बात करीब चार साल पुरानी है लेकिन आज भी नई सी लगती है। तब रवि से मेरी शादी को दो साल हो चुके थे। मेरी शादी के एक साल बाद ही मेरी जुड़वाँ बहन सपना की भी शादी हो गई।
मेरी शादी का पहला एक साल काफी मस्त रहा था, इस दौरान सपना भी कई बार मेर घऱ आई। भले ही वो मेरी हमउम्र थी लेकिन रवि के लिये तो वो साली ही थी, दोनों एक दूसरे को काफी छेड़ते रहते थे लेकिन दोनों ने कभी भी अपना सीमाएँ नहीं तोड़ी।
सपना की शादी के कुछ समय बाद ही निखिल का मेरे ही शहर में तबादला हो गया, उसका दफ्तर शहर के बाहर था, वो अपने दफ्तर के पास ही किराये का मकान तलाश रहा था लेकिन इलाका ठीक नहीं था।
मेरा इलाका थोड़ा महंगा था इसलिये वो मेरे आसपास आने से हिचक रहा था।
उसकी मुश्किल रवि ने आसान कर दी, रवि के दफ्तर के पास ही एक घर खाली था। मकान मालिक रवि के दफ्तर का था इसलिये उसने किराया थोड़ा कम कर दिया, सपना और निखिल उस मकान में किराये पर रहने लगे।
यह घर रवि के दफ्तर के पास था इसलिये कभी कभी रवि भी सपना और निखिल से मिलने जाता रहता था, मेरा भी जाना होता था लेकिन घऱ बहुत पास नहीं था लेकिन फोन पर रोज बात होती थी।
मेरे और सपना के बीच सैक्स को लेकर कभी कभी बातें होती थीं, उसकी बातें सुनकर लगता था कि वो शादी के पहले से ही सैक्स के बारे में काफी कुछ जानती थी।
सपना की शादी को एक साल हो गया था। अचानक उसका फोन आया कि निखिल को दफ्तर के काम से एक हफ्ते के लिये बाहर जाना पड़ रहा है। मैंने उसे अपने यहाँ बुलाया तो सपना बोली कि घर को खाली नहीं छोड़ सकती हूँ चोरी का डर है।
एक हफ्ते बाद उसका फिर फोन आया कि निखिल को आने में अभी तीन दिन और लगेंगे और उसे अब रात में डर लगता है।
मेरी भी मुश्किल यही थी कि मैं भी घर खाली नहीं छोड़ सकती थी क्योंकि पड़ोस का घर भी बंद था।
इस हालत में मैंने रवि से उसके घर रुकने को कहा तो थोड़ी ना-नुकुर के बाद वो राजी हो गया।
रवि को सपना के घर रहते हुए दो दिन बीत चुके थे। आज दूसरी रात थी और मैं बिस्तर पर करवटें बदल रही थी। मुझे पता था कि रवि पूरा चुदक्कड़ है, हर रात मेरी चूत ठोकता है, चूत की खूब चुदाई करता है।
उसके साथ सपना एक घर में अकेली... मैंने पूरी रात जगाते हुए काटी और सुबह छः बजे मैं सपना के दरवाजे पर थी।
दरवाजे पर सपना का दूध वाला खड़ा था और दूध-दूध की आवाज लगा रहा था।
दरवाजा रवि ने खोला।
उसने कमर पर तौलिया बांध रखा था, मुझे देखते ही रवि चौंक गया, घबराहट में दूध लेकर किचन की तरफ गया तो तौलिया खुल कर नीचे गिर गया।
रवि ने अंडरवियर भी नहीं पहना था, हकलाते हुए कहने लगा कि वो नहाने जा रहा था।
मैं सपना के कमरे में गई तो वो चादर ओड़ कर सो रही थी।
कमरे में रवि और सपना के कपड़े पड़े थे, रवि का अंडर वियर.. सपना की ब्रा.. पैंटी भी उसमें शामिल थी।
मेरा शक सही था… रवि ने अपनी साली को चोद दिया था।
मैं रवि को दूसरे कमरे में ले गई, उससे कहा- झूठ मत बोलो, तुम नहाने नहीं जा रहे थे, तुमने रात में सपना को चोदा है। कमरे में फैले पड़े कपड़े इसकी गवाही दे रहे हैं।
मेरी बात सुनकर रवि ने हाँ कर दी।
मैंने कहा- ऐसा क्यों किया? क्या तीन दिन सब्र नहीं कर सकते थे?
