गुरुवार, 28 जनवरी 2016

पहली रात का कमौत्तेजित मज़ा


नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम रेखा राजपूत और मुझे यह खानदानी नाम मेरी पति के कारण मिला | हाँ दोस्तों मैं एक शादी – शुदा नौजवान नारी हूँ और अपने पति के लिए अभी भी करारी चुत की दुकान हूँ | आज मैं आप सभी को अपनी जिंदगी की पहली चुदाई के बारे में बता रही हूँ जिसे सुनकर शायद आप भी अपने लंड को मेरी चुत के लिए मसलने लग जायें | मैं एक बचपन से सीधी – साधी लड़की रही और शादी के बाद के यौन सुख को नहीं जानती थी और ना ही उसके पहले दर्द को | पढाई पूरी होने के बाद माँ – बाप ने मेरी शादी का जुगाड लगाना शुरू कर दिया और उसी के अनुसार कुछ ही सालों मेरी कंप्यूटर की कंपनी में काम करने वाले राजीव नाम के लड़के से शादी भी करा दी |दोस्तों कुछ ही दिनों में अब में बात मेरी सुहागरात भी आ पहुंची और साब एक तूफानी मेल की तरह हुआ जिसके बारे में मुझे कभी किसी ने बताया तक नहीं था | मेरी तो माँ ने भी मुझे कुछ नहीं बताया की आगे अपना घर बार किस तरह से संभालना हैं |
मैं अनजान होकर बस घूँघट औडे अपने बिस्तर पर बैठी थी इतने में मेरे पतिदेव आये और सामने के मेज़ पर रखे हल्दी वाले दूध को बड़े शानदार तरीके से डकार मारकर पूरा पी गए | वो सामने आकार बैठ गए और मेरे गुन्घट उठाकर मुझे निहारने लगे | मैं शर्म से गीली हो चुकी थी इतने में ही वो मुझे बड़ी तमीज़ से इधर – उधर की बात करने लगे | मुझे अब अच्छा लगने लगा और हम एक दूसरे से अपने जीवन साथी के साथ रहने के सभी विचारों को बताने लगे इतने में मैंने राजीव की उंगलियों को मेरे हाथ को सहलाते हुए पाया |अब उस चान्दिनी रात में मेरे बदन में भी एंठन बननी शुरू हो गयी थी | तभी राजीब जी मेरी गौद में लेट गए और मेरी जुल्फों को सहलाते हुए मुझसे बाते कर रहे थे | मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की उनकी बातों को सुनु या अपने बदन पर काबू पाऊं | इतना हुआ ही की अब उनके हाथ मेरे पेट के इर्द – गिर्द घूम रहे थे और फिर धीरे – धीरे उन्होंने मेरे सारे गहने – जेवरात उतार कर वहीँ बाजू में रख दिए | उन्होंने अब मेरी लाल साडी का पल्लू हटाया और पीछे से मेरी पेटीकोट को खोलने लग गए |
दोस्तों मैं रोक भी कैसी सकती थी आखिर मेरी शादी जो हो चुकी थी और वो हलचल मुझे मज़ा जो इतना दे रही थी | अब उन्होंने पीछे से बातों – बातों में मेरी गर्दन को चुमते हुए मेरे मुम्मों को भींचना शुरू किया | मेरे पूरे तन – मन में अजब सी झिलमिलाहट सी जाग पड़ी थी | दोस्तों मैंने भी कभी अपने चुचों को पूरी जिंदगी में इस तरह से अपने हाथों में ना लिया जिस तरह से मेरे पति भींच रहे थे |अब धीरे – धीरे उन्होंने सारी क्रिया को कसके करना शुरू कर दिया और कुछ ही देर में मुझे नंगी