shuru kar diya.mai ne apni shorts nechay kar ke apna 9 inch ka lun us ke hath mai pakra diya jis ko who pakar ke muth marnay lagi.thori dair ke baad mai ne apna pani nikal diya aur bas us din hum itna he kar paye aur phir sab loog ghar wapis aa gaye.lakin meri pyar na bhuji kyun ke ab mai apni Sali ki chot dekhna chahta tha.akhir who mouka bhi mil he gaya.

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Ab mei bari bari dono ki gand marnay laga. Aur 30 minutes tak farig ho gaya aur apna pani sana ki moun mai daal diya.

Hum ko 2 saal ho chukay hain. Dono saliyon ko chod chod kar un ki choot aur gaand buhat khuli ho gaye hai

शनिवार, 23 जनवरी 2016

जीजा ने चोदी साली की चूत ।


बात करीब चार साल पुरानी है लेकिन आज भी नई सी लगती है। तब रवि से मेरी शादी को दो साल हो चुके थे। मेरी शादी के एक साल बाद ही मेरी जुड़वाँ बहन सपना की भी शादी हो गई।

मेरी शादी का पहला एक साल काफी मस्त रहा था, इस दौरान सपना भी कई बार मेर घऱ आई। भले ही वो मेरी हमउम्र थी लेकिन रवि के लिये तो वो साली ही थी, दोनों एक दूसरे को काफी छेड़ते रहते थे लेकिन दोनों ने कभी भी अपना सीमाएँ नहीं तोड़ी।

सपना की शादी के कुछ समय बाद ही निखिल का मेरे ही शहर में तबादला हो गया, उसका दफ्तर शहर के बाहर था, वो अपने दफ्तर के पास ही किराये का मकान तलाश रहा था लेकिन इलाका ठीक नहीं था।
मेरा इलाका थोड़ा महंगा था इसलिये वो मेरे आसपास आने से हिचक रहा था।
उसकी मुश्किल रवि ने आसान कर दी, रवि के दफ्तर के पास ही एक घर खाली था। मकान मालिक रवि के दफ्तर का था इसलिये उसने किराया थोड़ा कम कर दिया, सपना और निखिल उस मकान में किराये पर रहने लगे।

यह घर रवि के दफ्तर के पास था इसलिये कभी कभी रवि भी सपना और निखिल से मिलने जाता रहता था, मेरा भी जाना होता था लेकिन घऱ बहुत पास नहीं था लेकिन फोन पर रोज बात होती थी।
मेरे और सपना के बीच सैक्स को लेकर कभी कभी बातें होती थीं, उसकी बातें सुनकर लगता था कि वो शादी के पहले से ही सैक्स के बारे में काफी कुछ जानती थी।

सपना की शादी को एक साल हो गया था। अचानक उसका फोन आया कि निखिल को दफ्तर के काम से एक हफ्ते के लिये बाहर जाना पड़ रहा है। मैंने उसे अपने यहाँ बुलाया तो सपना बोली कि घर को खाली नहीं छोड़ सकती हूँ चोरी का डर है।

एक हफ्ते बाद उसका फिर फोन आया कि निखिल को आने में अभी तीन दिन और लगेंगे और उसे अब रात में डर लगता है।
मेरी भी मुश्किल यही थी कि मैं भी घर खाली नहीं छोड़ सकती थी क्योंकि पड़ोस का घर भी बंद था।
इस हालत में मैंने रवि से उसके घर रुकने को कहा तो थोड़ी ना-नुकुर के बाद वो राजी हो गया।

रवि को सपना के घर रहते हुए दो दिन बीत चुके थे। आज दूसरी रात थी और मैं बिस्तर पर करवटें बदल रही थी। मुझे पता था कि रवि पूरा चुदक्कड़ है, हर रात मेरी चूत ठोकता है, चूत की खूब चुदाई करता है।

उसके साथ सपना एक घर में अकेली... मैंने पूरी रात जगाते हुए काटी और सुबह छः बजे मैं सपना के दरवाजे पर थी।
दरवाजे पर सपना का दूध वाला खड़ा था और दूध-दूध की आवाज लगा रहा था।
दरवाजा रवि ने खोला।
उसने कमर पर तौलिया बांध रखा था, मुझे देखते ही रवि चौंक गया, घबराहट में दूध लेकर किचन की तरफ गया तो तौलिया खुल कर नीचे गिर गया।
रवि ने अंडरवियर भी नहीं पहना था, हकलाते हुए कहने लगा कि वो नहाने जा रहा था।