रवि ने इसके बाद पूरी कहानी बतानी शुरू कर दी उसने बताया कि पहली रात को वो दूसरे कमरे में सोया था। रात में आँख खुली, उसने देखा कि सपना के कमरे की लाइट जल रही था।
उसने दरवाजे के छेद से देखा तो सपना अपने लैपटॉप पर कोई फिल्म देख रही थी। लैपटॉप से आ रही आवाज से साफ था कि वो कोई ब्लू फिल्म देख रही थी, सपना का एक हाथ चूत पर और दूसरा चूची पर था।
कुछ देर में उसने अपनी चूची खुद पीने की कोशिश की लेकिन पूरी कोशिश के बाद भी चूची उसके मुंह तक नहीं पहुंची। इसके बाद वो दोनों हाथों से अपनी चूचियाँ दबाने लगी। उसके मुंह से ऊह..आह की आवाज निकल रही थी। इस दौरान उसने किसी को फोन किया लेकिन फोन नहीं उठाने पर उसे गुस्से से फेंक दिया।
अपनी साली को इस हाल में देख कर रवि का लंड भी खड़ा हो गया। लेकिन उसने खुद पर संयम रखा।
पूरी रात रवि ने जागते हुए काटी। सुबह जब उसे सपना के उठने की आवाज आई तो उसने अपने लंड को खड़ा किया और उसे नेकर के बाहर निकाल लिया। इसके बाद वो मुंह पर चादर डाल कर सोने का नाटक करने लगा। हाँलाकि चादर से उसे बाहर का पूरा नजारा दिख रहा था।
सपना जब उसके कमरे में आई तो उसका खड़ा लंड देखकर चौंक गई। एक बार कदम पीछे चले लेकिन फिर वो आगे चलती हुई आई। वो बड़े गौर से रवि के लंड को देख रही थी। एक बार उसने मुंह खोल कर लंड को चूसना चाहा लेकिन फिर मुंह पीछे कर लिया।
चादर के अंदर से रवि उसकी एक एक हरकत को गौर से देख रहा था। उसकी समझ में आ गया था कि एक हफ्ते से निखिल के लंड की प्यासी सपना का हाल बुरा हो चुका है।
इसके बाद सपना कमरे से बाहर चली गई।
रवि के लिये भी अपने पर काबू रखना मुश्किल हो रहा था लेकिन वो चाहता था कि पहल सपना ही करे।
थोड़ी देर रवि ने जागने का नाटक किया और चाय की फरमाइश की।
सपना उसके लिये चाय बना कर लाई और नहाने चली गई।
सपना जब नहा कर बाहर निकली तो उसने तौलिये का बना हुआ गाउन पहन रखा था, इस गाउन को एक डोरी के सहारे बांधा गया था। इसलिये गले और उसके नीचे का पूरा हिस्सा साफ दिख रहा था।
सपना के गाउन से झांकती चूचियाँ काफी टाइट लग रहीं थी।
रवि की धड़कने तेज हो रहीं थी।
वो भी नहाने चल गया। नहा कर निकला तो अंडरवियर के ऊपर तौलिया लपेट कर आ गया।
उसके बाहर निकलते ही सपना ने कहा- ..जीजू तौलिया गीला है.. उतार दो वरना अंडवियर भी गीला हो जायेगा।
इसके बाद उसने आगे बढ़कर रवि का तौलिया खींच लिया।
अब रवि सिर्फ अंडरवियर पहने खड़ा था। रवि का लंड खड़ा था इसलिये अंडरवियर में भी टैंट बन गया था।
उसे देख कर सपना बोली- ...दो दिन रेनू से नहीं मिले तो यह हाल हो गया है।
रवि अंडरवियर पहने ही नाश्ते सोफे पर बैठ गया। सपना प्लेट में नाश्ता लेकर आई तो उसने इतना झुक कर मेज पर प्लेट रखी किउसकी एक चूची गाउन से बाहर निकल गई।
यह देख कर रवि ने पूछा- ..आखिर क्या क्या खाना है?
