बुधवार, 3 फ़रवरी 2016

एक निशाने पर फँस गयी चुत


हाई यारों, मैं अपने कुछ मन्होहक यादों में से एक आपके सामने रखना चाहता हूँ जिसमें मैंने अंजलि की मस्तानी चुत मरी | मैं अकसर अपने महोल्ले में बदनाम रहता था पर हर नयी लड़की को मैं तो एक सुधरा हुआ नौजवान लगता था | इसी कारण मैं अपने कॉलोनी में हर नयी लड़की को पटाने के लिए पर एक कोशिस तो ज़रूर करता था क्यूंकि पटी तो फ़ोकट की चुत पर नहीं मिली तो. . अजी पूछने में क्या जाता है . . ! ! इसी हादसे में मैंने एक अंजलि नाम की लड़की पर भी उसे पसंद करने और उससे दोस्ती करने की बात की तो उसकी बदकिस्मती कहो की उसने मुझे हामी भी भर दी | अब वो मेरी प्रेमिका हो चुकी थी | मैंने उसे दुनिया की रासलीला दिखाने के लिए कई बार अपने बाईक पर भी घुमाया और कुछ पैसे भी उडाये |अब लेकिन उसकी चुत की बारी आ ही गयी, वैसे तो वो अपने को बहुत होशियार समझती थी पर मेरे सामने उसकी कुछ ना चली | मैंने एक दिन अपने दोस्त का घर २ घंटे के लिए खाली करवाया और १ कंडोम तकिये के नीचे छिपा दिया | मैं उस अंजलि को बाहर घुमाने के बहाने ले आया पर किसी वजह से बहाना मार उसे अपने दोस्त के घर में कुछ देर रुकने के लिए कहा | मैं वहाँ अंजलि से रोमांटिक बातें करता हुआ अपना सिर उसकी गौद में रखकर लेट गया | अब मैं उसकी गौद में लेटे – लेटे उसकी बाहों को सहलाने लगा जिससे वो गरम होने लगी | मैं उसके कंधे तक पहुँचते हुए अब उसके चुचे की ओर बढा तो वो एक दम से झटपटा गयी जिससे मैंने उसे हौले – हौले संभाला |कुछ देर बाद मैं अब अंजलि की कमीज़ को खोलते हुए उसके चुचों को बाहर निकाल लिया और उन्हें बारी – बारी चूसने लगा | उसके चुचे किसी आम के पेड़ पर लटकते हुए नज़र आ रहे थे जिन्हें मैं चूसता हुआ उसके निप्पल से साथ इतरा रहा था | मैंने अब अंजलि को वहीँ लिटा दिया और उसे गन्दी तरह से चूमने लगा जिससे उसके स्तनों और होठों को लाल कर दिया | अब मैं धीरे – धीरे अपने हाथ को उसकी कमर के नीचे लेजाते हुए सहलाने लगा और कुछ ही देर में मैं उसकी पैंट को खोल दिया | मेरा हाथ अब उसकी पैंटी के उप्पर नाच रहा था | मैंने उसकी पैंटी को भी हटा दिया और उसे एकदम नंगी कर दिया और अपनी कनकी ऊँगली को उसमें धंसाने लगा | मैं उससे अपनी ऊँगली आगे – पीछे करते वक्त जब पूछने लगा की कैसा लग रहा था तो उसने कहा,अंजलि – जान . . बहुत मज़ा आ रहा है . . ! !अब मुझे कुछ गवारा नहीं हुआ और मैंने उसे वहीँ बिस्तर पर लिटाकर अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा और तभी तकिये के नीचे रखे कंडोम को अपने लंड पर चढाते हुए अपने सुपाडे को उसकी रसीली चूत के द्वार पर रख कर जोरदार धक्के लगाने लगा | जिससे अंजलि की चुत के टांकें खुल गए और खून निकलते हुए अंजलि जोर – जोर से दर्द के मारे रोने लगी | मैंने काफ़ी देर अंजलि को पुचकारने में गुज़ार दिया और सामने रखे जूस को उसे पीलाया | अब हमारे पास सिर्फ आधा घंटा ही बचा था जिसे मैं बर्बाद ना करते हुए तेज़ी से अपना लंड अन्दर – बाहर करने लगा और वो भी सारे दर्द को भुलाकर अपनी गांड को मटकाकर चुदने के लिए तैयार हो गयी | हमने वो आधे के घंटे खूब अतरंगी ढंग से बिताए | मैंने आखिर में उसकी एक तंग को अपने हाथ से उठाते हुए मस्त वाले भारी – भारी झटके दिए और एक दम से उसकी चुत से पिचकारी निकली जिससे वो अपनी चुत पर ऊँगली रगड़ने लगी |मेरा भी सारा मुठ निकल पड़ा जिसे मैंने कोंडम में कैद कर फेंक दिया | हमने आखिर के ५ मिनट एक दूसरे को कपड़े पहनाने और चुम्मा – चाटी करने में गुज़ारे | मुझे अंजलि से जो चाहिए था वो पूरी संतुष्ठी के साथ मिल चूका था | बस इस तरह वक्त गुजरते – गुज़रते मेरे सारे दोस्तों ने उसे ऐसे ही पटाकर चोदा और कई बार तो उसके साथ ग्रुप – सेक्स भी किया |