कर दिया | मैं केवल उनके सामने अपनी पैंटी में पड़ी हुई थी | मुझे लज्जा तो बहुत आ रही थी पर अब राजीव के हाथ मेरी गोरी अनछुई मुलायम जाँघों तक जो आ चुके थे | पहले तो उन्होंने ने भी अपनी कमीज़ उतार मेरे उप्पर काफी देर मेरे होठों को रगड़ते हुए चूसा फिर अब अपनी हथेली को मेरी चुत के उप्पर ही फिराने लगे जिससे मेरी सिस्कारियां निकलने लगी और बेचैनी भी काफी बढ़ गयी | कुछ ही देर में चुत के इतने गज़ब के उद्घाटन से मेरी चुत का पानी निकल पड़ा जिसपर मुस्कुराकर राजीव ने मेरी पैंटी निकाल दी और फाटक से अपनी ऊँगली को मेरी चुत में पहुंचा दिया |
इतने में अपनी चुत की आहटों को समझ सकती राजीव ने अपनी २ से ३ उँगलियाँ घुसाते हुए अंदर – बहार करने लगे | मैं पागलों की तरह हांफ रही थी और राजीव ऊँगली करते हुए मेरे बाजु में ही लेटे हुए थे साथ ही मेरे चूचकों के साथ भी खेल रहे थे |मैं कुछ अब सब आःह्ह्ह्ह आहाह्हा करके हलके – हलके चींखने लगी तो राजीव ने मेरे मुंह पर अपने हाथ को रखते हुए अपनी पतलून खोली और लंड को मेरी कुंवारी चुत पर टिका दिया | सच कहूँ तो मैंने उतना बड़ा लंड अपनी जिंदगी में पहली बार देखा था | मैं सोच ही रही थी उसके घुसने के बाद मेरा क्या होगा तभी उस राजीव मादरचोद् . . .! ! ने पोर दम लगते हुए कसके झटका मार दिया और मेरी दयीइया रे . . दईया री . .! !  करके ज़ोरों की चींखें निकलने लगी | मैं रो रही थी पर बार राजीव अपने हाथ से मेरा मुंह बंद कर लेते | उन्होंने सामने के रुमाल से मेरी चुत का खून साफ़ किया और फिर से मेरे चुचों के साथ खेलते हुए चुत में ऊँगली करना शुर कर दिया | मुझे अपने पति पर गुस्सा बहुत आ रहा था पर चुत अंदर – बहार होती उँगलियों ने सब खतम कर दिया |
कुछ देर बाद राजीव ने फिर से अपने सांड जैसे लंड को तैनात करते हुए उसे हलके झटकों से साथ मेरी चुत चोदना शुरू कर दिया | इस बार शायद मेरी चुत नहीं रोने वाली थी, अब तो जैसे मेरा दर्द भी छूमंतर हो चुका था | राजीव ने अब मेरी एक तंग को उठाते हुए पीछे लेटकर मस्त में मेरी चुत चोदते हुए गांड पर थपथपी मारी | मैं तो पहली बार के इस मज़े के आग में जलती हुई आहें भर रही थी | लगभग ३० मिनट की चुदाई के बाद राजीव का लंड भी मेरी उप्पर ही झड गया पर सब यहाँ कैसे खतम हो सकता था | हम पूरी रात भर एक दूसरे के अंगों के साथ खेलते रहे साथ ही २ और बार चुदाई भी की | आज हमारी शादी को ४ साल हो चुके हैं और मेरे पति मुझे प्यार से करारी चुत की दूकान कहकर बुलाते हैं |

बुधवार, 27 जनवरी 2016

मालकिन की बेटी की सुजा दी चुत