सपना ने भी उसी अंदाज में जवाब दिया- ...जो खाना हो, खा लो।
सपना का जवाब सुनते ही निखिल ने उसे खींच लिया और उसके होठों पर अपने होंठ रख दिये। दोनों की सांसें तेज हो गई थी... होटों के अंदर दोनों की जीभ लड़ाई कर रहीं थी... सपना के मुंह से सिसकारी निकलने लगी।
और जल्दी ही सपना के गाउन की डोरी खुल गई, उसने नीचे कुछ भी नहीं पहन रखा था, रवि का भी अंडरवियर उतर चुका था।
कोई भी मर्द चाहे जितनी लड़कियाँ चोद ले लेकिन साली और भाभी की चुदाई का उसे अलग ही मजा आता है।
रवि ने कहा- साली जी, रात में क्या हो रहा था, मैंने सब देखा है।
सपना भी बेशर्मी से बोली- शादी का पहला साल है। निखिल दिन में तीन बार ठोकता है और अब एक हफ्ते से चूत प्यासी है।
उसने यह भी बताया कि एक बार शादी के पहले जब वो मेरे घर आई थी तो उसने रवि को मेरी चूत पीते देखा था।
कहने लगी- जीजू... निखिल तो मेरी चूचियों के पीछे दीवाने रहते हैं लेकिन मेरी बुर कभी नहीं चाटी, आज आप मेरी चूत चाट चाट कर शांत कर दो।
रवि ने उसे सोफे पर ही लिटाया और सपना की बुर पीनी शुरू कर दी। बुर पीने में रवि को महारत हासिल है। चंद सैकेंड में उसने सपना को पागल बना दिया।
सपना की गांड जोर जोर से उछल रही थी- ..हाय जीजू, तुम्हारी जीभ कितनी गर्म है... हाय रेनू को कितना मजा आता होगा.. और अंदर डालो अपनी जीभ...
उसने अपने हाथों से रवि का सिर दबा दिया, थोड़ी ही देर में उसकी फ़ुद्दी ने पानी छोड़ दिया था।
इसके बाद उसने रवि का लंड पिया और रवि के लंड से निकला जूस भी पी गई।
सपना की पहली चुदाई के बाद ही रवि ने दफ्तर फोन किया औऱ तबियत खराब होने का बहाना कर दिया।
इसके बाद उसने सपना को दिन में दो बार और रात में एक बार और चोदा।
सुबह के समय जब मैंने रवि को सपना के घर देखा था तब वो सपना को चार बार चोद चुका था।
तो मैंने कैसे किया हिसाब बराबर?
मैंने रवि को तुरंत दफ्तर जाने को कहा और उससे यह भी कहा कि मैं एक दो दिन बाद ही घर आऊँगी।
मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर था।
मैं दूसरे कमरे में बिछे बिस्तर पर लेट गई, रवि को निकलने के थोड़ी देर बाद ही सपना भी जाग गई।
उसने कमरे से ही आवाज लगाई- ..जीजू.. कहाँ हो… क्या कर रहे हो।
उसका जवाब मैंने दिया- ..उठ जा महारानी.. तेरे जीजू तो दफ्तर चले गये।
मेरा जवाब सुनने के दो मिनट के भीतर ही सपना मेरे सामने गाऊन पहने खड़ी थी।
कहने लगी- ..रात में निखिल का फोन आ गया था इसलिये देर तक जागती रही और उठने में देर हो गई।
मैंने उससे कहा- अब झूठ मत बोल!
मैं सपना को उसके कमरे में ले गई। कमरे में बिखरे कपड़े अब एक तरफ समेट दिये गये थे, उनमें रवि का अंडरवियर भी था।
मैंने कहा- यह अंडरवियर तेरे कमरे में क्या कर रहा है?
सपना बोली- …वो धोने के लिये दिया था।
मैंने अंडरवियर उठाया और पूछा- ..ये चिपचिपा सा इसमें क्या लगा है?
सपना ने कहा- ..कोई चीज गिर गई होगी।
मैंने गुस्से में बेशर्मी के साथ उससे कहा- ..सीधी तरह से बात कर.. दो साल से मेरी चुदाई हो रही है और एक साल से तेरी। इस चिपचिपी चीज को मैं भी और तू भी अच्छी तरह से पहचानते हैं।
मैंने उसे यह भी बताया कि रवि ने मुझे सब कुछ बता दिया है और अब यह बात मैं मम्मी-पापा से बताऊँगी।
यह सुनते ही सपना घबरा गई, कहने लगी- इसमें मम्मी पापा कहाँ से आ गये?