मंगलवार, 26 जनवरी 2016

टीचर ने मुझे शिकाया कुछ अलग


नमस्कार दोस्तों,
आज मैं आपको अपनी टीचर के साथ किये काम – क्रीडा के बारे में खुलकर बता रहा हूँ और आप इसके खूब मज़े लेना जितने की मैंने अपनी टीचर की चुदाई करते वक्त लिए थे | मेरी टीचर अक्सर ही मेरे साथ पूरी तरह से खुली हुई थी और मुझसे क्लास खतम होने के बाद भी खूब बातें किया करती थीं | मैंने भी उनके मन के खूब करीब आने के ल्लिये उन्हें अपने जीवन की हरा छोटी से छोटी बात को बताए रखा था | वो अक्सर ही जाने से पहले मेरी पीठ को सहलाया करती थी जिसपर मुझे बहुत ही सुकून मिला करता था | एक दिन मैंने टीचर को एक सवाल को समझाने के लिए कहा जिसपर टीचर ने शाम को मुझे अपने घर पर ही बुला लिया |
मैं भी शाम को अपनी टीचर के घर पर चल पड़ा और सोचा की वहाँ जाकर उनपर खूब मस्का मारूंगा जिसपर आज मुझे फिर अपनी पीठ को उनके नरम हाथों से सहलाने का मौका मिलेगा पर किस्मत मेरी इतनी अच्छी चमकी मुझे उनकी चर्बी वाली चुत को भी मारने का मौका मिला | वहाँ पहुंचा तो टीचर अपनी नाइटी में बैठी हुए मुझे समझाने लगी रो अचानक पढ़ाते हुए मेरी जाँघों पर हाथ फिराते हुए कहने लगी की “ क्यूँ ना आज मैं तुम्हे कुछ खास सिखायुं. . ?? ” जिसपर मैंने आज कुछ खास सिखने की आशंका जाते हुए हामी भी भर दी | अब वो कुछ ही पर में अपनी नाइटी को उतार मुझे कहने लगी कभी इतने बड़े चुचों को देखा है तुमने . . और मैंने भी अपनी आँख फाड़ कर उनके चुचों से चिपक गया और फटाफट उनके होठों को चूसते हुए चुचों को भींचने लगा |
मैंने अब कुछ ही देर में उन्हें चुमते हुए अपने आप को भी नागा कर दिया उनके मोटे – मोटे गोरे चुचों को चूस रहा था | मैंने अपनी टीचर को वहीँ लिटा दिया और उनके उप्पर लेटकर चुचों को पिने लगा साथ ही अपने लंड की सख्ती से उनकी चुत के उप्पर रगड़ने लगा | मैंने अपनी टीचर की चुत की फांकों के बीच अपने मुंह को रख लिया और अपनी जीभ के दबाव डालते हुए और कसकर अंदर की ओर बढाने लगा | कुछ ही देर में मैंने उनकी चुत में अपनी उँगलियों को अंदर – बाहर करना शुरू कर दिया और जब उनकी चुत पूरी गीली हो गई तो मैंने उनकी टांगों के बीच में अपने लंड को घुसाते हुए उनकी चुत में घुसा डाला | मेरे धक्कों के साथ ही मेरा लंड टीचर की चुत में पूरा का पूरा जाने लगा और अब गाजा के तीव्र धक्कों के साथ चोदने लगा |
मैंने उन्हें चड हुए उनकी इक्षा को पूरा कर रहा था जिसपर वो भी अब अपनी चुत में ऊँगली डाल रही थी | इसी तरह अब मैं उनकी चुत में अपने लंड और साथ ही उनकी दो उँगलियों के साथ चोदे जा रहा था और करीब आधे घंटे बाद मैं अपनी चरम सीमा पर पंहुच गया | अब मैंने अपने मुठ की पिचकारी उनकी चुत के अंदर ही छोड़ दी और उप्पर से उनके स्तनों को पीते हुए उन्ही अपनी हवस के दर्शन कराने लगा | मेरी टीचर भी संतुष्ठी में आते हुए अब मेरे लंड को चुसे जा रही थी और कुछ देर मेरी उँगलियों को चुत में करती हुई अपने चुत के रस को भी छोड़ दिया |

