शनिवार, 23 जनवरी 2016

भाभी की किचन से बिस्तर तक का सफर


हाई दोस्तों, आप लोगो ने इस कहानी की पहली वाली भाग जरुर पढ़ी होगी, अगर नही पढ़ी हे तो ” भाभी की किचन तक का सफर ” नाम की जो कहानी हे उसे जरुर पढले |मैं फिर उठ के उनके कमरे में गया और देखना लगा की क्या हुआ हे तो देखा की पीछे से केबल निकला हुआ था मेने उसे लगा दिया और फिर टीवी चालू की तो सब साफ़ आ रहा था | भाभी ने मुझे थैंक्स कहा और फिर बोली की रुको में तुम्हारे लिए कुछ बना के लाती हूँ, मेने मना किया तो वो नही मानी और फिर भी अंदर चली गयी | मैं बैठ के टीवी देखने लगा और कुछ दस मिनट बाद जोर की आवाज़ आई किचन से, मैं भाग के गया तो देखा की भाभी निचे गिरी हुई थी,भाभी, ये कैसे हुआ आप निचे कैसे गर गयी ?कुछ नही पानी गिरा हुआ था तो पैर पड गया उसपे | मेने उन्हें फिर उठा के बेड पे लेटा दिया, उन्हें बाहर से तो कोई चोट नही आई थी पर मुझे लग रहा था की अंदर से बहुत छोटे लगी थी | मेने कहा की एम् डॉक्टर को बुला लेटा हू पर वो मना कर रही थी और बोल रही थी की जरुरत नही हे अपने आप ठीक हो जाउंगी | उनके कमर ओए टांग में काफी छोटे आई थी, मेने फिर कहा की में बाम लगा देता हू तो उसके लिए भी मना कर रही थी पर में जबरदस्ती बाम लेके बैठ गया और फिर उनकी टांग खीच के उनके टांग पे मलने लगा | उनकी टांग एक दम चिकनी थी और एक दम गोरी थी मैं उनके टांग पे मलने लगा तो वो बोली की थोडा और उपर करो | भाभी उस समय उलटी लेटी हुई थी, उनके बोलने से मेने उनकी नाइटी थोड़ी उपर कर दी और उनके जांघ पर बाम मसलने लगा | क्या सेक्सी जांघ थी उनकी हल्का हल्का गर्म गर्म मुझे महसूस हो रहा था | मुझे लग रहा था की मेरे रगड़ने से वो गर्म हो रही थी और वो बहुत ही हल्की हल्की सिसकिय भर रही थी | धीरे धीरे मेरा हाथ उनके गांड तक पहुच चूका था पर वो कुछ बोल नही रही थी फिर वो बोली की मेरे कमर पे भी हो रहा हे तो मैं बोला की आपकी नाइटी बिच में आ रही हे तो वो बोली उपर करदो उसे |मेने फिर उनकी नाइटी उपर कर दी उर उनकी गांड तो साफ़ साफ़ दिख रही थी मुझे और उसके साथ साथ मुझे उनकी पीठ भी दिख रही थी | मैं बाम उनके पुरे पीठ पे मलने लगा तो उनके मुह से थोड़े देर के बाद अजीब सी आवाज़ आने लग गयी स्सस्सस्स ऊ हम्म्म्म करने लगी थी | घर उस समय बहुत गर्म गर्म लग रहा था बोले तो माहोल काफी गर्म हो चूका था उस समय | मैं उनके गर्दन से लेके उनके गांड तक बाम रगड़ने लगा और बिच बिच एम् उनकी गांड को भी दबा देता पर वो कुछ नही बोलती मुझे | वो भी काफी गर्म हो चुकी थी पर मुझसे अब और रहा नही जा रहा था इसीलिए मेने उनकी पेंटी को पकड़ के उतार दिया और वो कुछ नही बोली मुझे | उनकी गांड एक दम झकास लग रही थी मुझे मन तो कर रहा था की खा जाऊ उनकी गांड को | मैं उनकी गांड को अब दबाने लग और वो अब मेरी मेहनत के मजे ले रही थी | मेने उनकी गांड खोली और अपना मुह रख दिया और वो स्सस्सस कर के उठी | मेने फिर अपनी गांड के छेद में ऊँगली रख दी और ऊँगली को अंदर धकेलने लग गया, एमने फिर अपनी ऊँगली में बाम लगा के उनके गांड एक छेद में धकेल दिया और उछाल पड़ी पर में ऊँगली को अंदर बाहर करने लग गया उन्हें दर्द हो रहा था पर मुझे बहुत मजा आ रहा था |कुछ देर के बाद मेने उन्हें सीधा लेटा दिया और उनके होठो को अपने होठो से चूसने लग गया और वो भी मेरा साथ देने लग गयी थी | फिर उसके बाद मेने उनकी पूरी नाइटी उतार दी और उनके ब्रा के उपर से ही उनके चुचो को मसलने लग गया | वो काफी मज़ा लुट रही थी फिर मेने उनके पुरे जिस्म को चूमा और फिर उनकी ब्रा और पेंटी दोनों उतार दी | वो बिना कपड़ो के एक दम परी लग रही थी, उन्हें उस हाल में देख के में पागल सा होने लगा फिर मेने उन्हें किस करना चालू किया