उसका कहना था कि पिछले एक साल से निखिल दिन में तीन बार उसकी चुदाई कर रहा था और एक हफ्ते से उसकी बुर प्यासी रह गई थी। पागलपन में वो किसी और के साथ लंड-चूत का खेल खेलने को सोच रही थी, फिर सोचा कि मामला खुल गया तो बदनामी होगी। इसलिये जब रवि उसके घऱ रुका तो उसने सोचा कि जीजू से चुद भी जाएगी और बदनामी भी नहीं होगी। आखिर साली ही तो आधी घरवाली होती है।
उसकी बात सुनकर मेरा गुस्सा ठंडा पड़ गया, सोचा कि ठीक ही तो कह रही है किसी दूसरे के साथ करती तो वो ब्लैकमेल कर सकता था।
मैंने उससे कहा- अच्छा, चल अब यह भी तो बता कि कैसा है तेरा जीजू?
सपना थी तो मेरी हमउम्र ही… कहने लगी कि निखिल तो मेरी चूचियों पर चढ़ाई कर देते हैं और मुझसे भी अपनी चूचियां पीने को कहते हैं लेकिन चूत नहीं पीते हैं। जीजू ने चूत पीकर जन्नत के नजारे करा दिये। हाँ यह बात जरूर है कि निखिल का लंड मोटा और बड़ा है। जीजू इस मामले में पीछे रह जाते हैं।
मोटा और बड़ा… निखिल का लंड… मेरे दिमाग हवा में उड़ने लगी।
मो…टा, ब…ड़ा… मेरी चूत में भी सनसनी होने लगी थी, मेरा शैतान जाग चुका था।
आखिर मैं भी तो निखिल की साली ही थी, भले ही शादी एक साल पहले हो गई थी।
मैंने सपना से कहा- …ठीक है, मैं एक शर्त पर पापा-मम्मी से शिकायत नहीं करूंगी। अगर तू भी मुझे निखिल के लंड का मजा लेने दे। सपना पहले तो हिचकी लेकिन पापा-मम्मी के डर से मेरी बात मान गई, कहने लगी- …चल एक बार तू भी ऐसा कर ले लेकिन निखिल इसके लिये तैयार नहीं होगा।
मैंने उससे कहा- ..तू यह बात मुझ पर छोड़ दे.. कुछ सोचती हूँ इस बारे में। वैसे भी हम दोनों की कद काठी एक जैसी थी।
दोपहर के समय निखिल का फोन आया, कहने लगा कि काम जल्दी खत्म हो गया है इसलिये आज रात नौ बजे तक वो घर आ जायेगा।
यह बात सपना ने मुझे बताई, मैंने तुरंत ही एक योजना बनाई और सपना को इस बारे में निखिल को बताने को कहा।
मेरी योजना के मुताबिक सपना ने निखिल को बताया कि थोड़ी देर पहले एक बाबा घर में आये थे। उसे देखते ही कहने लगे- बच्चा… पति सुख के लिये परेशान हो?