मैं सपना के कमरे में गई तो वो चादर ओड़ कर सो रही थी।
कमरे में रवि और सपना के कपड़े पड़े थे, रवि का अंडर वियर.. सपना की ब्रा.. पैंटी भी उसमें शामिल थी।
मेरा शक सही था… रवि ने अपनी साली को चोद दिया था।

मैं रवि को दूसरे कमरे में ले गई, उससे कहा- झूठ मत बोलो, तुम नहाने नहीं जा रहे थे, तुमने रात में सपना को चोदा है। कमरे में फैले पड़े कपड़े इसकी गवाही दे रहे हैं।
मेरी बात सुनकर रवि ने हाँ कर दी।
मैंने कहा- ऐसा क्यों किया? क्या तीन दिन सब्र नहीं कर सकते थे?

रवि ने इसके बाद पूरी कहानी बतानी शुरू कर दी उसने बताया कि पहली रात को वो दूसरे कमरे में सोया था। रात में आँख खुली, उसने देखा कि सपना के कमरे की लाइट जल रही था।
उसने दरवाजे के छेद से देखा तो सपना अपने लैपटॉप पर कोई फिल्म देख रही थी। लैपटॉप से आ रही आवाज से साफ था कि वो कोई ब्लू फिल्म देख रही थी, सपना का एक हाथ चूत पर और दूसरा चूची पर था।

कुछ देर में उसने अपनी चूची खुद पीने की कोशिश की लेकिन पूरी कोशिश के बाद भी चूची उसके मुंह तक नहीं पहुंची। इसके बाद वो दोनों हाथों से अपनी चूचियाँ दबाने लगी। उसके मुंह से ऊह..आह की आवाज निकल रही थी। इस दौरान उसने किसी को फोन किया लेकिन फोन नहीं उठाने पर उसे गुस्से से फेंक दिया।

अपनी साली को इस हाल में देख कर रवि का लंड भी खड़ा हो गया। लेकिन उसने खुद पर संयम रखा।
पूरी रात रवि ने जागते हुए काटी। सुबह जब उसे सपना के उठने की आवाज आई तो उसने अपने लंड को खड़ा किया और उसे नेकर के बाहर निकाल लिया। इसके बाद वो मुंह पर चादर डाल कर सोने का नाटक करने लगा। हाँलाकि चादर से उसे बाहर का पूरा नजारा दिख रहा था।

सपना जब उसके कमरे में आई तो उसका खड़ा लंड देखकर चौंक गई। एक बार कदम पीछे चले लेकिन फिर वो आगे चलती हुई आई। वो बड़े गौर से रवि के लंड को देख रही थी। एक बार उसने मुंह खोल कर लंड को चूसना चाहा लेकिन फिर मुंह पीछे कर लिया।

चादर के अंदर से रवि उसकी एक एक हरकत को गौर से देख रहा था। उसकी समझ में आ गया था कि एक हफ्ते से निखिल के लंड की प्यासी सपना का हाल बुरा हो चुका है।
इसके बाद सपना कमरे से बाहर चली गई।

रवि के लिये भी अपने पर काबू रखना मुश्किल हो रहा था लेकिन वो चाहता था कि पहल सपना ही करे।
थोड़ी देर रवि ने जागने का नाटक किया और चाय की फरमाइश की।
सपना उसके लिये चाय बना कर लाई और नहाने चली गई।

सपना जब नहा कर बाहर निकली तो उसने तौलिये का बना हुआ गाउन पहन रखा था, इस गाउन को एक डोरी के सहारे बांधा गया था। इसलिये गले और उसके नीचे का पूरा हिस्सा साफ दिख रहा था।

सपना के गाउन से झांकती चूचियाँ काफी टाइट लग रहीं थी।
रवि की धड़कने तेज हो रहीं थी।
वो भी नहाने चल गया। नहा कर निकला तो अंडरवियर के ऊपर तौलिया लपेट कर आ गया।
उसके बाहर निकलते ही सपना ने कहा- ..जीजू तौलिया गीला है.. उतार दो वरना अंडवियर भी गीला हो जायेगा।
इसके बाद उसने आगे बढ़कर रवि का तौलिया खींच लिया।

अब रवि सिर्फ अंडरवियर पहने खड़ा था। रवि का लंड खड़ा था इसलिये अंडरवियर में भी टैंट बन गया था।
उसे देख कर सपना बोली- ...दो दिन रेनू से नहीं मिले तो यह हाल हो गया है।