मधूलिका और दिव्या की जवानी


प्रिय पाठकों.. इस वेबसाइट पर ये मेरी पहली कहानी है,, आशा है आप सभी इसे पसंद करेंगे. बात उन दिनों की है जब मैं क्लास १२ में पढ़ा करता था. क्लास का सबसे तेज़ स्टुडेंट होने के नाते क्लास की साड़ी लडकियाँ मेरे आगे पीछे घूमा करती थीं. लेकिन स्कूल के माहौल की वजह से वहाँ मुझे कभी किसी लड़की  के साथ कुछ करने का मौका नहीं मिला  था. इस बात की मुझे थोड़ी तकलीफ होती थी लेकिन फिर भी मैं वहां पे सेक्स का स्वाद  चखने की ताक में रहता था. स्कूल के सभी टीचर्स मुझे जानते थे और एक बहुत ही शरीफ  बच्चा मानते थे..मेरे क्लास में सारी लडकियां ही बहुत माल थीं लेकिन उनमे से एक लड़की जिसका नाम मधूलिका था,उसकी जवानी मुझे बहुत ही नशीली लगती थी,, उसके गोरे गोरे गाल, लाल लाल होंठ और आम के जैसी चूचियां  देखकर मेरा क्या, किसी साधू का लंड भी हिलोरें लेने लगता. मैं तो उसे देखते ही उसके साथ सम्भोग करने की कल्पना करने लगता था और ऊपर वाले से ये कहता था की “एक बार दिला दे भगवान्…”अप्रैल का महीना था और स्कूल का एनुअल फंक्शन होने वाला था.  क्लास टीचर ने अपने क्लास के लिए मुझे और एक दिव्या नाम की लड़की, जो देखने में ठीक ठाक ही थी, को प्रोग्राम की तैयारी करवाने का काम सौंपा. लेकिन इस बीच भी मेरा मन मधूलिका की रसीली जवानी के बारे में ही सोच रहा था.. मैंने ज़बरदस्ती दिव्या से कह कर उस्सका नाम सबसे पहले प्रोग्राम में लिखवा दिया. वो भी प्रोग्राम के लिए मान गयी. रोज़ रोज़ हम लोग प्रैक्टिस करते लेकिन मौके पे चौका लगाने का मौका नहीं मिल पा रहा था…फ़ाइनल  प्रोग्राम के  दिन पहले जब सारे टीचर्स  प्रोग्राम को देख रहे थे तब मैंने हिम्मत जुटाई और सोच लिया की अगर आज मैंने कुछ नही किया तो आज के  बाद कुछ नही हो पायेगा क्यूँ की छुट्टियां होने वाली थीं. मैंने दिव्या से कह कर उस्सका प्रोग्राम अनाउंस  करने की बात कही .मधूलिका उस दिन तो कहर ढा रही थी… लाल लहंगे चोली में चोली से झांकते हुए उसके दो स्तन बहुत ही उत्तेजक लग रहे थे. मैं जल्द से जल्द उसका  प्रोग्राम ख़त्म होने की ताक में था, जैसे ही उसका प्रोग्राम खत्म हुआ वो स्टेज  के पीछे वाले kamre  में, जो कि चेंजिंग  रूम था,चली गयी.. यही मौक़ा था. मैं  दिव्या को ढूँढने के बहाने से वहां पहुंचा और सीधा चेंजिंग रूम में घुस गया वहाँ दिव्या तो थी नहीं लेकिन मधूलिका वहीं पे अपने कपडे बदल रही थी ,मैंने अनजान बनते हुए दिव्या को ढूँढने का बहाना किया और मधूलिका के और पास चला गया ,,यह मेरा सेक्स का पहला अनुभव था इस लिए मेरे लंड में लहरें उठने लगीं.. वो उस टाइम अपना लहंगा बदल रही थी,, मुझे देख वो खडी हो गयी और अनजाने में लहंगा उसके हाथ से छूट  गया. फिर क्या था, मेरे सामने दो नंगी गोरी गोरी जांघें थीं और उन जाँघों के बीच में उसकी वो पारदर्शी पैंटी दिख रही थी.. उसकी गोरी चूत उसकी पैंटी में से साफ़ झलक रही थी..मैंने झपट के उसे अपनी बाहों में भर लिया.. वो थोडा कसमसाई और बोली-” क्या कर रहे हो..?? कोई आ जायेगा.. ” मैंने कहा- “आज कोई भी आ जाए पर आज तुम्हें ऐसे ही जाने नहीं दूंगा जान!!!”  