नमस्कार दोस्तों, यह कहानी १ साल पुरानी है जिसमें मैंने अपनी ही मालकिन की बेटी को चोदा | दोस्तों मैं एक बिहार के छोटे गॉंव में पला – बड़ा हूँ और मेरे पैदा होने कुछ महीनो बाद ही मेरा बाप भी चल बसा | मेरा नाम राज पड़ा, मैं अपनी माँ का अकेला बेटा था और मेरी ३ बहनें भी थी | हम बच्चे धीरे – धीरे माँ के उप्पर अब बोझ बनने लगे जिसके बारे में सोच मेरा दिमाक घूम जाया करता था | तभी एक दिन मेरी मुलाकात एक भईया से हुई जिन्होंने मुझे मुंबई के बड़े से मकान में नौकर का काम करने के लिए प्रस्ताव दिया | मैं जैसे – तैसे अपनी माँ और बहनों को राम – भरोसे गॉंव में छोड़ पैसे कमाने शहर आ गया | मेरी मालकिन की एक ही बेटी थी जिसका नाम पूजा था और जब हमें समय मिलता तो हम खेल भी लिया करते |अब मुझे उनके यहाँ काम करते हुए ६ साल हो चुके थे और मैं १९ साल का हो चूका था | मैं समय – समय पर अपने गॉंव में माँ के पास रुपैये भी भेजा करता था | सब – कुछ ठीक – ठाक चल रहा था पर अब मेरी जवानी की दस्थक ने मेरी आने वाली पूरी जिंदगी ही बदल दी | मैंने कभी लड़की के स्पर्श को महसूस नहीं किया था हालाकि चोदने का सारा ज्ञान मेरे दिलोदिमक में बसा हुआ था | एक दिन मेरी मालकिन एक महीने के लिए अपने किसी काम से बाहर गयी हूँ थी और एस बीच अब घर में मैं और उनकी बेटी पूजा ही अकेले रह गए थे | वो भी काफी बड़ी हो चुकी थी और उम्र में मुझसे सयानी भी | एक दिन मैं नहाने के बाद पूजा का कॉलेज जाने वक्त हुआ तो तो उसने मुझसे कहा,पूजा – राज . . आज मेरा मन नहीं है . .कॉलेज जाने का . . !  !मैं – क्यूँ मेमसाब . . चली जाइये . .! !पूजा – नहीं बस बस सोच रही थी . . क्यूँ ना आज कुछ वक्त तुम्हारे साथ गुज़ार लूँ . .??जिसपर मैंने बस चुप्पी मार ली और शान्ति से अपने कमरे में चला गया | मैं समझ चूका था की पूजा के दिमाक में अब कुछ और ही चल रहा है पर मेरे अंदर शुरुआत करने की ज़रा सी भी हिम्मत ना थी | इतने में पूजा मेरे कमरे में आई उसने केवल नीचे तौलिया पहने हुआ था और उप्पर हल्का सा कोई कपडा औढा हुआ था | मैं पूजा को देख पगला गया और शर्म के मारे अपनी मुंडी मुड़ा ली इतने में उसने मेरे चेहरे को अपनी तरफ घुमाते हुए अपने उप्पर वाले कपड़े को उठाते हुए कहा,पूजा – मैं जानती हूँ . . तुम मुझे चुपके – चुपके देखते हो . .सो लो आज कुवा खुद चलकर प्यासे के पास आया है |मैं उस वक्त कहता भी तो क्या कहता, मेरे सामने जो दो मोटे – मोटे चाँद से भी गोरे चुचे जो लेटके हुए थे | मैं सीधा खड़ा हुआ और पूजा के होठों को चूसते हुए उसके दोनों चुचों को भेंचने लगा | कुछ देर बाद मैं थोड़ा नीचे की ओर आया मुंह में भर – भर के दोनों को चूसने लग | उसके चुचे एकदम सख्त हो गए थे जिन्हें मैं लगातार थपड मारते हुए ढीले कर रहा था | अब धीरे – धीरे मेरा हाथ उसके तौलिए तक पहुंचा और मैंने आखिरकार उसके तौलिए को खोलते हुए देखा की की उसने अंदर पैंटी भी नहीं पहनी हुई थी | अब मेरे सामने पूजा बिलकुल सपाट बिलकुल नंगी खड़ी थी जिसे मैंने अपने बिसतर पर लिटाया और उसकी चुत को अपनी जीभ से सहलाने लगा जिसपर उत्सुक होकर पूजा अब उँगलियों अपनी चुत के उप्पर रगड़ते हुए चिल्लाने लगी “चोद दो राज मुझे . .