रवि अंडरवियर पहने ही नाश्ते सोफे पर बैठ गया। सपना प्लेट में नाश्ता लेकर आई तो उसने इतना झुक कर मेज पर प्लेट रखी किउसकी एक चूची गाउन से बाहर निकल गई।
यह देख कर रवि ने पूछा- ..आखिर क्या क्या खाना है?
सपना ने भी उसी अंदाज में जवाब दिया- ...जो खाना हो, खा लो।

सपना का जवाब सुनते ही निखिल ने उसे खींच लिया और उसके होठों पर अपने होंठ रख दिये। दोनों की सांसें तेज हो गई थी... होटों के अंदर दोनों की जीभ लड़ाई कर रहीं थी... सपना के मुंह से सिसकारी निकलने लगी।

और जल्दी ही सपना के गाउन की डोरी खुल गई, उसने नीचे कुछ भी नहीं पहन रखा था, रवि का भी अंडरवियर उतर चुका था।
कोई भी मर्द चाहे जितनी लड़कियाँ चोद ले लेकिन साली और भाभी की चुदाई का उसे अलग ही मजा आता है।

रवि ने कहा- साली जी, रात में क्या हो रहा था, मैंने सब देखा है।
सपना भी बेशर्मी से बोली- शादी का पहला साल है। निखिल दिन में तीन बार ठोकता है और अब एक हफ्ते से चूत प्यासी है।
उसने यह भी बताया कि एक बार शादी के पहले जब वो मेरे घर आई थी तो उसने रवि को मेरी चूत पीते देखा था।
कहने लगी- जीजू... निखिल तो मेरी चूचियों के पीछे दीवाने रहते हैं लेकिन मेरी बुर कभी नहीं चाटी, आज आप मेरी चूत चाट चाट कर शांत कर दो।

रवि ने उसे सोफे पर ही लिटाया और सपना की बुर पीनी शुरू कर दी। बुर पीने में रवि को महारत हासिल है। चंद सैकेंड में उसने सपना को पागल बना दिया।
सपना की गांड जोर जोर से उछल रही थी- ..हाय जीजू, तुम्हारी जीभ कितनी गर्म है... हाय रेनू को कितना मजा आता होगा.. और अंदर डालो अपनी जीभ...
उसने अपने हाथों से रवि का सिर दबा दिया, थोड़ी ही देर में उसकी फ़ुद्दी ने पानी छोड़ दिया था।
इसके बाद उसने रवि का लंड पिया और रवि के लंड से निकला जूस भी पी गई।

सपना की पहली चुदाई के बाद ही रवि ने दफ्तर फोन किया औऱ तबियत खराब होने का बहाना कर दिया।
इसके बाद उसने सपना को दिन में दो बार और रात में एक बार और चोदा।
सुबह के समय जब मैंने रवि को सपना के घर देखा था तब वो सपना को चार बार चोद चुका था।

तो मैंने कैसे किया हिसाब बराबर?

मैंने रवि को तुरंत दफ्तर जाने को कहा और उससे यह भी कहा कि मैं एक दो दिन बाद ही घर आऊँगी।
मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर था।
मैं दूसरे कमरे में बिछे बिस्तर पर लेट गई, रवि को निकलने के थोड़ी देर बाद ही सपना भी जाग गई।
उसने कमरे से ही आवाज लगाई- ..जीजू.. कहाँ हो… क्या कर रहे हो।
उसका जवाब मैंने दिया- ..उठ जा महारानी.. तेरे जीजू तो दफ्तर चले गये।

मेरा जवाब सुनने के दो मिनट के भीतर ही सपना मेरे सामने गाऊन पहने खड़ी थी।
कहने लगी- ..रात में निखिल का फोन आ गया था इसलिये देर तक जागती रही और उठने में देर हो गई।
मैंने उससे कहा- अब झूठ मत बोल!

