गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

सविता भाभी की चुदाई

मेरी भी एक दूर की भाभी है, उनका नाम सविता है, उम्र ३० साल है। वो विधवा है और ३ बच्चों की माँ है। उसके पति यानि मेरे भाई की मृत्यु हो चुकी है। पर साली किरण भाभी पर उसके मरने का असर १-२ साल ही रहा। उसने मेरी तरफ नज़रें कीं। रोज़ मुलाक़ात हो जाती थी क्योंकि हमारा घर अगल बगल में ही है। मुझे भी चोदने का मन कर रहा था। और मैंने उसके इशारे समझ लिए थे, और सोचा कि साली भाभी है तो क्या हुआ, उम्र मेरे से थोड़ी अधिक है। उसका अपना लण्ड चुसवा कर चुदाई ज़रूर करूँगा।
एक रात उसने पेट में दर्द के कारण मुझे बुलाया। मैं दवा लेकर गया। उसके कहने पर मैं बैठ गया। धीरे-धीरे उसे सहलाने लगा। उसका दर्द कम हो गया था, और वो गरम हो रही थी। मैं भी धीरे से अपना हाथ आगे बढ़ा रहा था पर उसने कुछ नहीं कहा। मैंने जान लिया कि साली गरम हो रही है और अपने बुर में मेरा लण्ड पेलवाना चाहती है। मैंने झट से अपना लण्ड निकाल लिया और उसके ऊपर चढ़ गया। अपना लण्ड उसके मुँह में डालने लगा। पर वह इसे अपने मुँह में नहीं लेना चाहती थी। पर मैंने कहा कि साली रण्डी पहले इशारा करती थी, अब नखरे करती है। ज्यादा नखरे किये तो लण्ड केवल मुँह में ही नहीं, बुर और गाँड में भी पेल दूँगा। इतना कहकर ज़बर्दस्ती अपने खड़े लण्ड को उसने मुँह में पेल कर चोदने लगा। उसके मुँह से गूँ-गूँ की आवाज़े आ रहीं थीं। कुछ देर में ही मेरे लण्ड ने अपना माल उसके मुँह में छोड़ दिया।
मैंने कहा "साली राँड, छिनाल, हरामज़ादी, कमीनी, लण्ड को चूसकर इसे फिर से खड़ा कर, अगर बाहर निकाला तो ऐसी गाँड़ मारूँगा कि बाप-बाप करने लगोगी।"
मैंने पाया कि मेरी गालियाँ उसे अच्छी लग रहीं थीं, क्योंकि मेरी बातों का वह बुरा नहीं मान रही थी। मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया। मैंने उसे फिर ज़बर्दस्ती कुतिया बनाया और जानवर की तरह एक ही धक्के में पूरा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया। वह ओहह्हह्हह्ह्हहह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हहह ओह्ह्ह्ह्हह करने लगी, छोड़ दो... छोड़ दो... कहकर गिड़गिड़ाने लगी।
मैंने कहा कि साली छिनाल भाभी, अभी रो रही है, भोसड़ी की , तेरी चूत से तीन को निकाल कर पहले ही फड़वा चुकी हो, अब इसमें क्या दर्द होता होगा। साली इतना चोदूँगा कि पहली चुदाई याद आ जाएगी। इतना कह करक मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगा। वह कह रही थी, मेरे मालिक धीरे करो। ओह... ओहहहहहह्हहह्ह्ह... उउउउम्म्म्म्महहह्ह्ह्हह... की आवाज़ें निकाल रही थी। मैंने कहा कि चुप साली हरामज़ादी, ज्यादा नखरे किये तो बुरा को चोद-चोद कर खून निकाल दूँगा।
वह समझ गई कि मैं रूकने वाला नहीं हूँ तो वह भी साथ देने लगी और अपनी चूतड़ आगे-पीछे करने लगी। मैंने महसूस किया कि उसके बुर से पानी टपक रहा था। मैंने १५ मिनटों तक उसकी चुदाई की। इसी दौरान वह २ बार झड़ी। अन्त में मैंने भी जब महसूस किया कि मेरी भी निकलने वाला है तो मैंने अपना लण्ड बाहर निकालना चाह, तो उसने मुझे रोक दिया और कहा कि "देवर जी, तुमने तो मेरा बलात्कार कर ही दिया, पर अन्तिम काम कृपा करके मेरे मन से कर दो। मेरी चूत बहुत दिनों से प्यासी थी। इसे अपने लौड़े से निकलने वाले रस से भर दीजिए। और जब जब भी चोदने का मन करे, मुझे चोदते रहिए।"
मैंने भी अपना वीर्य उसकी चूत के अन्दर ही छोड़ दिया।
वह बोली "प्यारे राजा, अब मैं आपकी भाभी नहीं, सिर्फ किरण हूँ। जब जी चाहे..."
"मैं तुम्हें कल एक रेज़र दूँगा... तुम अपने चूत का जंगल साफ कर लेना," मैंने उसकी बात काटकर कहा। "मुझे चिकनी चूत अच्छी लगती है।"
Share This
Previous Post
Next Post

Pellentesque vitae lectus in mauris sollicitudin ornare sit amet eget ligula. Donec pharetra, arcu eu consectetur semper, est nulla sodales risus, vel efficitur orci justo quis tellus. Phasellus sit amet est pharetra

0 comments:

वैधानिक चेतावनी

वैधानिक चेतावनी : ये साईट सिर्फ मनोरंजन के लिए है इस साईट पर सभी कहानियां काल्पनिक है | इस साईट पर प्रकाशित सभी कहानियां पाठको द्वारा भेजी गयी है | कहानियों में पाठको के व्यक्तिगत विचार हो सकते है | इन कहानियों से के संपादक अथवा प्रबंधन वर्ग से कोई भी सम्बन्ध नही है | इस वेबसाइट का उपयोग करने के लिए आपको उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए, और आप अपने छेत्राधिकार के अनुसार क़ानूनी तौर पर पूर्ण वयस्क होना चाहिए या जहा से आप इस वेबसाइट का उपयोग कर रहे है यदि आप इन आवश्यकताओ को पूरा नही करते है, तो आपको इस वेबसाइट के उपयोग की अनुमति नही है | इस वेबसाइट पर प्रस्तुत की जाने वाली किसी भी वस्तु पर हम अपने स्वामित्व होने का दावा नहीं करते है |