भुझा दो इस रांड की प्यास” |पूजा अब मस्त वाली सिस्कारियां भर रही थी तभी मैंने अपनी अंगुलियाँ उसकी चूत में अंदर – बाहर करना शुरू कर दिया | मेरी दस मिनट की मेहनत से पूजा की पूरी की पुरी चुत गीली हो चुकी थी | पूजा ने अपनी जाँघों की पंखुड़ियों को खोल दिया और अचनक ना जाने मेरे लंड में कहाँ से इतनी ताकत आ गयी और वो एक तम तन गया और अब मेरे लंड सही उसकी चुत के मुहाने के सामने टिका हुआ था | फिर किया था मैंने आखिरी बार पूजा के चुचियों की चुस्की लेते हुए बस अपने चूतडों के ज़ोरदार के झटके से अपने लंड को उसकी चुत की गहरायी में गुम कर दिया और उसकी कसके चींख निकल पड़ी | अब मेरे मुंह से भी गाली निकल पड़ी,मैं – ले . . .माँ की लौड़ी  .आज से तू मेरी कुतिया है |अब मैं अन्ध्दुन्ध बस उसकी चुत में अपने लंड की गोलियाँ ही बरसाता चला गया | वो मटक – मटक मेरे लंड को बड़े ही चाव से लेती रही और अब तो उसकी छीकें भी मज़े में परिवर्तित हो चुकी थी | मैंने अपने लंड का मुठ भी अपनी पूजा रांड मेमसाब के उप्पर ही डाल दिया और लगभग एक महीने तक मैं उसे ५० से उप्पर बार चोद चूका था | मैंने एक महीने में उसकी चुत इतनी थोक – बजायी की उसकी गांड का नाप २८ से ३२ हो गया जिससे मेरी मालकिन के आते ही हमारी रंगरलियों के बारे में पता चल गया और उन्होंने अपनी इज्ज़त बचाने के लिए अपनी बेटी पूजा की शादी मेरे साथ करवादी | अब मैं इतना आमिर हो चूका हूँ की मैंने अपनी ३ बहनों की शादी करा चुकी और अपनी माँ के साथ सुखद जीवन बिता रहा हूँ | दोस्तों आज हम पति – पत्नी है पर चुदाई के मामले में पूजा आज भी मेरी कुतिया ही है |

बुधवार, 20 मार्च 2013

भाई के दोस्त ने मुझे चोदा

भाई के दोस्त ने मुझे चोदा
मेरा नाम नीली है और मैने कुछ महीनो पहले ही अपने १८ पुरे किये है | मैने अभी-अभी कॉलेज मे दाखिला लिया है और मै सुबह कॉलेज जाती हु और शाम को कॉलेज से वापस आ जाती हु | मुझे दोनों समय या तो मेरे भाई मुझे कॉलेज छोड़ते है और वापस लाते है या मेरे पापा | मेरी जवानी अभी-अभी फूटनी शुरू शुरू हुई है | मेरे चुचे अभी पुरे तो नहीं पके है; लेकिन मेरे चूचो की गोलाई मस्त है और गुलाबी निप्पल ने खड़ा होना शुरू कर दिया है | मेरा रंग एक दम गोरा है और मेरे चूत पर छोटे-छोटे ही बाल आने शुरू हुए है | मुझे सेक्स का कोई ज्यादा ज्ञान तो नहीं था; लेकिन, मेरे भाई के एक दोस्त सुमित की वजह से मुझे सम्भोग और कामक्रीड़ा के बारे मे सबकुछ पता चल गया | जब तक, मै सुमित से नहीं मिली थी; तब तक मुझे चूत, गांड, चुचे, निप्पल, लंड, सम्भोग, कामक्रीड़ा के बारे मे कुछ भी नहीं मालूम था | कभी-कभी जब मै अकेले होती थी, तो सारे कपडे उतारकर अपने शरीर को शीशे मे निहारा करती थी और अपने चूचो को दबाकर देखती थी और अपनी चूत पर ऊँगली लगाकर देखती थी |मेरे भाई के दोस्त सुमित के उम्र २३ साल थी और वो दिखने मे बड़ा अच्छा था | वो भाई के कॉलेज मे बोक्सिंग चैम्पियन था और उसका शरीर बहुत ही गठीला और बलिष्ठ था | जब भी वो घर आते थे, तो मै उनके के आकर्षण मे बंधी हुई, उनसे बात करने पहुच जाती थी | उनकी मैथ भी काफी अच्छी थी और मेरी मैथ बहुत ख़राब थी | उसने मैथ के सवाल पूछने के बहाने ही, मै पास चली जाती थी | मेरे माँ-पापा भी उनको काफी पसंद करते थे; इसलिए मुझे उनसे बात करने की कोई रोक-टोक नहीं थी | मै भी बहुत शरारती थी और जब भी मै उनसे पढ़ती थी; कभी उनका हाथ पकड़ लेती थी, कभी उनकी पेंट पर हाथ मार देती थी और अगर अकेले होती थी, तो उनके गालो पर चुम्मा जड़ देती थी | वो मुझे कुछ भी नहीं बोल पाते थे, बस मुस्कुरा के रह जाते थे | एक दिन जब वो मुझे पढ़ाने आये, तो घर मे कोई नहीं था, मै अकेले थी और ३-४ घंटे तक किसी के वापस आने की भी उम्मीद नहीं थी | जब वो घर मे घुसे, तो मै उनके लिए पानी ले आयी और उन्होंने मुझे पानी पीते-पीते पूछा, कि आज घर मे कोई नहीं है क्या? मैने खुश होते हुए कहा; नहीं, आज घर पूरा खाली है | वो शायद मेरे इशारा समझ गये थे |उन्होंने मुझे अपने पास बैठा लिया और मेरी जांघो पर अपना हाथ फेरने लगे | उनका एक हाथ मेरी जांघ पर था और दुसरे हाथ मेरे गालो को स्पर्श कर रहा था और मेरी गर्दन और बालो के पीछे जा रहा था | मुझे तो बस इसी पल का इंतज़ार था और मैने उनका हाथ पकड़कर चूमना शुरू कर दिया | उस दिन मैने सलवार कुरता पहना था | उनके हाथ ने मेरी जांघ से ऊपर बढ़ना शुरू कर दिया और वो मेरी सलवार के ऊपर से ही मेरी चूत को दबाने लगे | उनका मरदाना स्पर्श बड़ा ही मजेदार था और मेरा शरीर इतने से ही मस्ती मे हिलना शुरू हो गया | सुमित को जब लगा, कि मै मस्त होनी शुरू हो चुकी हु, तो उन्होंने मेरे चेहरा अपने हाथो मे पकड़ा और अपने होठो को मेरे होठो पर रख दिया | उनके होठो के छुते ही मेरे शरीर मे करंट दौड़ गया | मेरी साँसे गरम और तेज होने लगी | मेरे सारा शरीर कांपने लगा | उन्होंने मुझे पलंग पर लिटा दिया और मेरे होठो को चूसने लगे | उन्होंने अपने हाथ मेरी सलवार के अन्दर डाल दिये और मेरे शरीर को प्यार से स्पर्श करने लगे | मेरे शरीर ये सब नहीं झेल पा रहा था और मै मस्ती मे कसमसा रही थी |वो लगातार मेरे होठो को चुसे जा रहे थे, तभी मुझे लगा कि मेरी चूत मे से कुछ निकल रहा और मेरी पेंटी गीली हो गयी | सुमित कोई जल्दी मे नहीं थे, जब उन्होंने मेरी गीली पेंटी देखी; तो उन्होंने मेरे गीली सलवार पर ऊँगली लगाकर मेरे रस को अपनी ऊँगली मे ले