मैं सपना को उसके कमरे में ले गई। कमरे में बिखरे कपड़े अब एक तरफ समेट दिये गये थे, उनमें रवि का अंडरवियर भी था।

मैंने कहा- यह अंडरवियर तेरे कमरे में क्या कर रहा है?
सपना बोली- …वो धोने के लिये दिया था।
मैंने अंडरवियर उठाया और पूछा- ..ये चिपचिपा सा इसमें क्या लगा है?
सपना ने कहा- ..कोई चीज गिर गई होगी।
मैंने गुस्से में बेशर्मी के साथ उससे कहा- ..सीधी तरह से बात कर.. दो साल से मेरी चुदाई हो रही है और एक साल से तेरी। इस चिपचिपी चीज को मैं भी और तू भी अच्छी तरह से पहचानते हैं।
मैंने उसे यह भी बताया कि रवि ने मुझे सब कुछ बता दिया है और अब यह बात मैं मम्मी-पापा से बताऊँगी।

यह सुनते ही सपना घबरा गई, कहने लगी- इसमें मम्मी पापा कहाँ से आ गये?
उसका कहना था कि पिछले एक साल से निखिल दिन में तीन बार उसकी चुदाई कर रहा था और एक हफ्ते से उसकी बुर प्यासी रह गई थी। पागलपन में वो किसी और के साथ लंड-चूत का खेल खेलने को सोच रही थी, फिर सोचा कि मामला खुल गया तो बदनामी होगी। इसलिये जब रवि उसके घऱ रुका तो उसने सोचा कि जीजू से चुद भी जाएगी और बदनामी भी नहीं होगी। आखिर साली ही तो आधी घरवाली होती है।

उसकी बात सुनकर मेरा गुस्सा ठंडा पड़ गया, सोचा कि ठीक ही तो कह रही है किसी दूसरे के साथ करती तो वो ब्लैकमेल कर सकता था।
मैंने उससे कहा- अच्छा, चल अब यह भी तो बता कि कैसा है तेरा जीजू?
सपना थी तो मेरी हमउम्र ही… कहने लगी कि निखिल तो मेरी चूचियों पर चढ़ाई कर देते हैं और मुझसे भी अपनी चूचियां पीने को कहते हैं लेकिन चूत नहीं पीते हैं। जीजू ने चूत पीकर जन्नत के नजारे करा दिये। हाँ यह बात जरूर है कि निखिल का लंड मोटा और बड़ा है। जीजू इस मामले में पीछे रह जाते हैं।

मोटा और बड़ा… निखिल का लंड… मेरे दिमाग हवा में उड़ने लगी।
मो…टा, ब…ड़ा… मेरी चूत में भी सनसनी होने लगी थी, मेरा शैतान जाग चुका था।
आखिर मैं भी तो निखिल की साली ही थी, भले ही शादी एक साल पहले हो गई थी।

मैंने सपना से कहा- …ठीक है, मैं एक शर्त पर पापा-मम्मी से शिकायत नहीं करूंगी। अगर तू भी मुझे निखिल के लंड का मजा लेने दे। सपना पहले तो हिचकी लेकिन पापा-मम्मी के डर से मेरी बात मान गई, कहने लगी- …चल एक बार तू भी ऐसा कर ले लेकिन निखिल इसके लिये तैयार नहीं होगा।
मैंने उससे कहा- ..तू यह बात मुझ पर छोड़ दे.. कुछ सोचती हूँ इस बारे में। वैसे भी हम दोनों की कद काठी एक जैसी थी।

दोपहर के समय निखिल का फोन आया, कहने लगा कि काम जल्दी खत्म हो गया है इसलिये आज रात नौ बजे तक वो घर आ जायेगा।
यह बात सपना ने मुझे बताई, मैंने तुरंत ही एक योजना बनाई और सपना को इस बारे में निखिल को बताने को कहा।

मेरी योजना के मुताबिक सपना ने निखिल को बताया कि थोड़ी देर पहले एक बाबा घर में आये थे। उसे देखते ही कहने लगे- बच्चा… पति सुख के लिये परेशान हो?
उन्हीं बाबा ने बताया कि अगर सपना आठ घंटे का मौन व्रत रख ले और इस दौरान घर में कोई रोशनी नहीं हो तो निखिल और सपना एक दिन के लिये भी अलग नहीं होंगे।
सपना ने यह भी बताया वो शाम छः बजे से मौन व्रत रखेगी जो रात दो बजे तक खत्म हो जायेगा।

निखिल को इसमें कोई ऐतराज नहीं था कहने लगा- स्वीट हार्ट.. आठ घंटे की ही तो बात है… कर लेंगे, लेकिन चुदाई से इंकार मत करना।
सपना ने जवाब दिया- ठीक है, पूरी कसर निकाल लेना।
शाम को सपना ने बताया कि निखिल चूचियाँ पीने का मास्टर है.. उसकी चूची जरूर पीना, नहीं तो शक हो सकता है।