उन्हीं बाबा ने बताया कि अगर सपना आठ घंटे का मौन व्रत रख ले और इस दौरान घर में कोई रोशनी नहीं हो तो निखिल और सपना एक दिन के लिये भी अलग नहीं होंगे।
सपना ने यह भी बताया वो शाम छः बजे से मौन व्रत रखेगी जो रात दो बजे तक खत्म हो जायेगा।
निखिल को इसमें कोई ऐतराज नहीं था कहने लगा- स्वीट हार्ट.. आठ घंटे की ही तो बात है… कर लेंगे, लेकिन चुदाई से इंकार मत करना।
सपना ने जवाब दिया- ठीक है, पूरी कसर निकाल लेना।
शाम को सपना ने बताया कि निखिल चूचियाँ पीने का मास्टर है.. उसकी चूची जरूर पीना, नहीं तो शक हो सकता है।
मैं निखिल के मोटे और बड़े लंड के इंतजार में पागल थी।
रात को नौ बजे से पहले सपना और मैंने एक जैसा तेज परफ्यूम लगा लिया।
मैं दूसरे कमरे में छिप गई। सपना ने एक कागज पर बड़ा बड़ा लिख लिया था ‘आठ घंटे तक मौन व्रत और कोई लाइट नहीं।’
थोड़ी ही देर में निखिल आ गया, उसने दरवाजे पर ही सपना को जोर से बाहों में लेकर जोरदार चुम्बन लिये।
सपना ने कागज दिखा कर उसे याद दिलाया कि आठ घंटे तक घर में अंधेरा रहेगा और वो बोलेगी नहीं।
उसे देखकर निखिल बोला- ठीक है डार्लिंग.. मुझे पूरा याद है।
दोनों ने खाना खाया और बिस्तर पर लेट गये।
पूरे घर में घुप्प अंधेरा था।
पांच मिनट सपना कमरे से बाहर निकली और मैं उसका गाउन पहन कर निखिल के कमरे में घुस गई।
हम दोनों ने एक सा परफ्यूम लगा रखा था इसलिये अंधेरे में निखिल को पता नहीं चला कि क्या हो चुका है।
मेरे बिस्तर पर लेटते ही निखिल मुझ पर टूट पड़ा.. कहने लगा कि उसका लंड नौ दिन से भूखा है और इस बीच किसी की चूची भी नहीं पी पाया।
उसने गाउन इस अंदाज में उतारा कि जैसे वो उसे फाड़ देगा और मेरी चूचियों को पूरी ताकत से दबाने लगा।
मैं किसी तरह अपनी चीख पर काबू रख पा रही थी, अगर निकल जाती तो बाबा जी की बात पूरी नहीं हो पाती।
एक मिनट बाद ही निखिल ने मेरी चूचियों को पीना शुरू कर दिया। मुझे लगा कि आज तो इन चूचियों से दूध भी निकल जायेगा।
नीचे पैरों से टकराता निखिल का लंड मुझे पागल बना रहा था, मेरी चूत से नदी बहने लगी थी।
थोड़ी देर बाद ही निखिल ने मुझे अपने ऊपर ले लिया।
मैं इशारा समझ गई थी, अब वो अपनी छोटी-छोटी मर्दों वाली चूची पिलवाना चाहता था।
मैंने बड़े धीरे-धीरे उन्हें पीना शुरू किया।
निखिल तफड़ने लगा था, उसने जोर से कहा- ..सपना जोर से पियो.. मजा आ रहा है।
मैंने भी चूचियों पर दबाव बढ़ा दिया।
अचानक मैं बिजली की तेजी से घूमी और निखिल का लंड अपने मुंह में भर लिया।
निखिल ने जोर से सिसकारी भरी और कहने लगा- ..नौ दिन में एक नई चीज सीख ली है।
मुझे उसकी बात से कोई मतलब नहीं था, मैं तो बस उसकी लंड की मोटाई से पागल थी।
इतना बड़ा… मैं उसे छोड़ना ही नहीं चाहती थी लेकिन निखिल पूरा गर्म हो गया था, उसने पूरी ताकत से मुझे उठाया और बिस्तर पर एक तरफ फेंक दिया।
रवि ने कभी भी मेरे साथ ऐसा नहीं किया था।
मेरे बिस्तर पर गिरते ही निखिल भी मेरे ऊपर चढ़ गया और पूरी ताकत से अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया।
मैं पागलों की तरह अपने चूतड़ों को हिला रही थी।
निखिल तो पूरे नौ दिन का प्यासा था।
हम दोनों बिस्तर पर कलाबाजियाँ खा रहे थे लेकिन लंड और चूत एक दूसरे से चिपक गये थे।
पूरे पांच मिनट की कुश्ती के बाद निखिल के लंड और मेरी चूत से पिचकारी छूट गई। निखिल ने मेरी जोरदार चुम्मी ली और बोला- यार आज तो तूने मूझे पूरा मस्त कर दिया।
इसके बाद वो मुझसे चिपक कर सो गया।
सुबह पांच बजे के करीब मैं कमरे से बाहर निकली और जल्दी जल्दी सपना को रात की चुदाई के बारे में बताया।
निखिल के जागने से पहले ही मुझे अपने घर के लिये निकलना था।
दरवाजे पर विदा होते समय मैं सपना के कान में फुसफुसाई- ..चल बहन… हिसाब बराबर हो गया।
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