लिया और उसको चाट लिया और बोले, बड़ा टेस्टी है, तेरा रस ! फिर, मैने उनको बोला, सुमित बहुत तेज खुजली हो रही है, बस अब डाल दो | सुमित ने पहले अपने को नंगा किया और मेरे सामने उनका बड़ा और मोटा काला लंड झूल गया, किसी राक्षश की तरह झटके मार रहा था | मुझे उससे देखकर अब डर लगने लगा था | मैने अपनी चूत को शीशे मे देखा था, बिलकुल छोटी सी थी | उन्होंने मेरी चूत को देखा और थोडा सा मुस्कुराये और फिर मेरी गांड को थोडा सा उठकर उसके नीचे एक तकिया घुसा दिया | ऐसा करने से मेरी चूत थोड़ी सी ऊपर हो गयी और फिर, उन्होंने मेरी चूत को अपने थूक से पूरा का पूरा गीला कर लिया | मेरा चेहरा थोडा सा डरा हुआ था, उन्होंने मेरा डर दूर करने के लिए अपने लंड को मेरी चूत से रगड़ना शुरू कर दिया | मुझे इस रगड़ने मे मज़ा आ रहा था, सुमित रगड़ने के साथ-साथ अपने लंड को थोडा-थोडा दबाते जा रहे थे | मेरी आँखे बंद हो गयी थी और सुमित ने मौका देखकर एक जोरदार धक्का मार दिया |उस धक्के के साथ ही सुमित का लंड कुछ इंच मेरे अन्दर घुस गया | मेरी दर्द के मारे चीख निकल गयी; मुझे ऐसा लगा, कि कोई डंडा डालकर मेरी चूत को खोलने की कोशिश कर रहा है | मेरी चीख की परवाह किये बिना, सुमित ने एक बार और जोर से धक्का मारा और इस बार, काफी हद तक उनका लंड मेरी चूत मे घुस गया | फिर, सुमित ने लंड को मेरी चूत मे ऐसे पड़े रहने दिया | मेरी चूत सूजकर लाल होने लगी थी और मेरा दर्द के मारे बुरा हाल था | मेरी अपने शरीर मे कुछ फसा सा महसूस हो रहा था | कुछ देर बाद, जब मुझे दर्द कम होने लगा, तो सुमित ने अपना लंड धीरे-धीरे चलाना शुरू किया | उनके अब धक्को मे मुझे भी मज़ा आने लगा और मेरी गांड भी अपने-आप चलनी शुरू हो गयी | कुछ मिनटों बाद मुझे ऐसा लगने लगा, कि मेरे शरीर से कुछ एक दम बाहर आने वाला है और एक ही झटके के साथ एक सफ़ेद रस की पिचकारी सुमित के शरीर पर फूट पड़ी | सुमित अभी भी धक्के पर धक्के मारे जा रहे थे, अचानक से उनके धक्को की रफ़्तार बड़ गयी और उसका शरीर और तेज चलने लगा |उन्होंने एक दम अपना लंड हाथ से बाहर खीच लिया और उनके लंड से भी एक सफ़ेद रस की पिचकारी मेरे पेट पर गिर पड़ी, बहुत गरम था वो रस | सुमित ने मुझे उसका नाम ‘वीर्य’ बताया और बोला, कि अगर ये मैने तुम्हारे अन्दर छोड़ दिया, तो तुम मेरे बच्चे की माँ बनजाउगी | लेकिन, मुझे नहीं पता था, कि उस दिन सुमित जो बोलेंगे, वो सच हो जायेगा | मेरे माँ-पापा ने मेरी शादी सुमित से तय कर दी | उसके बाद तो उन्होंने शादी से पहले मुझे काफी बार चोदा और आज तक हर रात एक नयी चूत की तरह चोदते है |

बीवी को उत्तेजित कर चोदा

बीवी को उत्तेजित कर चोदा
हाई दोस्तों,
