आखिर गायत्री कसीस तराह अपनी आंखे खोलने मे कामयाब हुई I उसने आंखे खोलते ही देखा पूरी घर अँधेरे से भरा था और उस अँधेरे मे कुछ गिला गिला उसके चूत को छू रहा था I वोह गिला चीज जेसे उसकी चूत से जाने का नाम ही नहि ले रहा था I उसे बस इतना ही समझ आया था की उसके चूत मे कुछ तो हो रहा है, लेकिन उसे पुरे तरीका से समझे इसलिए नहि आरहा था क्यूँ की वोह तब तक नींद से पुरे तरीके से बहार नहि आ पाई थी I
उसी नींद की नशे मे वो एहसास करने लगी, एक शारीर उसके शारीर के ऊपर से चड़ते हुए उसके होंट तक पोहंचा और फिर उसे किस करने लगा I उसे ये एहसाश हो रहा था कोई उसके गहरी किस कर रहा है I वोह शारीर अपने जुबान से शोती हुई गायत्री के होंतो के चारो ओर घुमाने लगी और फिर उसे चूसने लगी Iइस अनुभब मे गायत्री अपने होंठ खोलते ही उसने अपनी जुबान गायत्रीकी मुह के अन्दर घुसा डाली I और साथै साथ अपनी ऊँगली गायत्री की चूत मे डालने लगी I
गायत्री की चूत पहले सही काम रश से भीगा था, और साथ ही एसा एहसाश होने पे गायत्री चीखने लगी आह…आह…. I धीरे धीरे फिर वोह अनजानी शारीर गायत्री के चूत मे जाकर उसकी चूत चाटने लगी I और अपनी जुबान उसमे घुसाने लगी Iगायत्री की चूत पहले सेहि भीगा था, उसमे चित्रा की जुबान की स्वाद मिलते ही वोह और भी गिला हो गया I वोह शारीर का नाम चित्रा था, यानि वोह चित्रा ही थी I चित्रा को गायत्री का चूत का स्वाद मिलते ही वोह जेसे पागल सी हो गयी I
उसकी बर्शो की स्वप्ना अब पूरा हो रहा था I चूत से निकल के अत जवानी की एक एक बूंद रस चित्रा जाया नहि जाने दे रही थी Iअब गायत्री नींद एकदम से टूट गया, और वोह समझ गयी ये चित्रा का ही काम है I वोह भी बोह्तो उत्तेजित हो गयी थी, और इसलिए वोह अपनी गांड को ऊँचा करदी, ताके चित्रा अछि तराह से अपनी जुबान गायत्री की चूत मे डाल सके I चित्रा ने भी मौका का पूरा फायदा उठाया I उसने अपनी पूरा जुबान गायत्री की चूत मे डालदी Iगायत्री बोहोत जादा उत्तेजित हो गयी थी, उससे और बर्दास्त नहि हो रहा था I
उसकी जवानी की रश निकलने का वक्त आ चुका था, वोह जोर जोरसे अपनी गांड को चित्रा की मुह के तरफ हिलाने लगी और कुछी पाल्मे उसका जवानी की रश चित्रा की मुह मे आकार गिरने लगा I अब गायत्री संत हो गयी और चित्रा अपनी नंगा शारीर लेकर खड़ी हो गयी और अपना चूत गायत्री की मुह के पास ले गयी Iचोथा भाग जल्द ही आयेगा..
उसी नींद की नशे मे वो एहसास करने लगी, एक शारीर उसके शारीर के ऊपर से चड़ते हुए उसके होंट तक पोहंचा और फिर उसे किस करने लगा I उसे ये एहसाश हो रहा था कोई उसके गहरी किस कर रहा है I वोह शारीर अपने जुबान से शोती हुई गायत्री के होंतो के चारो ओर घुमाने लगी और फिर उसे चूसने लगी Iइस अनुभब मे गायत्री अपने होंठ खोलते ही उसने अपनी जुबान गायत्रीकी मुह के अन्दर घुसा डाली I और साथै साथ अपनी ऊँगली गायत्री की चूत मे डालने लगी I
गायत्री की चूत पहले सही काम रश से भीगा था, और साथ ही एसा एहसाश होने पे गायत्री चीखने लगी आह…आह…. I धीरे धीरे फिर वोह अनजानी शारीर गायत्री के चूत मे जाकर उसकी चूत चाटने लगी I और अपनी जुबान उसमे घुसाने लगी Iगायत्री की चूत पहले सेहि भीगा था, उसमे चित्रा की जुबान की स्वाद मिलते ही वोह और भी गिला हो गया I वोह शारीर का नाम चित्रा था, यानि वोह चित्रा ही थी I चित्रा को गायत्री का चूत का स्वाद मिलते ही वोह जेसे पागल सी हो गयी I
उसकी बर्शो की स्वप्ना अब पूरा हो रहा था I चूत से निकल के अत जवानी की एक एक बूंद रस चित्रा जाया नहि जाने दे रही थी Iअब गायत्री नींद एकदम से टूट गया, और वोह समझ गयी ये चित्रा का ही काम है I वोह भी बोह्तो उत्तेजित हो गयी थी, और इसलिए वोह अपनी गांड को ऊँचा करदी, ताके चित्रा अछि तराह से अपनी जुबान गायत्री की चूत मे डाल सके I चित्रा ने भी मौका का पूरा फायदा उठाया I उसने अपनी पूरा जुबान गायत्री की चूत मे डालदी Iगायत्री बोहोत जादा उत्तेजित हो गयी थी, उससे और बर्दास्त नहि हो रहा था I
उसकी जवानी की रश निकलने का वक्त आ चुका था, वोह जोर जोरसे अपनी गांड को चित्रा की मुह के तरफ हिलाने लगी और कुछी पाल्मे उसका जवानी की रश चित्रा की मुह मे आकार गिरने लगा I अब गायत्री संत हो गयी और चित्रा अपनी नंगा शारीर लेकर खड़ी हो गयी और अपना चूत गायत्री की मुह के पास ले गयी Iचोथा भाग जल्द ही आयेगा..
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