वो अब सातवे आसमन पे पहुच चुकी थी और बोली राज फक में हार्ड और फिर उन्होंने मुझे निचे बिस्तर पे लेटा दिया और मेरे कपडे निकालने लग गयी | मैं भी अब उनके मजे ले रहा था फिर वो मेरी चड्डी के उपर से ही मेरा लंड दबाने लग गयी थी और मेरी गोटी से खेल रही थी | फिर उन्होंने मेरी पूरी जिस्म पे किस करना चालू कर दिया और निचे निचे जाती गयी | उसके बाद उन्होंने मेरे चड्डी को अपने मुह से उतरा और मेरे लंड को अपने मुह में भर ली और फिर चूसने लग गयी |उनके लंड चूसने से मुझे लग रहा था की जेसे में हवा में उड़ रहा हूँ और फिर वो मेरी गोटी को भी मु में भर के चूसने लग गयी | दस मिनट तक उन्होंने मेरे लंड और मेरी गोटी को चूसा और छठा फिर उसके बाद मैं उनके चुचो को मसलने लग गया और एक निप्पल को अपने मुह में रख कर पीने लगा, मुझे तो मज़ा आ ही रहा था साथ ही साथ उन्हें भी काफी मज़ा आ रहा था | उनके निप्पल को चूसते चूसते में अपना एक हाथ उनके चुत पे भी रखा और रगड़ने लग गया फिर मैं अपनी जीभ उसकी चुत में डाल के चाट रहा था और वो अब काफी गर्म हो चुकी थी और अपने हाथ से मेरे सर को दबा के अपनी चुत में डाल रही थी और बोल रही थी की और जोर से चाटो और जोर से चाटो | मैं उनकी चुत को जितना कस के चाट सकता था चाट रहा था और कुछ देर के बाद वो मेरे मुह में ही झड गयी | मैं उठा और उनके टांगो को अपने दोनों बाजु में खीच के उनकी चुत पे लंड सटा दिया और कस के धक्का दिया और अपना पूरा लंड अंदर घुसेड दिया वो एक पल के लिया चीख उठी और फिर मैं धीरे धीरे से होते होते अपनी रफ़्तार एक दम बड़ा दी और करीब बीस मिनट तक उनक पेला और ऊऊऊऊ ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ह्म्म्म ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ई किये जा रही थी और अपने चुचो को मसल रही थी |बीस मिनट के बाद में उनकी चुत में झड चूका था और वो अब तक तीन बार झड चुकी थी | मेने अपना लंड उनकी चुत से निकला और उनके मुह में दे दिया और वो मेरे लंड को चाट चाट के साफ़ कर दी | उसके बाद मेने उन्हें उल्टा किया और अपने लंड में बाम लगा के उनकी गांड में लंड सेट किया और कस के पेल दिया, उनकी गांड बहुत टाईट थी | जितने बार अंदर धक्का दे रहा था लंड उछाल के बाजू में आ जा रहा था दस मिनट के कड़ी मेहनत के बाद मेने अंदर पेल दिया और लंड आधा की अंदर गया था | लंड के अंदर जाती ही वो चीख उठी, घर बड़ा था इसीलिए आवाज़ बाहर तक नही गयी और वो रोने लगी और बोली लंड निकालो मुझे गांड नही मरवाना मैं मर रही हूँ निकालो अपने लंड को | पर में उनकी एक न सुनी और लंड को अंदर बाहर करता रहा, धीरे धीरे उनकी गांड ने मेरे पुरे लंड को अंदर ले लिया और फिर मैं उनकी गांड को जम के पेल रहा था | अब उन्हें भी मज़ा आने लगा था और में चुदाई में चार चाँद लगाने के लिए उनके उपर लेट गया और गांड पेलता रहा और एक हाथ से उनके निप्पल को रगड़ने लगा | अब वो कस कस के कराहने लगी थी और फिर में अपने दूसरे हाथ से उनकी चुत को भी रगड़ने लगा, वो अब भरपूर मज़ा ले रही थी चुदाई की और फिर इतनी खुशी वो सह नही पाई और एक दम से झड गयी मेरे हाथ पे और उनकी चुत से निकला हुआ पानी बिस्तर पे भी गिर गया |पूरी चुदाई के बाद हम बीस मिनट आराम किये और फिर हम बाथरूम चले गए और दोनों साथ में नहाये और बाथरूम में मेने उनके मुह को भी पेला और फिर नहा के बाहर आ गए | भाभी इन फिर खाना बनाया और फिर हम साथ मिल के खाए और कहते हुए बोली राज तुम बड़े कमाल के हो, जितना साफ़ तुम्हारा केबल आता हे उतनी ही साफी से तुम मेरी चुत की प्यास भी बुझाई | तुम सच में कमल के लड़के हो, तुम मेरी जिंदगी में आये मुझे बहुत अच्छा लगा | उसदिन के बाद भैया जब भी बाहर जाते, मैं उनकी जगह ले लेता था |

भाभी तड़प गई



भाभी तड़प गई

मेरा नाम अनिल है मैं कानून का छात्र हूँ। मेरी उम्र 23 साल है। अन्तर्वासना पर मैं एक अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ। यह कहानी ऐसी है जो आज तक मैंने अपने दिल में दबा कर रखी है और जिसे पढ़ कर सभी चूत और लंड पानी छोड़ देंगे ! जब बच्चे यह भी नहीं जानते कि मुठ मारना क्या होता है, मैं तब से और आज तक मुठ मारता आ रहा हूँ। जिससे मेरा लंड भी टेढ़ा हो गया है, तो तुम अंदाजा लगा सकते हो कि मैं कि
तना गुंडा हूँ !

बात उस समय की है जब मेरी जवानी पूरे जोश पर थी मेरा वीर्य निकलना शुरू ही हुआ था और कोमल-कोमल झांट आई थी और चूत मारने का इतंना मन करता था कि बस चूत हो ! कैसे ही हो !

मेरे बड़े भाई की शादी हुई, बड़ी सुंदर भाभी आई, नाम है मनोरमा, जिसके गोल-गोल चूचे, उठी हुई गांड है !

शुरू से ही मैं अपनी भाभी से एक हद तक मजाक करता था पर मैंने कभी उसके बारे में गलत नहीं सोचा। पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था ! भाई की रात की ड्यूटी लगी हुई थी, मम्मी और पापा भैंसों के प्लाट में सोते थे।

अब मम्मी बोलने लगी- अनिल बेटा, तेरे भाई की रात की ड्यूटी है, तू अपने कमरे में सोने की बजाय अपनी भाभी के साथ सो जाना, कभी वो अकेली डर जाये!

एक बार तो मैंने मना किया पर मम्मी के कहने पर तैयार हो गया। तब तक मेरा मन बिलकुल शुद्ध था और सोच रहा था कि डबल बेड है, एक तरफ मैं सो जाऊंगा और एक तरफ भाभी !

बस एक अजीब सी खुशी थी कि भाभी के बेड पर सोऊंगा !

अब भाभी ने सारा घर का काम खत्म कर लिया और आ गई सोने के लिए अपने बेड पर। मैं पहले से ही बेड पर था, भाभी बोली- अनिल, सो जाओ !

हमने लाइट बुझाई और सो गए, डबल बेड पर एक तरफ मैं और एक तरफ भाभी थी।

रात को लगभग बारह बजे मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि मेरा एक हाथ भाभी के चूतड़ पर था और मुँह भाभी के पैरों के तरफ था। बस वो पल मेरे लिए तूफान बनकर आया जिसने मेरी माँ समान भाभी मुझसे चुदवा दी।

अब मेरी नींद उड़ गई और मुझे अपनी भाभी एक लंड की प्यास बुझाने का जुगाड़ दिखने लगी। पर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि कहाँ से शुरुआत करूँ !

कम से कम एक घंटा मैं एक अवस्था में ही लेटा रहा, जब तक भाभी गहरी नींद में थी।

अब मेरा सबर का बांध टूट गया, मैंने भाभी की तरफ करवट ली और अपना ग्यारह इंच का लंड भाभी की गांड क़ी दरार में धीरे से भिड़ा दिया। उस समय मैं बहुत डरा हुआ था, फिर धीरे से पैरों पर एक चुम्बन लिया ! उसके बाद मेरा कुछ होंसला बढ़ा कि भाभी कुछ नहीं बोल रही ! मेरे हिसाब से भाभी जग गई थी और आराम से मजा ले रही थी।

फिर मैं भाभी क़ी गांड से हाथ हटाकर पेट पर हाथ ले गया, पर मेरी गांड फट रही थी !

मैंने धीरे से कमीज़ ऊपर कर दिया और धीरे-धीरे सलवार के अन्दर हाथ ले गया, फिर कच्छी क़ी इलास्टिक ऊपर क़ी और भाभी क़ी चूत पर हाथ रख दिया। लगता था कि भाभी ने सात-आठ दिन पहले ही झांट काटी होंगी क्योंकि छोटे-छोटे बाल आ रहे थे जो मेरे हाथ में चुभ रहे थे !

भाभी ने एक अंगड़ाई ली और सीधी हो गई। मेरी गांड फट कर हंडिया हो गई, लेकिन वो कुछ नहीं बोली और सोने का नाटक करने लगी। मेरा लंड तन कर पूरा लक्कड़ हो रहा था। अब मेरा डर दूर था, मैंने भाभी का नाड़ा खोलकर सलवार और कच्छी उतार दी।

भाभी जग गई और बोलने लगी- अनिल, यह क्या बद्तमीजी है?

मैं बोला- भाभी, एक बार मुझे अपनी चूत में अपना लण्ड घुसाने दे ! यह बात किसी को नहीं पता चलेगी।

वो कहने लगी- अनिल, यह गलत है !

मैं भाभी क़ी अनसुनी करते हुए भाभी के होंठ चूसने लगा, अब भाभी भी गर्म हो गई थी और मेरा विरोध नहीं किया, इसलिए मैंने देर नहीं क़ी और भाभी क़ी चूत में उंगली डाल दी। चूत कुंवारी जैसी थी क्योंकि अभी मेरी भाभी एक बार भी गर्भवती नहीं हुई थी।

अब भाभी तड़प गई और कहने लगी- अनिल जल्दी कर !