इस कहानी मैं अपनी बीवी की यानी सुशीला की चुदाई का विवरन कर रहा हूँ और साथ ही उम्मीद भी करूँगा की आपको बहुत आये | दोस्तों यूँ तो मैं अपनी बीवी की कई बार चुदाई कर चूका था पर मुझे कुछ हसीन लगी चुदयिओं में से एक आपको सुन रहा हूँ | हुआ यूँ था मैं काफी समय बाद अब अपने घर सुशीला के पास लौट रहा था और घर तक पहुँचते  – पहुँचते मैं उसकी बदन की आग में झुलसने को गंदे तरीके से तडप चूका था | मैंने पहुचते ही बिना पानी पिए पहले सुशीला को अपनी अपनी गौड़ में उठा लिया और पानी की जगह उसके होठों के रस को पिया जिसे मेरी आधी प्यास तो ऐसे ही बुझ गयी जिसपर वो मस्त में मुस्कुराने लगी |
मैं तभी सुशीला को अपनी गौद में उतःके अंदर बिस्तर पर ले गया और उसकी सदी और ब्लाउस को उतार उसके गोरे – गोरे चुचों के साथ खेलता हुआ उसके चूचकों को अपने दाँतों तले मसलने लगा | कुछ देर बाद मैंने उसके पेटीकोट को भी उतार दिया और उसकी पैंटी के बाजू से उसकी चुत में अपनी उँगलियाँ घुसाने लगा जिससे तड़पने लगी | मुझे अपनी बीवी की वही पुरानी चुत के स्पर्श से बड़ी गुदगुदी उठी से उत्तेजित होता चला गया | मुझसे रहा ना गया और मैं अब मैंने लंड को उसकी चुत के द्वार पर टिकते हुए रगडने लगा और जैसे ही उसकी हल्की सिस्कारियों मेरे हौंसला बढ़ाया तो मैंने अपने लंड के सुपाडे उसकी चुत के सही बीच धंसाते हुए धक्का दे दिया | मेरे लंड को टोप्पा अब अंदर जाते ही ग्रष्ण पैदा कर रहा था जिससे सुशीला की बेचैनी और बढ़ सी जा रही थी पर मैं धीरे – धीरे गति चालू हुई उसने अब सुशीला को हिला दिया | सुशीला अब मेरे अत्रंगी झटकों से बिदकने लगी पर मैं इतनी आसानी से उसे कैसे छोड़ने वाला था | मैंने तभी अब अपने लने को उस्किगांड की तरफ से देने लगा और उससे अपनी बाहों में जकड लिया |
इतने दिनों बाद की हुई चुदाई से सुशीला को दर्द भी काफी हो रहा था जोकि मुझे उतना ज्यादा ही मज़ा दे रहा था | कुछ देर बाद ही सुशिल झात्प्ताने लगी और मेरा लंड लेके चूसने लगी |अब वो बिस्तर से उतरा के जाने लगी की मैंने उसे फिर से पकड़ लिया और पीछे उसी गांड को नीचे झुकर चाटने लगा जिससे हम मज़े में बिलकुल तर्र हो चुके थे | अब मैंने फिर खड़े होकर सुहिला की गर्दन को चुमते हुए उसकी गांड को चाटते हुए चुत में लंड देना शुर कर दिया | शुशीला ने भी मज़े में आकार अपनी गांड को उठा लिया और उत्तेजित होकर खुद भी अपनी मटके जैसे गांड को मेरे लंड पर फिसलने के लिए चोदने लगी | मैंने भी बस अपनि सारी बाधास को उतारते हुए सुशीला की गांड को लगभग २० मिनट वैसे ही खड़े – खड़े चोदा और आखिर अपना सार वीर्य उसकी चुत में छोड़ दिया | उस दिन मुझे बहुत संतुष्टि मिली और उसी चुदाई का नतीजा मुझे ९ महीने बाद मेरे बेटे के रूप में भी मिला |

बरसों बाद सुहागरात वाला सुख

बरसों बाद सुहागरात वाला सुख
नमस्कार दोस्तों,