ये सुनकर वो कुछ नहीं बोली और मुस्कुरा दी.. मैंने उसकी ब्रा और पैंटी उतार दी  और उसकी चूचियों को अपने हाथ में लेकर खूब रगडा और चूसने लगा. … वो भी गरम होने लगी और सिसकियाँ लेने लगी.. आज मेरी मन की मुराद पूरी हो रही थी इसलिए  मैं कुछ भी करने को तैयार था.. मैंने धीरे धीरे उसकी जवान चूत को चाटा और चुदने के लिए तैयार किया. वो और गरम हो गयी और आहें  भरने लगी. मैंने  उसे वहीँ लिटाया और उसकी कुंवारी  चूत में अपना लंड घुसाने लगा,, लेकिन सील  टूटी न होने कि वजह से वो बाहर ही रह गया… तब मैंने थोड़ा तेल अपने लंड पे लगा कर तेजी से उसकी चूत पे धक्का दिया,, बस फिर क्या था,, वो चिल्ला उठी ,, फट जायेगी,,,बहुत दर्द हो रहा है…लेकिन मैंने उसकी एक ना सुनी और धक्के लगाता रहा..थोडा खून भी निकला लेकिन  फिर वो भी एन्जॉय करने लगी इस तरह मैंने उसे तकरीबन १५ मिनट तक चोदता रहा.. मुझे पता था कि पहली बार के सेक्स में कोई ज्यादा देर तक नहीं टिक पाता इसलिए मैं पहले ही दवा खा कर तैयार था…उधर दिव्या को मैंने यह सब बता रखा था इसलिए  उसने सबको रोक कर रखा था लेकिन ये राज़ छुपाने के बदले में उसने मुझसे  खुद  को चोदने की  शर्त राखी  थी, जो मैंने मान ली थी,,, एक साथ दो चूत जो मिल रही थी.. मैं लगभग २५ मिनट तक मधूलिका को चोदता रहा और वो सिसकियाँ ले ले कर चुदती रही…तभी अचानक इस कमरे का दरवाज़ा खुला .. मैंने देखा …सामने दिव्या खडी थी..उसने मुस्कुराते हुए मुझे नंगा देखकर कहा ,,काम अभी पूरा नही हुआ?? मैंने जवाब में हाँ में सर हिलाया.. तब उसने मधूलिका की खून से भीगी चूत की  तरफ देखकर कहा कि लगता है कि कुछ ज्यादा ही पूरा हुआ है..फिर क्या था,,, मैंने तकरीबन १० मिनट तक दिव्या को भी चोदा  और वो उछल उछल के चुदती रही…आज मेरा बहुत बड़ा सपना पूरा हो गया था…फिर मैंने अपना लंड एक एक करके दोनों के मुंह में दिया और अपना बीज उनके मुंह में ही गिरा दिया…उधर स्टेज से दोनों ही को-ऑर्डिनेटर(मैं और दिव्या)  गायब थे, और माइक  पे उन्हें ही बुलाया जा रहा था… ये आवाज़ जैसे ही हमारे कानों में पडी हमने थोड़ी भी देर नहीं की,, मधूलिका और दिव्या ने झट से अपनी चूत पोंछ कर मुंह धोया और कपडे पहने,, और हम तीनो लोग ही तीन  तरफ से स्टेज पे बारी बारी से पहुंचे,,,   भगवान् का शुक्र है कि हममें  से कोई भी चुदाई के वक़्त पकड़ा नहीं गया ,, हाँ बस मधूलिका कि चूत कुछ ज्यादा ही सूज गयी थी..खैर  धीरे धीरे सब ठीक हो गया..आज मधूलिका की शादी हो चुकी है और दिव्या की भी.. लेकिन फिर भी मैं उन्हें अकेले में मिलने का कोई मौका नहीं छोड़ता…और मिलना तो होता ही चुदाई के लिए है जनाब…मगर उन दोनों की पहली चुदाई की बात बस हम तीनों को ही पता थी .. मैं, दिव्या और मेरी प्यारी मधूलिका …                      दोस्तों,, ये कहानी आप को कैसी लगी,, ये ज़रूर बताइयेगा और आपके प्यार से मैं आगे इससे और भी अच्छी कहानियां लेकर आऊंगा.. तब तक के लिए.. नमस्कार…खुश रहिये, मुस्कुराते रहिये और चोदते रहिये….