मैंने अपना टेढ़ा लंड भाभी क़ी कोमल चूत पर रख कर जोर से धक्का मारा, एक ही धक्के में लंड तो अन्दर चला गया पर भाभी दर्द से तड़प गई और बोली- अनिल, तेरे टेढ़े लंड ने तो मेरी जान ले ली !

मैंने भाभी को जोर-जोर से धक्के मारे, भाभी तड़पती रही और अपनी गांड हिला कर मेरा साथ देती रही।

पंद्रह-बीस मिनट में पहले भाभी झड़ गई और फिर मैं !

उस रात मैंने भाभी को तीन बार चोदा !

भाभी सुबह जल्दी उठ गई और बोली- अनिल, यह बात मेरे और तुम्हारे बीच रहनी चाहिए !

मैंने कहा- ठीक है भाभी !

गुरुवार, 21 जनवरी 2016

देवर जी, हां तो आगे चले।

देवर जी, हां तो आगे चले।
देवर जी, हां तो आगे चले।

मेरी भाभी की उम्र 21 साल की थी, और मैं 18 साल का था। भाभी ने बीए फ़ाईनल की परीक्षा दी थी और मुझे रिजल्ट लेने भाभी के साथ उज्जैन जाना था। उज्जैन में ही कुछ ऐसा हुआ कि मैं और भाभी बहुत ही खुल गए।
मैं और मेरी भाभी रतलाम से सवेरे रवाना हो कर उज्जैन आ चुके थे। स्टेशन पर उतरते ही सामने एक होटल में रूम बुक करा लिया। कमरा अच्छा था। डबलबेड टेबल बाथरूम सभी कुछ साफ़सुथरा था। मैंने और भाभी ने स्नान किया और यूनिवरसिटी रवाना हो गये। वहां से हमने भाभी का रिजल्ट कार्ड लिया। दिन भर उज्जैन के पवित्र स्थलों के दर्शन किये और होटल वापस आ गये। शाम को हमारे पास कोई काम नहीं था।
अचानक भाभी बोली- चलो पास में पिक्चर हॉल है …चलते हैं, थोड़ा समय पास हो जायेगा।
हम दोनों हॉल में पहुँच गये। कोई अंग्रेजी फ़िल्म थी।
पर वह फ़िल्म बहुत सेक्सी निकली। बहुत से सीन चुदाई के थे उसमें ! थोड़ी थोड़ी देर में नंगे और चुदाई के सीन आ जाते थे। पर ये सीन ऐसे थे कि अंधेरे में फ़िल्माये गये थे, पर ये सीन इस तरह फ़िल्माये गये थे कि लण्ड और चूत के अलावा सब दिख रहा था।
जब सीन आते तो भाभी मुझे तिरछी नजर से देखने लगती। भाभी की कम उम्र थी, और उस पर इन दृष्यों का सीधा असर हो रहा था और उसकी जवानी का उबाल बेलगाम था। थोड़ी थोड़ी देर में वो मुझे छूने लगी फिर मुझ पर उसका असर देखती। मैं भी कम उम्र का ही था…
भाभी गरम होती जा रही थी। भाभी ने जब मेरी तरफ़ से कोई ऑब्जेक्शन नहीं पाया तो तो वो आगे बढ़ी और मेरे हाथ पर अपना हाथ धीरे से रख दिया। मैंने भाभी की तरफ़ देखा तो उसकी बड़ी बड़ी गोल आंखे मुझे ही देख रही थी। हम दोनों की नजरें मिली और हम आंखों ही आंखों में देखते हुए एक दूसरे में खोने लगे। उसका हाथ मेरे हाथ को दबाने लगा। मैं एक बार तो सिहर उठा। मैंने भी अब उत्तर में उसका हाथ दबा लिया।
मेरा लण्ड भी अब उठने लगा था, पर भाभी बहुत ही गरम हो चुकी थी। उसने मेरी जांघ पर हाथ रख दिया और लण्ड की तरफ़ बढ़ने लगी और अपनी आंख से इशारा किया…
मेरा दिल धड़क उठा। उसने अचानक ही मेरे लण्ड पर हाथ रख दिया और अंगुलियों से उसे दबा दिया।
“हाय रे !” मेरे मुख से सिसकारी निकल पड़ी।
“क्या हुआ?” उसने और जोर से दबाते हुए कहा।
सेक्सी सीन परदे पर आ जा रहे थे।
“मजा आया ना !” भाभी ने फ़ुसफ़ुसाते हुए पूछा।
मैंने भी हाथ उसकी पीठ पर से सरकाते हुए उसके बोबे थाम लिये और हौले हौले से सहलाने लगा। उसके भरे हुए मांसल बोबे और निपल उत्तेजना से कड़े हो कर तन गये थे।
“तुम्हें भी मजा आया भाभी?”
“हां रे…बहुत मजा आ रहा है।” फिर मेरी ओर देख कर बोली- “अभी और मजा आयेगा, देख !” उसने मेरे लण्ड को जोर से दबा दिया।
“भाभी, हाय रे… !”
“खूब मजा आ रहा है ना ऐसे, तेरा लण्ड तो मस्त है रे !” एकाएक भाभी ने देसी भाषा का प्रयोग किया और उनका स्वर सेक्सी हो उठा।
“भाभी, चलो होटल चलते हैं, यहाँ कुछ ठीक नहीं है।” मैं अब भड़क उठा था।
“नहीं विजय, अभी बोबे और मसलो ना… !” उसकी फ़ुसफ़ुसाहट से लगा कि उसे बहुत ही मजा आ रहा था। पर मैं खड़ा हो गया, मुझे देख कर वो भी खड़ी हो गई। हम बाहर निकल आये और होटल आ गये। रास्ते भर भाभी कुछ नहीं बोली।
