बुधवार, 20 मार्च 2013

हिंदी सेक्स कहानियां पढ़ लैपटा बहन को

दोस्तों आज मैं आपको सच्ची दास्ताँ सुनाने जा रहा हूँ और मुझे उम्मीद है इसमें आपको सेक्स का भरपूर मज़ा आएगा | दोस्तों मैं करीब एक साल से २१ साल की उम्र में आया और पुरे तन बदन में जवानी का जोश सा आ गया | सेक्स करने की तमन्ना हर किसी लड़की को देख करने लगी | अब मैंने इन्टरनेट पर हिंदी सेक्स कहानियां भी पढ़ना चालू कर दिया था जिसे अब मेरे दिल को किसी हद्द तक ठंडक मिलने लगी और मैं रोज हिंदी सेक्स कहानियां  पढते हुए अपने लंड को मसला करता था | अब च्यूंकि मेरी कोई सहेली नहीं थी इसीलिए मैं हमेशा भाई और बहन की सेक्स कहानियाँ पढ़ने लगा और धीरे धेरे मेरे अंदर भी अपनी बहन के सतह सेक्स करने की तमन्ना बनने लगी | मैं भी अब अपनी बहन को बुरी नज़र से देखने लगा और सोचा की जब गहर में मेरी तन को राहत मिल सकती है तो बहार किसलिए जाना |
दोस्तों अब मैंने अपनी बहन के साथ ही सोता था और जब भी नींद में होती थी उसके चुचों पर हौले हौले हाथों को फेरा करता तह और दुसरी तरफ से अपने लंड को मालसला करता था | मैं रोज रात को इसी तरह अपनी बहन के तन बदन कभी चुचे तो कभी पेट तो कभी गांड को छूता हुआ मज़े लुटा करता था | एक दिन जब मैं जोश में आकार अपनी बहन के ह्चुचों को नींद में दबाने लगा तो अचानक उठी और कहने लगी, भाई जोर से और जोर से . . !! आज तो मुझसे भी नैन श जरा बहई थोडा जोर से . .!! पहले तो मैं शान्त रह गया और तब मुझे समझ आया सारा मान्झ्रा की मेरी बहन भी मज़े लुटा करती थी और ढोंग करती थी सोने का |
अब हमारे बीच कुछ कहने सुनने की रह ही नहीं गयी थी और मैं अपनी बन के उप्पर चढ़ उसके चुचों को भींचता हुआ कस कसके दबाने लगा | मेरी बहन भी आहाह्ह अहहह और जोर से और जोर से. .. कहकर सीत्कारें भर रही थी | मैं अब उसके होठों को भी चूसने लगा | हम दोनों ने बिना कुछ कहे वहीँ अपने सारे कपडे उतार दिया और अब मेरी बहन बिलकुल नंगी लेटी हुई थी | मैं उसकी चुत के बीच अपनी उँगलियों को जोर देते अपनी उंगलियां उसकी चुत मिएँ फिरस रहा था | वो कहने लगी भाई अब चोद भी दो . . अपनी बहन को यूँ न तर्सायो. . !! मैंने उसकी चुत में अपने लंड को निकाल दिया और कुछ देर चुत के दाने पर मसल अंदर चुत में फिसला दिया | मैंने अपनी बहन को जकड़ते हुए नीचे से अपने लंड के झटके दिए जा रहा था और वो भी वांस अमिएं सिंहर रही थी |
मैंने बिलकुल हिंदी सेक्स कहानियां में जिस तरह पढ़ा था उसी तरह से उसकी चुत में लंड के बेचुक धक्के दे रहा था और देखा की मेरी बहन का कुंवारापन उसकी चुत से बहते हुए खून में बह गया था | मैं अब भी उसकी चुत में दनादन धक्के पेल रहा था और वो मुस्काती हुई रो रही थी | उसे कहीं दर्द भी हो रहा था चुदाई का मज़ा भी आ रहा था | मैंने इसी तरह अपनी बहन की कडाई करता हुआ वहीँ पूरी रात चोदता रहा और सुबह तक थक हराकर झड ही गया | उस दिन से लेकर अभी तक मैं रोज अपनी बहन के साथ चुदाई का वासनिक खेल रोज रात को खेलता हूँ |
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