इंडियन औरत गरमा गर्म


इंडियन औरत की गर्मी और पहाड़ो की सर्दी कभी खत्म नहीं होती | इंडियन औरत के सेक्सी बदन के सब कायल होते है और सब लोग उसके कामुक बदन का रसपान करना चाहते है | इंडियन औरत चाहे जिस भी उम्र की हो, उसकी जवानी और कामुकता बड़ी ही मस्त और गरम होती है | इंडियन औरत किसी भी मर्द के सपनो की अप्सरा होती है, मर्द देसी हो या विदेशी; इंडियन औरत की गर्मी किसी के लंड को भी खड़ा कर सकती है और उसको बिस्तर मे जाने को उतावला कर सकती है, मर्द बिस्तर मे जोश मे गुस तो जाते है, लेकिन इंडियन औरत को उसकी चरमसीमा पर ले जाना कोई बच्चो का खेल नहीं है |
इंडियन औरत की कामुकता और खूबसूरती तो हर जगह बखान की गयी है | पुरानी किताबो मे लिखा हुआ है, कि इंडियन औरत काम की स्वामिनी होती है और बाहर से आकर इंडियन पर हमला करने वालो की नजरो मे इंडियन औरत की खूबसूरती और कामुकता रचती और बस्ती रही है | जिन्हों, केवल इंडियन औरतो के कामुक और मदहोश बदन के लालच मे बड़े-बड़े साम्राज्य मिटटी मे मिला दिये | लेकिन, इंडियन औरत कामुक गुणों के अलावा पतिव्रता भी होती थी और पति-पत्नी एक दुसरे पर अँधा विश्वास करते थे और पति के मर जाने पर किसी दुसरे मर्द की तरफ देखती नहीं थी, लेकिन पति की चिता के साथ खुद को खतम कर देती थी |
ये पुराने इंडिया की पुरानी इंडियन औरते थी और आज की इंडियन औरत किसी भी मर्द से कम नहीं है | अगर मर्द ४ लड्किया एक साथ घुमा सकता है, तो औरते ८ लड़के घुमा सकती है और उनका भोग भी कर सकती है | आज की इंडियन औरत अपने जरुरत के हिसाब से जीती है और अपनी मंशा को हासिल करने के लिए कुछ भी कर सकती है |

गॉव की कच्ची कली बिन चोली


अक्सर हमने देखा हे और किसी किसी ने किया भी हे, जब पेलने का समय आता हे तो सबसे पहले हम लड़की की ब्रा उतारते हे और फिर आगे का काम करते हे पर हर लड़की ब्रा नही पेहेंती जेसे की गॉव की लड़किया, वो तो ब्रा नहीं पेहेंती | वो लोग अपने छाती को चोली से ढकते हे और वोही उनकी ब्रा होती हे | अब हम अगर गॉव की लड़की को उठाये तो हमे उन्हें सबसे पहले बिन चोली करना होगा फिर हमे उनके चुचे नज़र आयेंगे | शहर की लडकियो को बिन ब्रा तो हम हर रोज ही दखते हे, पर गॉव की छोरी बिनचोली हर दिन नही मिलती | अब अगर बात ऐसी हो की कोई लड़की मिल चुकी हे गॉव में तो बात अलग हे, फिर तो उसे हम बिनचोली हर रोज दख सकते हे, जब भी मोका मिले तब |
वेसे आप भी सोचिये की की गॉव की एक दम कच्ची कली हमारे सामने बिनचोली क्या लगेगी, मस्त दिन बन जायेगा हमारा | बस ऐसी लड़की हर दिन मिल जाये तो सबसे खुशनसीब तो हम ही होंगे | गॉव की चुलबुली लड़की हमारे सामने बिना चोली के कड़ी हो फिर तो क्या बात क्या बात | शहर से जादा गॉव की लड़की की जिस्म कसी होती हे, वो हर दिन काम करते रहते हे और इसी कारण उनकी जिस्म एक दम कस जाती हे और चुचे गांड एक भरपूर रूप ले लेता हे |