हम कमरे में आ गये और कपड़े बदल कर मैंने पजामा और बनियान पहन ली और भाभी भी मात्र पेटीकोट और ब्लाऊज पहन कर आ गई। मेरी एक दम से कुछ करने की हिम्मत नहीं हुई। पर भाभी तो वासना में झुलस रही थी। चुदने के इरादे से बोली,”विजय तुम्हे लौड़ी घोड़ी खेलना आता है?” उसने पूछा।
“नहीं तो, तुम्हें आता है?”
‘अरे हां, बहुत मजा आता है, खेलोगे?”
“कैसे खेलते है, कुछ बताओ !”
” देखो मैं तुम्हारी आंखो पर रुमाल बांध देती हूँ, फिर मैं जो कहूं तुम्हें मेरा वो अंग छूना है, अगर कोई दूसरा अंग छू लिया तो आऊट और सजा में तुम्हें घोड़ी बनाना होगा और तुम्हारी गाण्ड में अंगुली डालूंगी। अगर सही छुआ तो तुम्हारा लण्ड चूत में डालूंगी…तुम भी यही करना।”
मुझे सनसनी आने लगी। ये तो बढ़िया खेल है। मुझे तो दोनों तरफ़ से फ़ायदा है, वो हारी तो भी घोड़ी बनेगी और जीती तो चुदेगी। हां पर हारने पर मुझे घोड़ी बनना पड़ेगी। पर खेल मजेदार लगा, था चुदाई का सेक्सी खेल। भाभी तो हर हाल में चुदने को तैयार थी। ये तो जवानी का तकाजा था। भाभी बेशरम हो चली थी। उसने अपने कपड़े मेरे सामने ही उतार दिये। भाभी को नंगा देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया।
भाभी ने मेरा खड़ा लण्ड देख लिया। और बोली,”अपना पाजामा तो उतारो…और अपने लण्ड को तो आज़ाद करो, देखो कैसा जोर मार रहा है।”
मैं शरमा गया, पर वो नहीं शरमाई। मैंने कपड़े उतार दिये। मेरा लण्ड बाहर निकल कर फ़ुफ़कारने लगा।
मेरा लण्ड सहलाते हुए बोली,”अब बस नीचे वालों का ही काम है… चलो खेले, देखो खेलते हुए भटक मत जाना, कंट्रोल रखना !”
भाभी ने अब मेरी आँखों पर रूमाल बांध दिया …और कहा,”मेरे हाथ पकड़ो !”
मैं उसे ढूंढने लगा… भाभी तेज थी … मेरी तरफ़ गाण्ड करके बैठ गई। मैंने हाथ बढ़ाया और एक जगह अंगुली रखी…
“रख दी अंगुली।” मुझे लगा कि यह हाथ नहीं है…मैंने दूसरी जगह अंगुली रखी तो नाखून लगे।
“यही है।” और पट्टी खोल दी वो पांव की अंगुली थी। पर भाभी को नंगा देख कर मैं बेहाल होने लगा।
“अब बनो घोड़ी” मैं घोड़ी बन गया। भाभी ने अपनी एक अंगुली मेरी गाण्ड में घुसा दी और अन्दर बाहर करने लगी।
“मजा आया देवर जी।” भाभी का ये सब करना अच्छा लग रहा था।
“भाभी, ठीक है कर लो, मेरा नम्बर भी आयेगा !”
‘देवर जी, गाण्ड तो बड़ी मस्त है तुम्हारी” भाभी ने मेरी गाण्ड की तारीफ़ की।
मेरी गाण्ड को उसने थपथपाया और अपनी पूरी अंगुली घुसेड़ कर धीरे धीरे बाहर निकाल ली। अब मेरा नम्बर था।
मैंने भाभी की आंख में रूमाल बांध दिया और कहा,”मेरी छाती पर हाथ रखो !”
उसने बिना कुछ सोचे समझे जो सामने आया, पकड़ लिया। देखा तो मेरे पेट पर हाथ था।
“भाभी, घोड़ी बनो।” भाभी के तन की आग बढ़ती जा रही थी। वो तुरंत घोड़ी बन गई। मैंने उसकी गाण्ड सहलाई और अपना तना हुआ लण्ड गाण्ड के छेद में लगा कर अन्दर घुसा दिया।
“हाय, ये क्या, तुम्हें अंगुली घुसानी है…लण्ड नहीं।” पर तब तक लण्ड जड़ तक पहुंच चुका था। भाभी ने तुरन्त पलट कर लण्ड निकाल दिया। मेरा गीला लण्ड कड़कता हुआ बाहर आ गया। मैंने अब अपनी अंगुली भाभी की गाण्ड में घुसा दी।
“अब धीरे धीरे अन्दर बाहर करो” मैं उसकी गाण्ड में अंगुली करता रहा। वह सिसकी भरती रही।
“भाभी, प्लीज, यह लौड़ी घोड़ी रहने दो ना, मेरे लण्ड का तो कुछ ख्याल करो !”
“खेल के जो नियम है उसे तो मानना पड़ेगा ना, चलो अब मेरी बारी है, अपनी आंखे बन्द करो !” मैंने आंखे बन्द कर ली।
“मेरी चूंचियां पकड़ो…” इस बार मुझे थोड़ा सा दिख रहा था। मैंने सीधे ही भाभी की चूंचिया दबा दी
“नहीं ये तो बेईमानी है…” वो कहती रही।
“नियम तो नियम है” और मैंने उसे धक्का दे कर बिस्तर पर लेटा दिया और उस पर चढ़ गया। उबलता हुआ लण्ड मैंने उसकी चूत पर रख दिया। और अन्दर पेल दिया। भाभी पिघल उठी, उसने भी मदद करते हुये अपनी चूत उछाल दी और दोनों ही सिसकारी भरते हुए एक दूसरे से चिपक गये। लण्ड चूत में घुसता चला गया। भाभी ने अपने होंठ भींच लिये और जैसे उसे जन्नत मिल गई हो।
