हाई दोस्तों,
इस कहानी मैं अपनी बीवी की यानी सुशीला की चुदाई का विवरन कर रहा हूँ और साथ ही उम्मीद भी करूँगा की आपको बहुत आये | दोस्तों यूँ तो मैं अपनी बीवी की कई बार चुदाई कर चूका था पर मुझे कुछ हसीन लगी चुदयिओं में से एक आपको सुन रहा हूँ | हुआ यूँ था मैं काफी समय बाद अब अपने घर सुशीला के पास लौट रहा था और घर तक पहुँचते – पहुँचते मैं उसकी बदन की आग में झुलसने को गंदे तरीके से तडप चूका था | मैंने पहुचते ही बिना पानी पिए पहले सुशीला को अपनी अपनी गौड़ में उठा लिया और पानी की जगह उसके होठों के रस को पिया जिसे मेरी आधी प्यास तो ऐसे ही बुझ गयी जिसपर वो मस्त में मुस्कुराने लगी |
मैं तभी सुशीला को अपनी गौद में उतःके अंदर बिस्तर पर ले गया और उसकी सदी और ब्लाउस को उतार उसके गोरे – गोरे चुचों के साथ खेलता हुआ उसके चूचकों को अपने दाँतों तले मसलने लगा | कुछ देर बाद मैंने उसके पेटीकोट को भी उतार दिया और उसकी पैंटी के बाजू से उसकी चुत में अपनी उँगलियाँ घुसाने लगा जिससे तड़पने लगी | मुझे अपनी बीवी की वही पुरानी चुत के स्पर्श से बड़ी गुदगुदी उठी से उत्तेजित होता चला गया | मुझसे रहा ना गया और मैं अब मैंने लंड को उसकी चुत के द्वार पर टिकते हुए रगडने लगा और जैसे ही उसकी हल्की सिस्कारियों मेरे हौंसला बढ़ाया तो मैंने अपने लंड के सुपाडे उसकी चुत के सही बीच धंसाते हुए धक्का दे दिया | मेरे लंड को टोप्पा अब अंदर जाते ही ग्रष्ण पैदा कर रहा था जिससे सुशीला की बेचैनी और बढ़ सी जा रही थी पर मैं धीरे – धीरे गति चालू हुई उसने अब सुशीला को हिला दिया | सुशीला अब मेरे अत्रंगी झटकों से बिदकने लगी पर मैं इतनी आसानी से उसे कैसे छोड़ने वाला था | मैंने तभी अब अपने लने को उस्किगांड की तरफ से देने लगा और उससे अपनी बाहों में जकड लिया |
इतने दिनों बाद की हुई चुदाई से सुशीला को दर्द भी काफी हो रहा था जोकि मुझे उतना ज्यादा ही मज़ा दे रहा था | कुछ देर बाद ही सुशिल झात्प्ताने लगी और मेरा लंड लेके चूसने लगी |अब वो बिस्तर से उतरा के जाने लगी की मैंने उसे फिर से पकड़ लिया और पीछे उसी गांड को नीचे झुकर चाटने लगा जिससे हम मज़े में बिलकुल तर्र हो चुके थे | अब मैंने फिर खड़े होकर सुहिला की गर्दन को चुमते हुए उसकी गांड को चाटते हुए चुत में लंड देना शुर कर दिया | शुशीला ने भी मज़े में आकार अपनी गांड को उठा लिया और उत्तेजित होकर खुद भी अपनी मटके जैसे गांड को मेरे लंड पर फिसलने के लिए चोदने लगी | मैंने भी बस अपनि सारी बाधास को उतारते हुए सुशीला की गांड को लगभग २० मिनट वैसे ही खड़े – खड़े चोदा और आखिर अपना सार वीर्य उसकी चुत में छोड़ दिया | उस दिन मुझे बहुत संतुष्टि मिली और उसी चुदाई का नतीजा मुझे ९ महीने बाद मेरे बेटे के रूप में भी मिला |