रविवार, 24 जनवरी 2016

गलत नंबर वाले ने मुझे मस्त चोदा

दोस्तों, आप सब मोबाइल फ़ोन तो प्रयोग करते ही होंगे | बहुत से लोग सारा दिन और सारी रात मोबाइल पर या बात करते रहते है या समस करते रहते है | इतनी सारी बातो के बीच मे कभी-कभी गलत नंबर भी लगा जाता है | आमतौर पर लोग गलत नंबर को भूल जाते है | लेकिन, उस गलत नंबर ने मेरी जिन्दगी को मस्ती भरी जिन्दगी मे बदल दिया | मेरा नाम उर्मी है और मै एक स्कूल मे पढ़ती हु | एक दिन मुझे एक नंबर से एक कॉल आया; उस समय मे क्लास मे थी और मेरा फ़ोन साइलेंट मोड पर था; इसलिए मैने वो कॉल नहीं देखा | स्कूल के बाद मैने उस नंबर पर कॉल किया, तो एक लड़के ने फ़ोन उठाया और और पूछा, कौन है? मैने कुछ भड़कते हुए पूछा, आप ने फ़ोन किया था और आप ही पूछ रहे हो कौन है? हमदोनों मे थोड़ी सी तू-तू-मै-मै हो गयी और उस बन्दे ने फ़ोन काट दिया |कुछ देर बाद, उस लड़के को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने मुझे एक सॉरी का समस भेजा और मैने भी उस समस का एक सभ्य-सा जवाब दे दिया | फिर उस दिन, हम दोनों ने एक दुसरे से समस-समस पर काफी बातें की और एक दुसरे के बारे मे जाना | वो किसी कंपनी मे काम करता था और उसका ऑफिस मेरे स्कूल के पास ही था | मुझे १२ साल बड़ा था वो और उसका नाम सुनील था | उस दिन हम दोनों के समस पर काफी बातें की और अगले दिन सुबह उसका फ़ोन आ गया और उसने मुझे काफ्फी के लिए पूछा | मैने कहा, तुम पागल हो; बिना तुम्हे जाने थोड़ी जाउंगी | उसने कहा, आज की मुलाकात मे जान लेना और मैने कब कहा, कि हम बाहर थोड़ी जा रहे है | हम तुम्हारे स्कूल की कैंटीन मे जा रहे है | मै स्कूल से बाहर आ चुकी थी और मैने बाहर एक बड़ी सी मस्त गाडी देखी | मैने उसको पूछा, कि कहाँ हो आप, तो उसने बोला एक बड़ी गाडी खड़ी है, तुम्हारे गेट के सामने | फिर, मैने उसको हाथ हिलाकर अपने बारे मे बताया और वो गाडी से निकल के बाहर आया | मै तो उसपर फ़िदा हो गयी | क्या मस्त लड़का था? सुंदर और मस्त | मेरे आसपास की लडकिया तो आहे भर रही थी उसपर | फिर, वो मेरी तरफ आया और मुझ से हाथ मिलाने लगा | मै कभी उसका चेहरा देख रही थी और कभी उसका हाथ | सारी लडकिया मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी |हम दोनों ने एक दुसरे का हाल चाल पूछा और स्कूल के कैंटीन मे चले गये | हम दोनों ने काफ्फी पी और फिर उसने मुझे घर छोड़ने की पेशकश की | मै बिना कुछ कहे और सुने, उसकी गाडी मे बैठ गयी | वो गाडी चला रहा था और मै उसे अपने घर का रास्ता बता रही थी | किस्मत ही, हम दोनों को मिलवाने पर तुली हुई थी, वो मेरे घर के पीछे वाली गली मे रहता था | ख़ैर, उसने मुझे घर छोड़ा और मै तो उस पर फ़िदा हो चुकी थी | मुझे उसके बारे मे नहीं पता था, तो उसे पता करना जरुरी था | उसकी कार के सारे शीशे काले थे, तो मैने आगे बढकर सारी खड्किया बंद कर दी और थोडा