“देवर जी, इस खेल में चुदाई से पहले जितना तड़पोगे उतना ही मजा चुदाई में आता है, इसीलिये लौड़ी घोड़ी खेल खेलते है, और चुदाई के लिये तड़पते रहते रहते हैं।”
“हां भाभी, मेरा तो खेल खेल में माल ही निकलने वाला था।”
“तेरे भैया का तो कितनी ही बार निकल जाता था।”
उसकी वासना तेजी पर थी। वो जोर जोर से उछल कर लण्ड ले रही थी। मैं उसकी नरम चूत को जम के धक्के मार रहा था। जवान चूत थी, पानी भी बहुत छोड़ रही थी, जड़ तक लौड़ा ले रही थी। उसकी मांसल चूंचिया छोटी मगर बेहद कड़ी थी। मसलने में बड़ा आनन्द आ रहा था। कुछ ही देर में मेरा वीर्य निकल पड़ा। उसकी चूत भी अन्दर से लहरा रही थी, वो भी झड़ चुकी थी।
हम दोनों ने कुछ देर आराम किया फिर भाभी ने कहा,”देवर जी, हां तो आगे चले।”
“चलो खेलते हैं !” मैंने भी झट हां कर दी।
“यह दूसरा दौर है। पहले खेल में तुम जीते थे, अब मैं तो घोड़ी बनी रहूंगी… तुम मेरे शरीर के किसी भी अंग को चाट सकते हो, अपनी लौड़ी को, यानी लण्ड को किसी भी छेद में घुसा कर मजा ले सकते हो, चलो आंखें बंद करो !”
भाभी ने मेरी आंखे फिर रूमाल से बंद कर दी। अब वो बिस्तर पर झुक कर फिर से घोड़ी बन गई। मैंने जैसे ही अपना मुँह आगे बढ़ाया तो गाण्ड का स्पर्श हुआ। मैंने अपनी जीभ निकाली और जीभ उसके चूतड़ों पर फ़ेरने लगा। भाभी ने निशाना बांधा और गाण्ड का छेद सामने कर दिया। मेरी जीभ ने छेद पह्चान लिया और चाटने लगा और उसके छेद में भी जीभ डालने लगा।
जैसे ही जीभ बाहर निकाली मुझे बालों का स्पर्श लगा, मेरी जीभ अब उसकी चूत चाट रही थी।
मेरा लण्ड तन्ना रहा था। किसी भी छेद में घुस कर एक बार और अपना वीर्य निकालना चाह रहा था। मैंने अब रूमाल हटा लिया और उसे निहारा। उसके गोल गोल गोरे गोरे चूतड़ सामने उभरे हुए थे। भाभी मस्ती में अपनी आंखें बंद किये हुए थी। मैंने जल्दी से अपना लण्ड उसकी गाण्ड में घुसेड़ दिया।
भाभी बोल उठी,”देवर जी, लौड़ी घोड़ी… हाय रे…लौड़ी घोड़ी…गाण्ड चोद दो…हाय !”
भाभी ने मस्ती में गाण्ड ढीली छोड़ दी…और लण्ड गाण्ड की गहराइयों में उतरता चला गया। मुझे तेज मीठी मीठी सी लण्ड में मस्ती लगी। टाईट गाण्ड थी। पर उसे दर्द हो रहा था, फिर भी मजा ले रही थी। कुछ ही देर में उसने कराहते हुए कह ही दिया,” देवर जी, चूत की मस्ती दो ना…मेरा जी तो चूत चुदाने कर रहा है…देखो पानी भी छोड़ रही है !”
मैंने उसकी बात समझी कि ये तो सिर्फ़ मर्दो का सुख है…औरत का सुख तो चूत में है। मैंने लण्ड निकाला और … लौड़ी घोड़ी … कहा और चूत में लण्ड घुसा डाला। अब उसे असली मजा आया। और घोड़ी बने बने ही चूत चुदवाने लगी। इस पोजिशन में लण्ड पूरा अन्दर जा रहा था। मेरे पेड़ू तक चूत से चिपक कर चोद रहा था।
चुदाई तेज हो उठी। भाभी अपने मुँह से सिसकारियोँ के साथ मां बहन, भोसड़ी, कुत्ते जैसे गालियाँ निकालने लगी। मुझे लगा कि अब वो चरमसीमा पर आकर झड़ने वाली है। और मेरा अनुमान सही निकला…
हम दोनों ही एक साथ झड़ने लगे। चूत में दोनों माल भरने लगा और माल आपस में एक हो गया। मैंने उसकी चूत से गिरते हुए माल को हाथ में लिया और चखा…फ़ीका फ़ीका सा, लसलसा सा, मुझे मजा नहीं आया। पर भाभी ने देखा तो मेरा हाथ पूरा चाट गई और चूत से माल हाथ में ले लेकर चाटने लगी।
“खबरदार, जो मेरे माल को हाथ लगाया … लौड़ी घोड़ी में सारा माल मेरा होता है।
अब तीसरा दौर… आप घोड़ी बनेगे और मैं आपकी लौड़ी यानी लण्ड नीचे से चूस चूस कर तुम्हारा शहद निकालूंगी, तुम घोड़ी की पोजिशन में चाहे मेरी चूत चाटो या कुछ भी करो।”
पर दो चुदाई करने के बाद मैं थक गया था। मैंने जैसे कुछ सुना ही नहीं और पलंग पर लेट गया। वो मुझे झकझोरती रही पर मेरी आंखे नींद में डूबती चली गई। सवेरे जब उठे तो भाभी मेरे से चिपकी हुई नंगी ही सो रही थी।
मुझे भाभी ने लौड़ी घोड़ी का खेल अच्छी तरह से सिखा दिया। कोई भी, चाहे लड़का हो या लड़की यह खेल फ़्री में खेल सकता है। मजे की गारण्टी है।