आज मैं आपको अपनी बीवी का साथ बिताया चुदाई का बरसों बाद पुराने सुख के बारे में बताना चाहता हूँ | दोस्तों मैं अपनी कंपनी के काम सिलसिले में बहार देश में गया हुआ था जिसके लिए मुझे अपने घर से जाये हुए ४ साल हो गए थे | वहाँ मैं चाहे तो और किन्ही लड़कियों की मस्तानी चुत मार सकता हूँ पर शायद आप नहीं जानते की मैं अपनी बीवी से बेहद प्यार करता हूँ और मैं उसके अलावा किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकता और अपने काम में व्यस्त होकर केवल अपनी बीवी की ही चुत को याद किया करता | वहाँ बहार रहकर मुझे अपनी बीवी की चुत बहुत याद आ रही थी और आखिरकार ४ साल बाद मैं घर वापस भी रह रहा था | मुझे घर को वापस लौटते समय केवल अपनी बीवी की चुत के सपने ही आ रहे थे और पुरे सफर भर मेरे लंड ने बैठने का नाम भी नहीं लिया |
अब मैं जैसे ही अपने घर पंहुचा तो मैंने पहले अपनी बीवी को अपनी गौद में उठा लिया और उप्पर से उसके चुचों को भींचने लगा जिसपर वो खेने लगी “जान. . इतनी भी क्या जल्दी है . . ! !” मैं अब और तरसता जा रहा था और वो अंदर कमरे में चली गयी और जब कुछ देर बाद ई तो मैंने देखा की उसने वही कपड़ों को पहना था जोकि सुहागरात में पहना हुआ था |मेरी उत्तेजना और बढती जा रही थी और मैंने उसे अपनी तरफ खींच लिया | मैंने उसे हरी से अपनी गौड़ में उठाते हुए बिस्तर पर चडा लिया और उसे उत्तेजित करते हुए उसकी साडी को मस्त तरीके से संवारते हुए उतार दिया और जिससे अब वो अपनी ब्रा और पैंटी में रह गयी | मैंने उसे वहीँ बिस्तर पर उसे बिलकुल नंगी कर उसके गुलाबी होठों को चूसता उसकी चुचों को मसलत हुआ पीने लगा | मुझे उन् पुराना सुसन का स्वाद अब बहुत ही लुभा रहा था और मैं बहुत जल्द ही उसकी चुत को रगड़ने लग |
अब तो वो भी गरमा चुकी थी इसीलिए अब मैंने उसके उप्पर चड़ते हुए अपने तने हुए लंड को उसकी दोनों टांगों को चौड़ाये हुए चुत में टिका दिया और मस्त वाले धक्के देने लगा | मेरी बीवी आह्हहह्हा हहह्हह्हा हहह्हहः उईई माम्मामामा ममम्मा करके उसी तरह चिल्ला रही जिस तरह वो अपनी सुहागरात पर चिल्ला रही थी | मैं अब सारे दर्द और काम की टेंशन को जैसे भुलटा ही जा रहा था | मुझे अभी असली सुखा और वासना के बाम का असर हो रहा था | अब मैंने चुदाई को और रोमांचित बनाते हुए उसके चुचों के बल बिस्तर पर लिटाया और उसकी चुत के नीचे तकिया को रख दिया | अब मैं उसकी उभरी गांड की तरफ से पीछे अपने लंड को टिकाये हुए बड़े बेदर्दी धक्के दिए जा रहा था और उसकी हर दर्द भरी चींख में मुजे मज़ा मिल रह था | इस तरह मैंने दूसरी बार उसकी टांग को उठाका चुदाई के खेल को २ घन्टे तक दौडाया और जैसे ही मेरा गाढ़ा मुठ निकला तो मैं चैन की सांस लेता हुआ वहीँ निढाल होकर सो भी गया |

वैधानिक चेतावनी

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