सा उचककर उसके होटो पर एक चुम्मा जड़ दिया | उसकी आँखे बड़ी हो गयी और मुस्कुराया | फिर, उसने गाडी को घर जाते-जाते दूसरी तरफ मोड़ दिया, जहाँ थोडा सा अँधेरा होता है और गाडी खड़ी करके मेरे चेहरे को अपने हाथो मे लेकर मेरे होटो को चूसने लगा |बहुत ही मस्त था उसका चूमना | मेरी तो चूत गीली होने लगी | फिर, उसने अपनी पेंट की जिप खोलकर अपना लंड निकला और मेरा हाथ उसपर रखकर मुठ मारने लगा | फिर उसने ऊपर-ऊपर से ही मेरे चूचो को दबा डाला | इतने मे ही, मेरी चूत गीली हो चुकी थी और मुझे डर लगने लगा | मैने उसका लंड छोड़ा और अपने कपडे ठीक किया और उसे मुझे घर छोड़ने को बोला | उसने भी मुझे कुछ नहीं बोला और चुपचाप गाडी चलाने लगा | वो उसकी सबसे बड़ी समझदारी थी | अगर, वो मुझे उस दिन जबरदस्ती से चोद देता, तो शायद मै उससे कभी नहीं मिलती; लेकिन, उस दिन उसने मुझे सिर्फ मस्ती का रास्ता बताया और मेरे अन्दर आग लगा दी |जब मै घर पहुची, तो मेरे पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे | मै उसे अपना बॉयफ्रेंड समझने लगी थी और मेरे सारे ग्रुप मे, मेरा बॉयफ्रेंड सबसे आमिर और सुंदर था और उसका लंड भी काफी बड़ा और मोटा था | मेरे ग्रुप मे सिर्फ मेरा ही बॉयफ्रेंड नहीं था और जब वो लोग अपने बॉयफ्रेंड के बारे मे बातें करते है, तो मै अन्दर से जल-भुन जाती थी और वो सब अब बॉयफ्रेंड के लंड के बारे मे मुझे बताते थे, तो मुझे बड़ा अजीब लगता था; क्योकि मैने लंड अपने हाथ मे तो क्या, असली मे देखा तक नहीं था | मै सोच रही थी, कि सब क्या-क्या बोलना है| सब कुछ मस्त था और मैने एक थैंक्स का समस उसको भेज दिया और उसने भी एक प्यारा सा समस मुझे कर दिया |२-३ दिन ऐसे ही निकल गये और हम दोनों समस-समस खेलते रहते थे | एक दिन रविवार था और मेरी और उसकी दोनों की छुट्टी थी और मै अपने कमरे मे अकेले थी और मुझे उससे से मिलने का मन कर रहा था | किस्मत उस दिन मेरे साथ थी; तभी मेरी माँ-पापा को कहीं बाहर जाना पड़ा और उनको कम से कम ३-४ घंटे लगने वाले थे | मैने उसको समस किया, मै घर मे अकेले अपनी चूत तेरे लिए ही खोल कर बैठी हु; हिम्मत है तो आजा | उसका कोई जवाब नहीं आया | २ मिनट, ३ मिनट, ५ मिनट और १० मिनट निकल गये और मैने ३-४ समस ठोक डाले; लेकिन, कोई समस नहीं आया | अब मुझे गुस्सा आने लगा | तभी छत के दरवाजे पर कुछ ठक-ठक हुई, तो मै ऊपर भागी | देखा, वो साला ऊपर खड़ा है | मैने दरवाजा खोल दिया और झूठ-मुठ की नाराज़ होने लगी | उसने अपनी जेब से एक सोने की चेन निकाली और मेरे गले मे डाल दी और बोला डार्लिंग, तुम्हरे लिए तोफाह लाने गया था; इसलिए देर हो गयी |फिर, मैने उसका हाथ पकड़ा और उसको खीचकर अपने कमरे मे ले आयी | और उसको अपने पलंग पर धक्का दे दिया | वो बोला, रेप करने का इरादा है क्या? मैने कहा कुछ ऐसा ही समझ लो | फिर, मै कूदकर उसकी छाती पर बैठ गयी और उसके होटो पर अपने होट