बुधवार, 13 जनवरी 2016

भाभी की शरारत, देवर को फंसाया… चुदाया


हैलो, मैं सुरेश। मेरी उम्र २० वर्ष है। आपके लिये मै एक ऐसे स्टोरी लेकर आया हूँ जिसे पढकर आपका मन चोदने और चुदवाने का करने लगेगा।
मेरे घर में चार भाई है और मेरे पिताजी है माँ का देहांत तब ही हो गया था जब मेरी उम्र ९ साल की थी। मेरे दो भाई मुंबई में सॉफ्टवेर इन्जिनेअर है जबकि सबसे बड़ा भाई हमारे साथ ही जालंधर में रहता है। मेरे भाई की शादी हुई तो मैं बड़ा खुश हुआ कि जो माँ का प्यार माँ से नहीं मिला वह भाभी से मिल जायेगा। शादी के बाद भाभी हमारे साथ ही रहने लगी हम गाँव के सबसे बड़े परिवार से ह। पिताजी का धयान रखने के लिए नौकर तो था पर नौकर और घर के सदस्य में रात दिन का अंतर था। भाभी भी मुझसे मजाक किया करती।
एक दिन की बात है मैं बाथरूम में नहाने जा रहा था तो मेने भाभी से मेरी अंडरवियर और बनियान मांगी। भाभी बोली कि देवर जी आप नहाना तो शुरू करो मैं ढूँढकर लाती हूँ मैंने कहा ठीक है जब मैं नहा लिया और मैं केवल एक पतला सा टॉवेल लपेटकर खडा था तभी भाभी आई और बोली कि लो अपने अंडरवियर लो यह कहकर वो दरवाजे के बहार खड़ी होकर दूर से अपना हाथ दिखा रही मेने भाभी से अंडरवियर लेने के लिए जैसे ही दरवाजा खोला भाभी ने दरवाजे में जोर से धक्का दिया और मेरे बाथरूम में घुस आई और मेरी कमर पर गुदगुदी करने लगी।
इस मजाक में वह हो ही गया जिसका मुझे डर था मेरा टॉवेल खुल गया और भाभी के हाथ में मेरा लिंग आ गया इसी बीच मैं शर्म के मारे बाथरूम से नंगा बाहर निकल कर भाग गया क्यूंकि उस समय घर पर मेरे और भाभी के अलावा कोई नहीं था इस बात पर मैं भाभी से इतना नाराज़ हुआ कि पूरा दिन बोला नहीं। पर शाम को वह मुझसे बोली कि सुरेश तुम मुझसे नाराज़ हो क्या तो मेने अपनी नाराजगी तोड़ते हुए न कहा दिया। अगले दिन जब मैं पढ़ाई कर रहा था तभी भाभी मुझसे बोली कि सुरेश मैं नहाने जा रही हूँ तुम कल की बात का बदला लेने की कोशिश मत करना, तो मैं बोला नहीं भाभी मैं तो उस बात को कबका भूल चूका हूँ।
तभी नहाते हुए भाभी बोली कि सुरेश मुझे एक साबुन लाकर दो मेरा साबुन खत्म हो गया है मैं बोला अभी तो मैं दुकान जाकर साबुन नहीं ला सकता। भाभी बोली कि दुकान से लाने को थोड़े ही कह रही हूँ, मेरे ड्रोर में रखा वहीं से ला दो। जैसे मैं साबुन लेकर आया तो भाभी दरवाजे में से मुह निकालकर झांक रही थी तो जैसे ही मैंने जैसे ही हाथ बढाया तो भाभी ने साबुन लेने के बहाने मेरा हाथ पकड़ कर खींच लिया और मैं बाथरूम में गिरने लगा तो भाभी ने हाथ पकड़कर मुझे संभाला तभी मेरा हाथ उनकी चूत पर पड़ गया। मैंने देखा कि भाभी बिलकुल नंगी खड़ी थी और उनके बूब्स बहुत बड़े थे और उनके निप्पल गुलाबी रंग के थे और उनकी चूत पर बहुत बड़े बाल थे और उन बालो के कारण चूत भी ठीक से नहीं दिख रही थी।
तभी मुझे अपन पेंट में कुछ रेंगने का अनुभव हुआ मैंने देखा जब तक तो भाभी मेरे पूरे कपडे (पेंट, अंडरवियर) दोनों उतार चुकी थी्। मैं भाभी के सामने बिलकुल निवस्त्र खडा था और भाभी मेरे लंड को बड़े मजे से चूस रही थी तभी भाभी ने नीचे लेट कर पोसिशन ६९ में आ गयी और अब वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं उनकी न चाह कर भी उनकी बालो वाली चूत चाट रहा था थोडी देर बाद वह उठी और मुझसे अपना ७’ लंबा लंड मेरी चूत में डालने को कहने लगी