इस कहानी मैं अपनी बीवी की यानी सुशीला की चुदाई का विवरन कर रहा हूँ और साथ ही उम्मीद भी करूँगा की आपको बहुत आये | दोस्तों यूँ तो मैं अपनी बीवी की कई बार चुदाई कर चूका था पर मुझे कुछ हसीन लगी चुदयिओं में से एक आपको सुन रहा हूँ | हुआ यूँ था मैं काफी समय बाद अब अपने घर सुशीला के पास लौट रहा था और घर तक पहुँचते – पहुँचते मैं उसकी बदन की आग में झुलसने को गंदे तरीके से तडप चूका था | मैंने पहुचते ही बिना पानी पिए पहले सुशीला को अपनी अपनी गौड़ में उठा लिया और पानी की जगह उसके होठों के रस को पिया जिसे मेरी आधी प्यास तो ऐसे ही बुझ गयी जिसपर वो मस्त में मुस्कुराने लगी |
मैं तभी सुशीला को अपनी गौद में उतःके अंदर बिस्तर पर ले गया और उसकी सदी और ब्लाउस को उतार उसके गोरे – गोरे चुचों के साथ खेलता हुआ उसके चूचकों को अपने दाँतों तले मसलने लगा | कुछ देर बाद मैंने उसके पेटीकोट को भी उतार दिया और उसकी पैंटी के बाजू से उसकी चुत में अपनी उँगलियाँ घुसाने लगा जिससे तड़पने लगी | मुझे अपनी बीवी की वही पुरानी चुत के स्पर्श से बड़ी गुदगुदी उठी से उत्तेजित होता चला गया | मुझसे रहा ना गया और मैं अब मैंने लंड को उसकी चुत के द्वार पर टिकते हुए रगडने लगा और जैसे ही उसकी हल्की सिस्कारियों मेरे हौंसला बढ़ाया तो मैंने अपने लंड के सुपाडे उसकी चुत के सही बीच धंसाते हुए धक्का दे दिया | मेरे लंड को टोप्पा अब अंदर जाते ही ग्रष्ण पैदा कर रहा था जिससे सुशीला की बेचैनी और बढ़ सी जा रही थी पर मैं धीरे – धीरे गति चालू हुई उसने अब सुशीला को हिला दिया | सुशीला अब मेरे अत्रंगी झटकों से बिदकने लगी पर मैं इतनी आसानी से उसे कैसे छोड़ने वाला था | मैंने तभी अब अपने लने को उस्किगांड की तरफ से देने लगा और उससे अपनी बाहों में जकड लिया |
इतने दिनों बाद की हुई चुदाई से सुशीला को दर्द भी काफी हो रहा था जोकि मुझे उतना ज्यादा ही मज़ा दे रहा था | कुछ देर बाद ही सुशिल झात्प्ताने लगी और मेरा लंड लेके चूसने लगी |अब वो बिस्तर से उतरा के जाने लगी की मैंने उसे फिर से पकड़ लिया और पीछे उसी गांड को नीचे झुकर चाटने लगा जिससे हम मज़े में बिलकुल तर्र हो चुके थे | अब मैंने फिर खड़े होकर सुहिला की गर्दन को चुमते हुए उसकी गांड को चाटते हुए चुत में लंड देना शुर कर दिया | शुशीला ने भी मज़े में आकार अपनी गांड को उठा लिया और उत्तेजित होकर खुद भी अपनी मटके जैसे गांड को मेरे लंड पर फिसलने के लिए चोदने लगी | मैंने भी बस अपनि सारी बाधास को उतारते हुए सुशीला की गांड को लगभग २० मिनट वैसे ही खड़े – खड़े चोदा और आखिर अपना सार वीर्य उसकी चुत में छोड़ दिया | उस दिन मुझे बहुत संतुष्टि मिली और उसी चुदाई का नतीजा मुझे ९ महीने बाद मेरे बेटे के रूप में भी मिला |
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