मेरे कोलेज्पे खुबशुरत लड़कियोमे गहत्री एक है, उसका बदन एकदम जुदा है I उसे देखते ही समझ अत है, वोह हमेशा अपने शारीर की बोहोत ध्यान रखती है और उसके साथ साथ वो एक एथेलेटिक भी है I एषा शारीर सिर्फ हमारे कोलेज मे नहि, हर जगह बोहोत काम दीखता है I गायत्री परे करने के लिये बहार आई थी, क्यूँ की उसके पूरा परिबार दुशरे सेहर मे रहत थे इसलिए वो हॉस्टल मे रहती थी Iगायत्री के साथ एक और लड़की रहती थी उसका नाम चित्रा था I चित्र भी खूब शुर्ती मे कुछ काम नहि थी I
उसकी शारीर गायत्री के तराह नहि था तो क्या हुया ? वो भी बोहोत सेक्सी थी और उसका खुब्शुर्ती का राज़ था उसकी मुश्कान I वो हमेशा सबसे हंश के मिलती थी, और इसलिए उसके सारे दोस्त हमेशा उसके पास रहते थे I सब उसे बोहोत चाहते थे I और सबसे मजेदार बात ये थी, चित्र और गायत्री जब साथमे होती थी तो चित्र की नज़र होता था गायत्री के सिने मे Iदुसरे हॉस्टल जेसा उनलोगों का भी लगभग कोमों बाथरूम ही था I बस सुमे छोटा छोटा चौराश घर जेसा बना था, ताके एक दुसरे को देख ना पाये I
बाथरूम की बिच की दिवार बोहोत उचा नहि था I कोई थोरा कोशिश करे तो उसपर देख सकता था Iखैर, हर दिन जेसा उसदिन भी भोलिबोल खेलके वापस अनेके बड़ गायत्री बोहोत थकी हुई थी I अपने रूम मे पोहोंचतेही वोह, अपना तोलिया और नाइटी लेकर बाथरूम जाते जाते कहकर गयी, वोह नहाने जा रही है I चित्र अपने लैपटॉप पे काम कर रही थी, वोह कहने लगी, उसे भी नहाना है और गयात्रिके पीछे पीछे चल पड़ी बाथरूम के तरफ I
गायत्री बाथरूम पोहोचते ही अपने कपड़े उतार के नंगी हो गयी और बाथरूमकी शावर ओन कर ली I ठंडी पानी उसके शारीर मे पड़ते ही उसका थकन धीरे धीरे उतरने लगी I उस ठंडी पानी मे वोह अपनी आंखे बांध करके नहाने लगी और वोह ठण्ड पानी की आनंद लेने लगी Iउधर चित्र अपनी बाथरूम की दोल उल्टा करके उसके ऊपर खड़ी होकर गायत्री की नंगी जिस्म देखने लगी I शाम का माहोल था इसलिए कोई वंहा आसपास नहि था, और बाथरूम की थोरा थोरा रौशनी गायत्री की शारीर मे इधर उधर से आकार लग रहा था I और उष रौशनी से गायत्री की खूबसूरती और भी बोहोत बढ़ गया था I दूसरा भाग जल्द ही आयेगा…
उसकी शारीर गायत्री के तराह नहि था तो क्या हुया ? वो भी बोहोत सेक्सी थी और उसका खुब्शुर्ती का राज़ था उसकी मुश्कान I वो हमेशा सबसे हंश के मिलती थी, और इसलिए उसके सारे दोस्त हमेशा उसके पास रहते थे I सब उसे बोहोत चाहते थे I और सबसे मजेदार बात ये थी, चित्र और गायत्री जब साथमे होती थी तो चित्र की नज़र होता था गायत्री के सिने मे Iदुसरे हॉस्टल जेसा उनलोगों का भी लगभग कोमों बाथरूम ही था I बस सुमे छोटा छोटा चौराश घर जेसा बना था, ताके एक दुसरे को देख ना पाये I
बाथरूम की बिच की दिवार बोहोत उचा नहि था I कोई थोरा कोशिश करे तो उसपर देख सकता था Iखैर, हर दिन जेसा उसदिन भी भोलिबोल खेलके वापस अनेके बड़ गायत्री बोहोत थकी हुई थी I अपने रूम मे पोहोंचतेही वोह, अपना तोलिया और नाइटी लेकर बाथरूम जाते जाते कहकर गयी, वोह नहाने जा रही है I चित्र अपने लैपटॉप पे काम कर रही थी, वोह कहने लगी, उसे भी नहाना है और गयात्रिके पीछे पीछे चल पड़ी बाथरूम के तरफ I
गायत्री बाथरूम पोहोचते ही अपने कपड़े उतार के नंगी हो गयी और बाथरूमकी शावर ओन कर ली I ठंडी पानी उसके शारीर मे पड़ते ही उसका थकन धीरे धीरे उतरने लगी I उस ठंडी पानी मे वोह अपनी आंखे बांध करके नहाने लगी और वोह ठण्ड पानी की आनंद लेने लगी Iउधर चित्र अपनी बाथरूम की दोल उल्टा करके उसके ऊपर खड़ी होकर गायत्री की नंगी जिस्म देखने लगी I शाम का माहोल था इसलिए कोई वंहा आसपास नहि था, और बाथरूम की थोरा थोरा रौशनी गायत्री की शारीर मे इधर उधर से आकार लग रहा था I और उष रौशनी से गायत्री की खूबसूरती और भी बोहोत बढ़ गया था I दूसरा भाग जल्द ही आयेगा…
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