मैंने जैसे ही अपना लंड भाभी की चूत पर रख कर जोर से धक्का दिया वह भाभी की चूत में न जाकर वहां से फिसलकर पीछे की और सरक गया फिर भाभी बोली जानू ऐसे नहीं और फिर वह साबुन उठाकर अपने हाथ पर लगाकर मेरे लंड पर रगड़ने लगी फिर उसके बाद उन्होंने उतना ही साबुन अपनी चूत पर लगा दिया और फिर बोलीं कि जान अब धक्का दो जैसे ही मैंने जोर से एक धक्का दिया वह चिल्ला पड़ी आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ईईइह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह फिर मैंने एक और झटका देकर पूरा लंड भाभी की चूत में समां दिया और अब उनका और मेरा शरीर आपस में रगड़ने लगे उस दिन भाभी ने मुझे जिन्दगी मैं पहली बार सेक्स करना सिखाया
लेकिन उस सेक्स के बाद मुझे उस गलती पर बड़ा पछतावा हुआ और मैंने भाभी के कितना भी उकसाने पर ये गलती न दोहराने का संकल्प लिया। एक दिन जब मैं बाज़ार सामान लेने गया तो मुझे रास्ते जाकर ध्यान आया कि मैं पैसे लाना तो भूल गया हूँ। जैसे ही मैं घर पैसे लेने वापस आया तो देखा कि भाभी एक नौकर के साथ चिपकी हुई थी मुझे देख कर वह दूर हट गयी और फिर नौकर मुझे देख कर चला गया तभी मैंने भाभी से पूंछा तो वह कहने लगी कि तुम्हारे भैया तो बस काम के कारण बाहर ही रहते है उन्हें तो मुझे संतुष्ट करने का तो उन्हें कोई ख्याल नहीं रहता और तुम भी मेरे साथ एक बार सेक्स करके ही रह गए अब तुम ही बताओ ऐसे में मैं क्या करूं
वह बोली तुम्हे तो मेरे साथ …….. ऐतराज़ है मै बोला ऐतराज नहीं है मैं इस काम को पाप समझता हूँ वह बोली कि तुम मुझे इस तरह खु्श करो कि तुमसे पाप भी न हो और मुझे मजा भी आ जाये। मैं बोला क्या सच में ऐसा हो सकता हैं वह बोली कि हाँ क्यूँ नहीं तो मैंने कह दिया ठीक है वो मुझे कमरे मैं ले गयी और मेरे होठ चूमने लगी तो मैंने मना किया तो वह बोली कि मैं तुमसे तुम्हारा लंड अपनी चूत में डालने को तो नहीं कह रही हूँ फ़िर उन्होंने मेरे पूरे कपडे उतार दिए फिर अपने कपडे भी उतार कर बैठ गयी और मेरा लंड जोर जोर से चूसने लगी तभी मेरी नज़र उनकी चूत पर गयी आज वह बड़ी सुंदर और चिकनी दिख रही थी अब मुझसे नहीं रहा गया और मैं अपना संकल्प भूलकर पोसिशन ६९ में आकर भाभी की चूत चाटने लगा।
फिर भाभी ने मुझे उठाकर मेरा मुंह अपने बूब्स पर रख दिया फिर मैंने दोनों स्तनों से नीचोड़ नीचोड़ कर स्तनपान किया और कुछ देर बाद भाभी की दोनों टांगें विपरीत दिशा में करके उनकी चूत पर लंड फेरने लगा भाभी के मुह से आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऊऊऊउह्ह्ह्ह्ह ईईईह्ह्ह्ह्ह्ह निकल पड़ा तभी मैंने भाभी की चूत पर एक जोर से झटका मारा तो भाभी और तेज़ और तेज़ कह कर मेरा साथ देने लगी मेरा जोश यह सुनकर दुगना हो गया फिर भाभी और मैं एक साथ स्खलित हो गए उस दिन मुझे पहली बार से भी ज्यादा आनंद आया अब भाभी और मैं जब भी हमें मौका मिलता है तब यह खेल खेलते है

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