मैं निखिल के मोटे और बड़े लंड के इंतजार में पागल थी।
रात को नौ बजे से पहले सपना और मैंने एक जैसा तेज परफ्यूम लगा लिया।
मैं दूसरे कमरे में छिप गई। सपना ने एक कागज पर बड़ा बड़ा लिख लिया था ‘आठ घंटे तक मौन व्रत और कोई लाइट नहीं।’

थोड़ी ही देर में निखिल आ गया, उसने दरवाजे पर ही सपना को जोर से बाहों में लेकर जोरदार चुम्बन लिये।
सपना ने कागज दिखा कर उसे याद दिलाया कि आठ घंटे तक घर में अंधेरा रहेगा और वो बोलेगी नहीं।

उसे देखकर निखिल बोला- ठीक है डार्लिंग.. मुझे पूरा याद है।
दोनों ने खाना खाया और बिस्तर पर लेट गये।
पूरे घर में घुप्प अंधेरा था।

पांच मिनट सपना कमरे से बाहर निकली और मैं उसका गाउन पहन कर निखिल के कमरे में घुस गई।
हम दोनों ने एक सा परफ्यूम लगा रखा था इसलिये अंधेरे में निखिल को पता नहीं चला कि क्या हो चुका है।

मेरे बिस्तर पर लेटते ही निखिल मुझ पर टूट पड़ा.. कहने लगा कि उसका लंड नौ दिन से भूखा है और इस बीच किसी की चूची भी नहीं पी पाया।
उसने गाउन इस अंदाज में उतारा कि जैसे वो उसे फाड़ देगा और मेरी चूचियों को पूरी ताकत से दबाने लगा।
मैं किसी तरह अपनी चीख पर काबू रख पा रही थी, अगर निकल जाती तो बाबा जी की बात पूरी नहीं हो पाती।

एक मिनट बाद ही निखिल ने मेरी चूचियों को पीना शुरू कर दिया। मुझे लगा कि आज तो इन चूचियों से दूध भी निकल जायेगा।
नीचे पैरों से टकराता निखिल का लंड मुझे पागल बना रहा था, मेरी चूत से नदी बहने लगी थी।

थोड़ी देर बाद ही निखिल ने मुझे अपने ऊपर ले लिया।
मैं इशारा समझ गई थी, अब वो अपनी छोटी-छोटी मर्दों वाली चूची पिलवाना चाहता था।
मैंने बड़े धीरे-धीरे उन्हें पीना शुरू किया।
निखिल तफड़ने लगा था, उसने जोर से कहा- ..सपना जोर से पियो.. मजा आ रहा है।
मैंने भी चूचियों पर दबाव बढ़ा दिया।

अचानक मैं बिजली की तेजी से घूमी और निखिल का लंड अपने मुंह में भर लिया।
निखिल ने जोर से सिसकारी भरी और कहने लगा- ..नौ दिन में एक नई चीज सीख ली है।

मुझे उसकी बात से कोई मतलब नहीं था, मैं तो बस उसकी लंड की मोटाई से पागल थी।
इतना बड़ा… मैं उसे छोड़ना ही नहीं चाहती थी लेकिन निखिल पूरा गर्म हो गया था, उसने पूरी ताकत से मुझे उठाया और बिस्तर पर एक तरफ फेंक दिया।
रवि ने कभी भी मेरे साथ ऐसा नहीं किया था।

मेरे बिस्तर पर गिरते ही निखिल भी मेरे ऊपर चढ़ गया और पूरी ताकत से अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया।
मैं पागलों की तरह अपने चूतड़ों को हिला रही थी।
निखिल तो पूरे नौ दिन का प्यासा था।

हम दोनों बिस्तर पर कलाबाजियाँ खा रहे थे लेकिन लंड और चूत एक दूसरे से चिपक गये थे।
पूरे पांच मिनट की कुश्ती के बाद निखिल के लंड और मेरी चूत से पिचकारी छूट गई। निखिल ने मेरी जोरदार चुम्मी ली और बोला- यार आज तो तूने मूझे पूरा मस्त कर दिया।

इसके बाद वो मुझसे चिपक कर सो गया।
सुबह पांच बजे के करीब मैं कमरे से बाहर निकली और जल्दी जल्दी सपना को रात की चुदाई के बारे में बताया।
निखिल के जागने से पहले ही मुझे अपने घर के लिये निकलना था।
दरवाजे पर विदा होते समय मैं सपना के कान में फुसफुसाई- ..चल बहन… हिसाब बराबर हो गया।

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