रविवार, 10 जनवरी 2016

प्रिया सक्सैना कि चुत कि चुदाई स्कुल मेँ

मेरा नाम विनीत है, मेरी उमर 18 बर्ष है बात पिछले बर्ष की हे जब मे उस समय इण्टर मे था मेरा लण्ड 5इंच लम्बा है और प्रिया मेरी ही क्लास मे पढती थी उसका 0साईज बहुत ही मदहोश कर देता था और उसके होँठ तो गुलाबी-2 थे, मेरा तो मन पहले से ही उसे चोदने को करता था और मै तो रोजाना ही स्कुल जल्दी जाता था तो वो उस दिन स्कुल जल्दी आ गयी थी उसने मुझसे केमेस्ट्री  कि बुक मांगी तो मैने उसे बुक दे दीँ लेकिन मेरी उस बुक मे कामसूत्र की बुक थी मैं ये भुल गया था अगले दिन वो फिर स्कुल जल्दी आ गयी  समझ नही पाया कि उसे कामसुत्र वाली किताब मिल गयी थी जब उसने मुझे केमेस्ट्री  कि बुक दि तो उसने मेरी तरफ घुर के मेरे लण्ड के उभार को पेण्ट पे देखने लगी तो मैने उससे कहा तुम्हारा काम हो गया वो एकदम वोली कि तुम्हारी एक और बुक मेरे पास है तब मेरे समझ आया कि वो क्या कहना चाहती थी मैने भी पुछ लिया कौन सी बुक तो वो शरमा कर मुँह नीचे कर लिया तभी कुछ क्लासमेट आ जाने के कारण बात आगे ना बढ सकि।
मैँ कल फिर ओर जल्दी स्कुल आ गया,तो मैने देखा की प्रिया मेरी उस बुक को अपनी चुची पर रख चुत मसल रही थी मैँने हिम्मत कर उसके मम्मो को दबोच लिया उसने मुझे देखकर बोला मे  तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी
इतनी देर मे मैने उसकी सलबार का नाड़ा खोल उसकी चुत मे ऊंगली डाल दी उसने पेण्टी नहीँ पहनी थी कितनी नरम,कोमल और ताजी चुत थी तभी उसके मुँह से हल्की सी चीख निकलि मैने देखा वो झड़ गयी थी मैने उसका एक मम्मा लेके चुसने लगा और वो मेरी पेण्ट उतार के लण्ड को हिलाने लगी ओर कहने लगी मुझे चोद विनीत चोद डाल फाड़ डाल मेरी चुत को मैने तुरन्त सलबार नीचे कि ओर अपने लण्ड के टोपे को चुत के छेद से सटाकर एक हल्का धक्का मारा  बो चिल्लाई अआअइईआईआआआ ..,………………………..फट गयी मैने देखा मेरा आधा लण्ड ही घुसा था मैँने फिर जल्दी एक सोट तेजी से लगाया वो चिल्लाती मैने पहले ही ऊसके होँठो को अपने होँठो से चुसने लगा वास्तव मे उसके होँठ बहुत नशीले थे मै करीब 15-20 मिनट बाद झड़ने बाला था मैने लण्ड बाहर निकाला तो वो मेरा सारा पानी पी गयी वो इस बीच दो बार झड़ गयी थी मैने उसकी चुत देखी तो उससे खुन निकल रहा था मैँने अपने रूमाल से साफ कर उसे फ्रेश होने के लिए कहा तो जब वो उठि तो लड़खड़ा कर फ्रेश होने गयी उस दिन के बाद हम दोनो ने 4-5 बार सेक्स किया फिर वो इण्टर करके बम्बई अपने फुफा के चली गयीँ थी।
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