रख दिए और उसके होटो को पागलो की तरह चूमने लगी | मुझे ऐसा लगा रहा था, कि वो दुनिया का आखरी मर्द है, जिसके पीछे सारी लड़किया पड़ी है | मैने तेजी से उसके कपडे उतारने शुरू कर दिए और उसके शर्ट के सारे बटन तोड़ डाले | उसने मुझे अब धक्का देना शुरू कर दिया और बोला, साली आज तू पागल हो गयी है | मैने कहा, हा, लेकिन आज तुझे नहीं छोडूंगी | फिर उसने मुझे आधा नंगी करके खुद ब्रा-पेंटी मे आ गयी और फिर उसने अपनी ब्रा भी खोलकर फेक दी | उसके सामने मेरे अधपके हुए चुचे झूल रहे थे; ज्यादा बड़े नहीं थे, लेकिन उनकी लालिमा किसी को भी अपने तरफ खीच सकती थी | फिर उसने मेरे चूचो को अपने हाथ मे ले लिया और उसको दबाना शुरू कर दिया | मै मस्त मे कामुक आवाज़े निकलने लगी और सी-सी-आ-आह करने लगी | उसका लंड पुरे जोर से खड़ा हो चुका था | फिर उसने नीचे हाथ डालकर अपनी पेंट को उतारा और अपने लंड को खुली हवा मे निकल लिया | उसका बड़ा लंड देखकर मेरा दम निकलने लगा |फिर, उसने मेरी पेंटी को मैने फाड़ डाला और मेरी चूत पर अपने लंड को पर रख दिया और लंड को रगड़ने लगा | मेरे शरीर मे मस्ती छाने लगी और मै मस्त आवाजो के साथ-साथ अपने शरीर को हिलाने लगी | उसने अपने लंड को अपने थूक मे पूरा डुबो दिया और मेरी चूत को भी | उसके बाद, उसने मुझे पलग पर लिटाया और फिर, चूत पर अपना लंड लगा दिया और उसकी चूचो को हल्का-हल्का दबाता रहा | मैने आँखे बंद कर रही थी | जब मुझे थोडा सा आराम मिलने लगा | तो उसने एक ही धक्के के साथ अपना पूरा लंड मेरी चूत मे डाल दिया | मै चीख उठी और सारी चादर मेरी चूत के खून मे गीली हो गयी | उसका लंड आधे से ज्यादा मेरी चूत मे था और मै सिसकिया भरकर रो रही थी | उसने मुझे चुप करवाया और धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत मे हिलाने लगा; इससे उसका दर्द कम होने लगा और उसने फिर धीरे से धक्के लगाने शुरू किये |अब मुझे भी मज़ा आने लगा था और उसका लंड मुझे कहीं अन्दर लगने लगा था | तो मैने भी अपनी गांड को मस्ती मे हिलाना शुरू कर दिया | मै झड चुकी थी और मेरा शरीर गिरने लगा था | उसने अपना लंड निकाल लिया और मुझे ऐसे ही पड़ा रहने दिया | कुछ देर हस्त्मथुन के बाद उसने अपना सारा वीर्य मेरी फटीहुई चूत पर डाल दिया | गरम-गर्म वीर्य ने मेरी चूत के फटे हुए दरवाजे को कुछ आराम दिया और फिर वो कपडे पहनकर वहा से निकल गया | मै अभी भी ऐसे ही लेटी थी | मेरे अन्दर खड़े होने की हिम्मत ही नहीं थी | लेकिन, कुछ देर बाद मुझे आराम मिला और मैने अपने कमरे को ठीक किया और सो गयी | जब माँ-पापा आये तो मैने उठकर दरवाजा खोला और चाय बनाई | तब तक मै बिलकुल ठीक थी, लेकिन रात को सोते टाइम मेरी वाट लग गयी दर्द के कारण | उस दिन के बाद तो मुझे चुदाई मे मज़ा आने लगा और अब मै एक नंबर की चुदकड़ बन गयी हु |

वैधानिक चेतावनी

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