गुरुवार, 28 जनवरी 2016

पहली रात का कमौत्तेजित मज़ा


नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम रेखा राजपूत और मुझे यह खानदानी नाम मेरी पति के कारण मिला | हाँ दोस्तों मैं एक शादी – शुदा नौजवान नारी हूँ और अपने पति के लिए अभी भी करारी चुत की दुकान हूँ | आज मैं आप सभी को अपनी जिंदगी की पहली चुदाई के बारे में बता रही हूँ जिसे सुनकर शायद आप भी अपने लंड को मेरी चुत के लिए मसलने लग जायें | मैं एक बचपन से सीधी – साधी लड़की रही और शादी के बाद के यौन सुख को नहीं जानती थी और ना ही उसके पहले दर्द को | पढाई पूरी होने के बाद माँ – बाप ने मेरी शादी का जुगाड लगाना शुरू कर दिया और उसी के अनुसार कुछ ही सालों मेरी कंप्यूटर की कंपनी में काम करने वाले राजीव नाम के लड़के से शादी भी करा दी |दोस्तों कुछ ही दिनों में अब में बात मेरी सुहागरात भी आ पहुंची और साब एक तूफानी मेल की तरह हुआ जिसके बारे में मुझे कभी किसी ने बताया तक नहीं था | मेरी तो माँ ने भी मुझे कुछ नहीं बताया की आगे अपना घर बार किस तरह से संभालना हैं |
मैं अनजान होकर बस घूँघट औडे अपने बिस्तर पर बैठी थी इतने में मेरे पतिदेव आये और सामने के मेज़ पर रखे हल्दी वाले दूध को बड़े शानदार तरीके से डकार मारकर पूरा पी गए | वो सामने आकार बैठ गए और मेरे गुन्घट उठाकर मुझे निहारने लगे | मैं शर्म से गीली हो चुकी थी इतने में ही वो मुझे बड़ी तमीज़ से इधर – उधर की बात करने लगे | मुझे अब अच्छा लगने लगा और हम एक दूसरे से अपने जीवन साथी के साथ रहने के सभी विचारों को बताने लगे इतने में मैंने राजीव की उंगलियों को मेरे हाथ को सहलाते हुए पाया |अब उस चान्दिनी रात में मेरे बदन में भी एंठन बननी शुरू हो गयी थी | तभी राजीब जी मेरी गौद में लेट गए और मेरी जुल्फों को सहलाते हुए मुझसे बाते कर रहे थे | मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की उनकी बातों को सुनु या अपने बदन पर काबू पाऊं | इतना हुआ ही की अब उनके हाथ मेरे पेट के इर्द – गिर्द घूम रहे थे और फिर धीरे – धीरे उन्होंने मेरे सारे गहने – जेवरात उतार कर वहीँ बाजू में रख दिए | उन्होंने अब मेरी लाल साडी का पल्लू हटाया और पीछे से मेरी पेटीकोट को खोलने लग गए |
दोस्तों मैं रोक भी कैसी सकती थी आखिर मेरी शादी जो हो चुकी थी और वो हलचल मुझे मज़ा जो इतना दे रही थी | अब उन्होंने पीछे से बातों – बातों में मेरी गर्दन को चुमते हुए मेरे मुम्मों को भींचना शुरू किया | मेरे पूरे तन – मन में अजब सी झिलमिलाहट सी जाग पड़ी थी | दोस्तों मैंने भी कभी अपने चुचों को पूरी जिंदगी में इस तरह से अपने हाथों में ना लिया जिस तरह से मेरे पति भींच रहे थे |अब धीरे – धीरे उन्होंने सारी क्रिया को कसके करना शुरू कर दिया और कुछ ही देर में मुझे नंगी कर दिया | मैं केवल उनके सामने अपनी पैंटी में पड़ी हुई थी | मुझे लज्जा तो बहुत आ रही थी पर अब राजीव के हाथ मेरी गोरी अनछुई मुलायम जाँघों तक जो आ चुके थे | पहले तो उन्होंने ने भी अपनी कमीज़ उतार मेरे उप्पर काफी देर मेरे होठों को रगड़ते हुए चूसा फिर अब अपनी हथेली को मेरी चुत के उप्पर ही फिराने लगे जिससे मेरी सिस्कारियां निकलने लगी और बेचैनी भी काफी बढ़ गयी | कुछ ही देर में चुत के इतने गज़ब के उद्घाटन से मेरी चुत का पानी निकल पड़ा जिसपर मुस्कुराकर राजीव ने मेरी पैंटी निकाल दी और फाटक से अपनी ऊँगली को मेरी चुत में पहुंचा दिया |
इतने में अपनी चुत की आहटों को समझ सकती राजीव ने अपनी २ से ३ उँगलियाँ घुसाते हुए अंदर – बहार करने लगे | मैं पागलों की तरह हांफ रही थी और राजीव ऊँगली करते हुए मेरे बाजु में ही लेटे हुए थे साथ ही मेरे चूचकों के साथ भी खेल रहे थे |मैं कुछ अब सब आःह्ह्ह्ह आहाह्हा करके हलके – हलके चींखने लगी तो राजीव ने मेरे मुंह पर अपने हाथ को रखते हुए अपनी पतलून खोली और लंड को मेरी कुंवारी चुत पर टिका दिया | सच कहूँ तो मैंने उतना बड़ा लंड अपनी जिंदगी में पहली बार देखा था | मैं सोच ही रही थी उसके घुसने के बाद मेरा क्या होगा तभी उस राजीव मादरचोद् . . .! ! ने पोर दम लगते हुए कसके झटका मार दिया और मेरी दयीइया रे . . दईया री . .! !  करके ज़ोरों की चींखें निकलने लगी | मैं रो रही थी पर बार राजीव अपने हाथ से मेरा मुंह बंद कर लेते | उन्होंने सामने के रुमाल से मेरी चुत का खून साफ़ किया और फिर से मेरे चुचों के साथ खेलते हुए चुत में ऊँगली करना शुर कर दिया | मुझे अपने पति पर गुस्सा बहुत आ रहा था पर चुत अंदर – बहार होती उँगलियों ने सब खतम कर दिया |
कुछ देर बाद राजीव ने फिर से अपने सांड जैसे लंड को तैनात करते हुए उसे हलके झटकों से साथ मेरी चुत चोदना शुरू कर दिया | इस बार शायद मेरी चुत नहीं रोने वाली थी, अब तो जैसे मेरा दर्द भी छूमंतर हो चुका था | राजीव ने अब मेरी एक तंग को उठाते हुए पीछे लेटकर मस्त में मेरी चुत चोदते हुए गांड पर थपथपी मारी | मैं तो पहली बार के इस मज़े के आग में जलती हुई आहें भर रही थी | लगभग ३० मिनट की चुदाई के बाद राजीव का लंड भी मेरी उप्पर ही झड गया पर सब यहाँ कैसे खतम हो सकता था | हम पूरी रात भर एक दूसरे के अंगों के साथ खेलते रहे साथ ही २ और बार चुदाई भी की | आज हमारी शादी को ४ साल हो चुके हैं और मेरे पति मुझे प्यार से करारी चुत की दूकान कहकर बुलाते हैं |
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